गोरखपुर (ब्यूरो)। शहर के ताल पोखरों से अतिक्रमण हटाने के लिए वर्ष 2010 से प्रयास चल रहा है। तत्कालीन कमिश्नर पीके महांति ने 24 अप्रैल 2010 को आदेश जारी करके अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था। भेडिय़ागढ़, असुरन पोखरा पर अतिक्रमण के मामले में सौदेबाजी करने वाले व्यक्तियों को जेल भेजने का आदेश भी हुआ था, लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी।

नहीं कर सकते स्थान परिवर्तन

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के पास मौजूद दस्तावेजों से सामने आया है कि यह पोखरा गोरखपुर गजेटियर में दर्ज है। ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का होने के कारण इसका स्थान परिवर्तन नहीं कर सकते।

बयानों में विरोधाभास

असुरन क्षेत्र के ऋषभ जैन पर तालाब को पाटकर जमीन बेचने का आरोप है। अब उनके बेटे अरिहंत जैन इस पूरे प्रकरण को देख रहे हैं। उन्होंने बयान दिया था कि भेडिय़ागढ़ पोखरे की जमीन के बदले जगंल हरिभजन के पास 9.5 एकड़ की जमीन परचेज कर कमिश्नर के पास दस्तावेज जमा करा दिए गए हैं। जबकि कमिश्नर ने कहा है कि उनके पास भेडिय़ागढ़ पोखरे की जमीन से जुड़ी कोई फाइल नहीं आई है। मतलब साफ है, इस मामले में कोई तो सही नहीं बता रहा है और इससे विरोधाभास की स्थिति भी बन गई है।

शहर में ताल-पोखरों पर भारी अतिक्रमण किया गया है। पूर्व में कमिश्नर, डीएम व राजस्व परिषद को शिकायती पत्र दिए गए हैं। बावजूद इसके प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी। इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे।

अनिल कुमार गुप्त, अध्यक्ष, भारत-नेपाल मैत्री समाज