- कसरवल कांड के 38 आरोपी गए सलाखों के पीछे
- सात आरोपियों ने कहा साहब मैं आंदोलकारी नहीं हूं
- पुलिस घर उठाकर बना दिया आरोपी
GORAKHPUR: साहब, मैं तो अपने पशुओं के लिए चारा तैयार कर रहा था तभी अचानक पुलिस पहुंची और मुझे आंदोलनकारी बताकर उठा लाई। साहब, मैं अपने घर में अकेला कमाने वाला हूं। उस दिन भी मैं रोज की तरह अपने काम पर गया था । मेरा किसी आंदोलन से कोई मतलब नहीं है। मैं जेल चला जाऊंगा तो मेरे बच्चे भूखों मर जाएंगे। यह कहना था थर्सडे को आंदोलनकारी बताकर जेल भेजे जा रहे एक युवक का। आई नेक्स्ट को एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान युवक ने कई ऐसी बातें बताई जिसने पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सात भेजे गए जेल
कसरवल कांड में पुलिस ने थर्सडे को सात और आंदोलकारियों को इसीजीएम द्वितीय कोर्ट में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। पुलिस अब तक कुल 38 आंदोलकारियों को जेल भेज चुकी है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर इन आंदोलकारियों की हकीकत जानने के लिए कोर्ट के बाहर पहुंचा। जब इन सात आंदोलकारियों से बातचीत की तो उनका कहना था के कि वे आंदोलनकारी नही हैं।
राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के आंदोलन में मैं शामिल नहीं था। जिस समय घटना हुई उस समय मेरे घर में रामायण का पाठ चल रहा था। चार तारीख को मेरी भतीजी की विदाई थी। मैं तैयारियों में लगा था। तभी एसओ पहुंचे। मेरे घर नास्ता भी किया इसके बाद मुझे पूछताछ के लिए थाने पर बुलाया और आरोपी बना दिया। जब घटना के बारे में रिपोर्टर ने सवाल किया तो उनका कहना था कि यह आंदोलन नाजायज है। कार्यकर्ताओं को शांति पूर्वक से डीएम और कमिश्नर से बातचीत करनी चाहिए थी।
हरीराम वर्मा निषाद, रिटाडर्य एंप्लाइ, संतकबीरनगर
कसरवल कांड के बारे में पूझे जानकारी नहीं थी। मैं बाहर गया हुआ था। जब सुबह घर पहुंचा तो समाचार पत्र के माध्यम से जानकारी हुई। घटना के दूसरे दिन रात में मैं अपने दरवाजे पर था। इसी दौरान पुलिस पहुंच गई और मुझे गाड़ी में बिठा कर थाने लाई। जब मैंने उनसे इस संबंध में बात करना चाहा तो वह धमकाने लगे। थोड़ी देर बाद पता चला कि आंदोलकारियों की लिस्ट में मेरा भी नाम दर्ज कर दिया गया है।
मोनू निषाद, सूरजहा संतकबीरनगर
मैं अपने फैमिली मेंबर्स के साथ घर पर था। इसी दौरान पुलिस पहुंची और मुझे पकड़ लिया। मैं कुछ समझ पाता कि उन्होंने गाड़ी में बैठने को कहा। मैं इस बात से हैरान हो गया। बाद में बताया गया कि आंदोलकारियों के मुकदमें में आप का भी नाम शामिल है। इसकी वजह से थाने लाया गया है। घटना से मेरा दूर-दूर का कोई नाता नहीं है। मुझे फसाया गया है।
दिलीप कुमार निषाद, भेड़वटा, संतकबीरनगर
घर में मैं ही कमाने वाला हूं। मेरी कमाई से ही दो रोज का चूल्हा जलता और परिवार को भरण पोषण होता है। बेकसूर होने के बाद भी पुलिस ने मुझे आरोपी बना दिया। आखिर मेरे परिवार को कौन देखेगा। यह कहकर उसकी आंखे डबडबा गईं। कहा कि इस आंदोलन में मैं शामिल नहीं था। पुलिस ने फंसाया है।
खजांची प्रसाद, उतरावल, संतकबीरनगर
यह कैसी मुसीबत है, बेगुनाहों को भी पुलिस आरोपी बना दे रही है। बेकसूर लोगों को बेवजह फंसाया जा रहा है। मुझे अखबार पढ़कर इस घटना की जानकारी हुई। सभी पुलिस के इस रवैए से परेशान होकर अपना घर छोड़ चुके हैं। यदि हमें इस बात की आशंका होती कि पुलिस इस हद तक गुजर सकती है तो मैं भी घर से भाग जाता। पुलिस ने मुझे गलत तरीके से फसाया है।
विश्वनाथ निषाद, संतकबीरनगर