गोरखपुर (ब्यूरो)। इसको लेकर इंडस्ट्री से जुड़े स्पेशियालिस्ट की 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिसÓ पद पर नियुक्ति की जाएगी। यूनिवर्सिटी इसकी तैयारी में जुट गई है। 28 अक्तूबर को होने वाली एकेडमिक काउंसिल और 3 नवंबर को मैनेजमेंट बोर्ड की बैठक से हरी झंडी मिलने के बाद नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

तीन केटेगरी में सेलेक्शन

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 में यूजी प्रोग्राम को समग्र और बहु-विषयक दृष्टिकोण के साथ संशोधित किया गया है। इंडस्ट्री के अनुसार विशेष कौशल वाले इंजीनियर को तैयार करने के उद्देश्य से प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की तैनाती करने का प्रावधान दिया है। एमएमएमयूटी ने इस प्रावधान पर अमल शुरू कर दिया है। इनको गेस्ट फैकल्टी की तरह निर्धारित मानदेय भी दिया जाएगा। इसके अलावा तीन कैटेगरी में उनका सेलेक्शन करने का निर्णय लिया जाएगा। इसमें वॉलंटियर, शॉर्ट टाइमर व फुल टाइमर के तौर पर नियुक्त किया जाएगा।

15 साल का एक्सपीरिएंस

आज की इंडस्ट्री में स्पेशल स्किल वाले ग्रेजुएट्स की डिमांड है। ऐसे में में उद्योग जगत के विशेषज्ञों को शामिल करने से उद्योग और उच्च शिक्षण संस्थानों दोनों को लाभ होगा। वीसी प्रो। जेपी सैनी ने बताया कि इंजीनियरिंग के पढ़ाई के साथ क्लास में इंडस्ट्री से जुड़ी जानकारी भी हासिल कर सकेंगे। इससे जुड़े स्पेशियालिस्ट की 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिसÓ पद पर तैनाती की जाएगी। इसके लिए उनका अनुभव 15 वर्ष होना अनिवार्य है। इसको एकेडमिक काउंसिल और मैनेजमेंट बोर्ड की बैठक में अनुमोदन के लिए रखा जाएगा।