गोरखपुर (ब्यूरो)।वहीं, एबीवीपी ने भी सोशल मीडिया पर 'सरकारÓ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एबीवीपी अपनी मांगों को लेकर अडिग है और गोरखपुर पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े कर रही है।
कुलपतियों पर निशाना
एबीवीपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम शाही ने प्रदेश की यूनिवर्सिटीज के वीसी पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर लिखा 'उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा उच्च शिक्षा पर मंथन कर अमृत तत्व की प्राप्ति के लिए अभी हाल ही में कानपुर विश्वविद्यालय में 'शिक्षा मंथनÓ का आयोजन किया गया था। मंथन से अमृत तत्व की प्राप्ति तब होती है जब मंथन करने वाले व्यक्तियों में पात्रता तथा उनके उद्देश्य में पवित्रता होती है। प्रो। विनय पाठक जैसे लोग जब मंथन के आयोजक होंगे तथा प्रो। राजेश सिंह जैसे प्रतिभागी होंगे तो ऐसे मंथन से अमृत के बजाय विष ही निकलेगा। अब सभी कुलपति उस विष का वैक्सीन बनाकर छात्रों को लगा रहे हैं.Ó उन्होंने यह भी लिखा कि 'यूपी में छात्रों के प्रति निर्ममता तथा पतित कुलपतियों के प्रति अतिशय उदारता के कारणों का खुलासा करना होगा शासन और प्रशासन के जिम्मेदार लोगों को.Ó
पुलिस कार्रवाई पर सवाल
एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर हुए मुकदमे और गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर परिषद से पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़ा कर दिया। उनका आरोप था कि 22 नामजद आरोपितों में एक ऐसा था जो उस वक्त एग्जाम देने यूनिवर्सिटी से 75 किमी। दूर गया था, लेकिन पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उसे जानबूझकर मुकदमे में फंसा दिया।
पुलिस ने डिलीट किया गुडवर्क
गोरखपुर पुलिस आमतौर पर किसी भी अपराधी को पकडऩे के बाद उसकी फोटो अपने सोशल मीडिया हैंडल्स से पोस्ट करती है। इस केस में भी 8 आरोपितों को अरेस्ट करने के बाद उन्होंने उनकी फोटो पोस्ट की। इसके बाद एबीवीपी से जुड़े लोगों ने इसका भारी विरोध किया। उन्होंने लिखा कि यह छात्र आतंकवादी नहीं हैं। इन्होंने फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन किया है। इसके कुछ देर बाद ही गोरखपुर पुलिस ने अपना पोस्ट डिलीट कर दिया।
कहां-किससे हुई गलती
एबीवीपी
- वीसी के साथ हाथापाई
- रजिस्ट्रार और पुलिस से मारपीट
- वीसी ऑफिस में तोडफ़ोड़
डीडीयूजीयू
- बेतहाशा फीस वृद्धि और रिजल्ट में देरी
- स्टूडेंट्स की मांगों पर ध्यान न देना
- प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स की बातों को सुने बिना वीसी का निकलना
बात न सुनने पर हुआ बवाल
एबीवीपी के गोरक्ष प्रांत संगठन मंत्री हरिदेव ने बताया कि एबीवीपी की ओर से पिछले कई दिनों से यूनिवर्सिटी में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर लोकतांत्रिक रूप से शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया जा रहा था। 21 जुलाई को वीसी की संवादहीनता के कारण पुलिस प्रशासन ने कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसाईं और 22 पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। उन्होंने कहा कि जब वीसी अपने कार्यालय से पुलिस के साथ बाहर आने लगे तो स्टूडेंट्स ने उन्हें अभिभावक शब्द की संज्ञा देते हुए अपनी मांगों पर बातचीत करने का निवेदन किया, परंतु वे बिना सुने ही जाने लगे और स्टूडेंट्स जब उन्हें रोकने पहुंचे तो पुलिस ने लाठियां बरसा दी।
पुलिस की अनदेखी से हुआ बवाल
यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर डॉ। सत्यपाल सिंह ने बताया कि घटना के दिन हम लोग इन्हें स्टूडेंट्स मान रहे थे और किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि स्टूडेंट्स अपने टीचर्स पर हमला कर देंगे। पुलिस ने जब वीसी को ऑफिस से निकालने की बात कही तो हमने उनसे फोर्स बढ़ाने को कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वहीं, 13 जुलाई को हुई मारपीट के बाद पुलिस ने केस दर्ज नहीं हुआ, इस वजह से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ गया और उन्होंने इस घटना को अंजाम दे दिया।