गोरखपुर (ब्यूरो)। अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही एक प्रथा को रेलवे बोर्ड ने खत्म कर दिया है। रेलवे बोर्ड की तरफ से पहले रेलवे के साहबों को बंगलो पियून की सुविधा छीन ली गई। उसके बाद टेेलीफोन अटेंडेंट कम डाक खलासी भी नहीं दिए जाएंगे। वहीं अब रेलवे बोर्ड ने सभी जीएम को लेटर जारी कर जीएम स्पेशल के नाम से चलने वाली सुविधा को भी खत्म कर दिया है।
साल में करना होता है इंस्पेक्शन
दरअसल, प्रत्येक जोन के जीएम को उसके दायरे में आने वाले मंडल के किसी एक सेक्शन का साल में एक बार निरीक्षण करना होता था। इसका मिनट-टू-मिनट का प्र्रोग्राम बनाया जाता है। इसके लिए तैयारियां चलती हैं। निरीक्षण में भी जीएम के साथ जोन हेडक्वार्टर के 18-20 पीएचओडी व समेत बड़े अफसर और उनके स्टाफ शामिल होते हैैं, लेकिन अब यह सब नहीं होगा। वहीं निरीक्षण के दौरान कम से कम आठ डिब्बों की जीएम स्पेशल ट्रेन में डीआरएम समेत मंडल के 60 से ज्यादा कर्मचारी भी नहीं चलेंगे। इस तरह जीएम के निरीक्षण में 100 से ज्यादा रेलकर्मी साथ रहते थे।
इस प्रकार होती है जीएम स्पेशल
- इंजन
- जीएम सैलून
- इंस्पेक्शन कार
- सभी पीएचओडी के लिए सैलून
- एसी-2 टायर के कोचेज
- एक कोच में सुरक्षा कर्मी और रेल कर्मी
- एसएलआर कोच
नोट - 8-10 कोच जीएम के इंस्पेक्शन में लगती है, जो वार्षिक इंस्पेक्शन के लिए होती है। रूटीन इंस्पेक्शन के लिए 2-4 कोच लगाए जाते हैैं।
जीएम द्वारा एनुअल इंस्पेक्शन पर रोक लगाई गई है। बाकी जो रूटीन इंस्पेक्शन होते हैैं। वह होते रहेंगे।
- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ एनई रेलवे