-पांच कच्ची कारोबारियों के खिलाफ एफआईआर, गैंगस्टर की तैयारी
- जेसीबी से जमीन से खोदी, निकेले पन्द्रह सौ ड्रम महुआ लहन
GORAKHPUR: जब जागो तब सवेरा, शायद इसी फंडे के साथ एक्साइज डिपार्टमेंट अभियान चला रहा है। लखनऊ में कच्ची शराब से हुई मौतों के बाद प्रशासन जागा तो देखते ही देखते कच्ची शराब के खेल का भंडाफोड़ हो गया। अगर इतने बड़े पैमाने पर गोरखपुर में कच्ची का कारोबार हो रहा था तो एक्साइज डिपार्टमेंट की आंखें क्यों बंद थी? स्थानीय थाना स्तर पर पुलिस ने क्यों चुप्पी साधी थी।
धरती फटी तो निकला कच्ची का भंडार
ज्वाइंट कमिश्नर (एक्साइज) हर्ष चौधरी और आबकारी अफसर सदानंद चौरसिया के नेतृत्व में वेंस्डे को टीम ने रजही जंगल, तिनकोनिया और तुर्रा नाले के आस-पास अभियान चलाया। टीम को तिनकोनिया के पास एक खाली जमीन पर महुआ लहन से भरे ड्रम दिखे। टीम के लगातार प्रयास के बाद भी जब वह सफल नहीं हुए तो जेसीबी मशीन से जमीन खुदवाई गई। जमीन से करीब पन्द्रह सौ ड्रम मिले। हर ड्रम में करीब दो कुंतल महुआ लहन छिपाकर रखा गया था। अभियान में टीम को पांच सौ लीटर कच्ची शराब भी बरामद हुई।
कारोबारियों पर गैंगस्टर की कार्रवाई
कच्ची के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में डिपार्टमेंट अब कारोबारियों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है। वेंस्डे को डिपार्टमेंट पांच कारोबारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है और उनके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई भी की जा सकती है।
पहले क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
लखनऊ में कच्ची शराब से हुई मौतों के बाद आबकारी डिपार्टमेंट ने अभियान चलाया को दो दिन के भीतर हजारों टन महुआ लहन और कच्ची शराब पकड़ी। कच्ची के इतने बड़े भंडार के पकड़े जाने से एक बात साफ हो गई कि गोरखपुर में बड़े पैमाने पर कच्ची का कारोबार चल रहा था। जब कारोबार इतने बड़े पैमाने पर चल रहा था तो फिर उसे रोकने वाला डिपार्टमेंट आखिर क्या कर रहा था? आबकारी के साथ-साथ पुलिस महकमे पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
बिना सेटिंग नहीं होता कच्ची का धंधा
कच्ची का कारोबार बिना सेटिंग के नहीं चलता। कहीं न कहीं इस बात को डिपार्टमेंट के बड़े अफसर भी मानते हैं। कैंट, खोराबार, शाहपुर, गुलरिया, तिवारीपुर समेत कई थाना क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कच्ची का कारोबार होता है। थाने और चौकी पर तैनात कर्मचारियों की सेटिंग के बिना कच्ची का धंधा नहीं चल सकता। पकड़े गए कारोबारियों का भी कहना है कि कारोबार के लिए वह सुविधा शुल्क देते है। दबाव पड़ने पर वहीं डिपार्टमेंट के चारे के रूप में यूज भी होते हैं।