गोरखपुर (ब्यूरो)। चौदह वर्ष वनवास के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाई गई खुशी का प्रतीक यह त्योहार महानगर ने पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया। घरों में आदि देव गणेश व धन की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन कर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की। इस दौरान बच्चों ने कमर में घंटी बांधकर नृत्य किया, मिठाई खाई और खुशी मनाई। पूजन-अर्चन के बाद घर में दीये जले, कन्याएं व बच्चे थाल में दीप लेकर देव स्थानों, कुआं, व तालाबों पर गए और उन स्थानों को रोशन किया।
देर शाम शुरू हो गया सेलिब्रेशन
दीये जलने के पूर्व ही फुलझडिय़ां, अनार व पटाखे छूटने शुरू हो गए थे। जमीन से ऊपर उठते एक साथ सैकड़ों राकेट माहौल को खुशनुमा बना रहे थे। हर घर, दुकान, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों व होटलों को रंग-रोगन कर विद्युत झालरों से सजाया गया था। पूरा महानगर सतरंगी रोशनी से जगमगा रहा था। घर व दुकानों में विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। व्यवसायियों ने कंप्यूटर की पूजा की। जिनके यहां अभी बही-खातों का प्रयोग होता है, वहां बही-खातों की पूजा-अर्चना की गई। साधना के लिए विशेष दिन माने जाने वाली अमावस्या के दिन साधकों ने ध्यान किया। बच्चों ने पटाखे व फुलझडिय़ां छोडऩे के बाद पढ़ाई की। माना जाता है कि इस दिन जो कार्य किया जाता है वह सहजता से पूरे वर्ष होता रहता है। घरों में विविध पकवान बने। लोगों ने लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाया।
दोपहर में ही खत्म हो गए कमल के फूल
फूलों का बाजार दीपावली को गुलजार रहा। इस बार बड़े पैमाने पर फूल मंगाए गए थे। इसलिए फूल मालाओं की कमी नहीं पड़ी। लेकिन कमल के फूलों की मांग ज्यादा होने से ये फूल दोपहर बाद खत्म हो गए। उनकी जगह श्रद्धालुओं ने कोइया के फूल का इस्तेमाल किया। दोनों फूल लगभग एक जैसे होते हैं। कमल का फूल बीच में थोड़ा फूला होता है, कोइया का फूल ऊपर से नीचे तक एक बराबर मोटाई में होता है।
मिठाई की दुकानों पर रही भीड़
मिठाई व गिफ्ट की दुकानों पर बड़ी भीड़ रही। ड्राईफ्रूट से बनी मिठाइयों व मोतीचूर तथा गोंद के लड्डुओं की मांग ज्यादा रही। दोपहर बाद तक ज्यादातर दुकानों से मिठाई खत्म हो गई थी।
दिन भर चला शुभकामनाओं का दौर
दिन भर लोगों ने एक-दूसरे को दीपावली की शुभमकामनाएं दी। इंटरनेट मीडिया के अलावा लोगों ने फोन कर कहा- यह त्योहार आपके जीवन में खुशियां व सुख-समृद्धि लाए।