- ऑटोरिक्शा में बैठ हजारों बच्चे ले रहे रिस्क
- न ऑफिसर्स को परवाह, न स्कूल्स लेते हैं सुधि
<- ऑटोरिक्शा में बैठ हजारों बच्चे ले रहे रिस्क
- न ऑफिसर्स को परवाह, न स्कूल्स लेते हैं सुधि
GORAKHPUR: GORAKHPUR: हर रोज की तरह ट्यूजडे को भी सुंधाशु तैयार होकर स्कूल के लिए रवाना हुआ। जैसे ही ऑटोरिक्शा घर के सामने आया तो सुंधाशु चिल्लाते हुए मम्मी पापा को बाय-बाय कर रवाना हो गया। मां खाना बनाने में जुट गई और पिता अपनी दैनिक क्रियाओं में व्यस्त हो गए। दोनों को तनिक भी अंदाजा नहीं था कि आज उनका बेटा, उनकी गलती की सजा भुगतने वाला है। दोपहर में पापा के मोबाइल पर फोन आया, आपके बेटे का एक्सीडेंट हो गया। उसकी हालत नाजुक है। उसके शरीर में कई चोंटे आई है। यह बात सुनते ही पिता बदहवास हो गए। दो पल के लिए तो मानों की उनकी धड़कन ही बंद हो गई। आंखों के कोर आंसूओं की धारा बह उठी। मेरा बेटा। मेरा बेटा एक्सीडेंट ये क्या हो गया भगवान? तब तक उनके ऑफिस वालों ने उठाया। वे दौड़े-दौड़े घटना स्थल पर आए। घायल बेटे को देख उन्होंने गले लगा लिया। सुंधाशु भी फफक कर रो पड़ा। इतने ही देर में पास में खड़े एक बच्चे ने कहा, अंकल यह तो होना ही था। जब चार लोगों की जगह पर दस को ठूंसकर ले जाया जाएगा तो एक्सीडेंट होगा ही। एक मासूम के इस बोल पर शायद पिता को अपने गलती का अहसास हुआ, लेकिन उसकी इन मासूम बातों ने कई सवाल खड़े कर दिए। आखिर पुलिस-प्रशासन कहां है??क्या उसे मासूमों के साथ हो रहा यह खिलवाड़ दिखाई नहीं देता??
पलट गया ओवरलोडेड ऑटोरिक्शा
लगभग ख्.फ्0 बजे स्कूल की छुट्टी के बाद सिविल लाइंस स्थित अलग-अलग प्राइवेट स्कूल में पढ़ने कूड़ाघाट के सुधांशु सिंह, जानवी राय, अंशुमान राय, प्रथम शुक्ला, प्रांजल चतुर्वेदी, प्रगति शुक्ला, विजय लक्ष्मी चतुर्वेदी, और युवराज चतुर्वेदी, मोहद्दीपुर के दिव्यांश सिंह, छात्रा झील यादव ऑटोरिक्शा में बैठकर घर जा रहे थे। राम सिंह आटो चला रहे थे। जैसे ही वह सीतापुर रोड के नजदीक पहुंचे, उसी समय ऑटो डिसबेलेंस हो गया और बगल के डिवाइडर से जा टकराया। टक्कर से ऑटोरिक्शा पलट गया और सभी को चोटें आई। ड्राइवर की सीट के बगल में बैठा सुधांशु सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसके सिर और मुंह से खून निकल रहा था। जबकि अन्य 9 बच्चों को भी सामान्य चोटें आयी थी। सभी बच्चों के अभिभावक को फोन कर बुलाया गया। हादसे को देखकर सभी बच्चे काफी घबराए हुए थे।
नियम फ् का चल रहे क्0
आरटीओ के नियमानुसार ऑटोरिक्शा में ड्राइवर के अलावा केवल तीन सवारी ही चल सकती है। सिटी के स्कूलों में चल रहे ऑटोरिक्शा में क्0 से क्भ् बच्चे बैठकर जाते हैं। अब आप ही अंदाजा लगाइए कि इस कदर ओवरलोडेड ऑटोरिक्शा कितने दिन तक एक्सीडेंट से बचा रह सकता है।
इस जोखिम के लिए ये है जिम्मेदार
प्रशासन- नियमानुसार प्रशासन को ऐसे ओवरलोडेड ऑटोरिक्शा पर कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन, कभी कोई कार्रवाई नहीं होती। यही नहीं हर दिन पुलिस लाइन से स्कूल के लिए ओवरलोडेड रिक्शा आता-जाता है। उस पर ही अधिकारियों की नजर तक नहीं पड़ती।
स्कूल- सिटी के अधिकांश स्कूल में बच्चे ऑटोरिक्शा से आते जाते हैं। स्कूल प्रबंधन को अपने बच्चों की चिंता करते हुए इन्हें बैन करना चाहिए। पैरेंट्स मीटिंग में अपने बच्चों को ऑटोरिक्शा से भेजने के लिए मना करना चाहिए।
पैरेंट्स- औसतन स्कूल बस क्000 रुपए प्रति महीने लेती है। ऑटोरिक्शा म्00 रुपए में स्कूल ले जाता है। महज ब्00 रुपए बचाने के चक्कर में अधिकांश पैरेंट्स अपने बच्चे को ओवरलोडेड ऑटोरिक्शा का रिस्क झेलने के लिए भेज देते हैं।
देख लीजिए, कोई जिम्मेदार नहीं-
ट्यूजडे को हुई घटना ने कई बात साफ कर दी। ऑटोरिक्शा में चलने वाले बच्चे के चोटिल होने के लिए कोई जिम्मेदार नहीं हुआ। ऑटोरिक्शा वाला तुरंत वहां से भाग निकला। चोटिल बच्चों का इलाज करवाने न तो स्कूल प्रबंधन पहुंचा और न ऑटोरिक्शा मालिक। पैरेंट्स और राहगीरों ने बच्चों की मदद की।
यहां हर पल रिस्क है-
सिटी में लगभग ब्00 ऑटोरिक्शा स्कूल से बच्चों लाते-ले जाते हैं। नियमानुसार एक ऑटोरिक्शा में पीछे की सीट पर केवल तीन बच्चे ही बैठने चाहिए। लेकिन पैरेंट्स अपनी बचत और ऑटोरिक्शा मालिक अपनी कमाई के चक्कर में इस नियम को इन्हीं तीन पहियों के नीचे कुचल देते हैं। हर ऑटोरिक्शा में पीछे की सीट पर चार, सामने की पतली सी पट्टी पर चार और आगे तीन बच्चों को बैठाकर चलता है। यानी तीन की जगह क्क् बच्चे। कई ऑटोरिक्शा तो क्भ् बच्चों तक को ले जाने का रिस्क लेते हैं। ऑटो रिक्शा के सामने बैग और बोतल टंगी होती है। यानी फुल ओवरलोडेड ऑटोरिक्शा। अब आप ही बताइए आखिर ऐसे वाहन का एक्सीडेंट कैसे न हो??
स्कूल की नहीं आती बस
स्कूल की ओर से कोई बस नहीं आती है। बस के इंतजार में बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते है। बच्चों को आटो से भेजना मजबूरी बन जाती है।
दीपक राय, जानवी के पिता
नियमानुसार ऑटो रिक्शा में ड्राइवर के अलावा तीन सवारी ही जा सकती है। क्0 सवारी को लेकर चलना अपराध है। मैंने कई बार स्कूलवालों को ऑटोरिक्शा बैन करने के लिए कहा है, लेकिन कभी कोई सुनता नहीं।
एम अंसारी, आरटीओ