- 45 लाख की लूट में पकड़ा गया था पंजाब के लुटेरों का गैंग
- गुलरिहा पूर्व प्रधान मर्डर कांड में भी शामिल थे बाहरी बदमाश
GORAKHPUR: पुलिस की वेरिफिकेशन में लापरवाही और टूटता नेटवर्क शहर के लिए मुसीबत बन रहा है। अब तक जिले के बदमाशों से परेशान पुलिस के सामने अब परदेसी बदमाशों का चैलेंज भी खड़ा होने लगा है। जरा सी लापरवाही की वजह से अब जिले में हो रही सुपारी किलिंग से लेकर लूटपाट तक की वारदातों में गैर प्रदेशों के शातिरों का नाम सामने आ रहा है। अंतरप्रांतीय बदमाश अब मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। जांच के बाद जिले में ऐसे कुल 376 अपराधियों के बारे में जानकारी मिली है। हाल के दिनों में दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल से जुड़े हुए कुल 17 बदमाश हाल के दिनों में अरेस्ट हुए हैं। पूर्व में हुई घटनाओं में भी इनका नाम आ चुका है।
रिकार्ड में 376 परदेसी और 35 फॉरेनर क्रिमिनल
जिले में क्राइम करने वाले बदमाशों का वेरीफिकेशन कराने में पुलिस जुटी है। जांच में 15 साल के भीतर क्राइम करने वाले 12144 बदमाशों की जानकारी मिली है। इनमें 6952 बदमाश जिले के रहने वाले हैं। जबकि 1752 क्रिमिनल दूसरों जिलों से आकर गोरखपुर में क्राइम कर चुके हैं। बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, कनार्टक सहित अन्य प्रांतों के कुल 376 अपराधियों की पुष्टि हुई है।
पुलिस नहीं करा रही वेरीफिकेशन
शहर के भीतर पुलिस भले चेकिंग करती है। लेकिन किराएदारों के बारे में कोई जांच नहीं की जा रही है। डेरा बनाकर रहने वालों के बारे में जानकारी जुटाने से थानेदार और चौकी प्रभारी परहेज करते हैं। किराएदारों का वेरीफिकेशन न होने की लापरवाही भी बड़ी वजह बन रही है। पूर्व में शहर के भीतर बलिया, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर सहित प्रदेश के अन्य जनपदों के बदमाश पकड़े जाते थे। लेकिन हाल के दिनों में बदमाशों का ट्रेंड चेंज हुआ है। अब गैर प्रांतों के शातिर भी यहां ठिकाना बनाने लगे हैं।
इसलिए बाहरी बदमाश करते वारदात
- बाहरी शातिर किसी न किसी काम के बहाने अपने टारगेट की आसानी से रेकी कर लेते है।
- घटना को अंजाम देकर वह आसानी से निकल जाते हैं। उनकी पहचान भी मुश्किल होती है।
- बाहरी बदमाशों पर संदेह करने के बजाय पुलिस लोकल पर शक करके जांच करती है।
- एक बार स्थान छोड़ने के बाद पुलिस के लिए भी उनको अरेस्ट करना आसान नहीं होता।
- पकड़े जाने के बाद भी उनको स्थानीय कोर्ट में ले जाने के लिए पुलिस को लंबी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।
इन मामलों में पकड़े गए परदेसी बदमाश
गोरखनाथ में टप्पेबाजी, लूटपाट को दिया अंजाम
16 जुलाई 2021: गोरखनाथ एरिया में डेढ़ लाख रुपए की टप्पेबाजी, चेन लूट सहित अन्य घटनाओं में परदेसी बदमाश पकड़े गए। पुलिस की जांच सामने आया कि पश्चिम बंगाल, हरियाणा के पानीपत, दिल्ली, गाजियाबाद, अलीगढ़ और बिहार के नौ बदमाश पकड़े गए। इनमें एक महिला भी शामिल है। पुलिस की जांच में सामने आया सभी घूम-घूमकर विभिन्न जिलों में रेकी करते हैं। इसके बाद मौका मिलते ही लूटपाट करके फरार हो जाते हैं।
रामगढ़ताल एरिया में डकैती की योजना गढ़ते धरे गए शातिर
11 जुलाई 2021: रामगढ़ताल एरिया में डकैती की योजना बनाते बदमाश आठ बदमाश पकड़े गए। सभी गुजरात के तीन बदमाशों सहित मुरादाबाद, बांदा और महराजगंज जिले को रहने वाले हैं। सभी यहां पर होटलों में कमरा रहने लगे। टप्पेबाजी, लूट सहित सहित अन्य घटनाओं को अंजाम देते रहे। यह गैंग डकैती डाल पाता। इसके पहले पुलिस ने दबोच लिया।
गुलरिहा के बीजेपी नेता मर्डर कांड सुपारी किलर निकले परदेसी
02 अप्रैल 21: गुलरिहा एरिया के भाजपा नेता बृजेश सिंह मर्डर की सुपारी पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदमाशों ने ली थी। भूमि विवाद में नेता की हत्या के लिए भूमि बेचने से मिली रकम के बदले 20 प्रतिशत हिस्सेदारी की बात तय हुई थी। बृजेश सिंह मर्डर के लिए सुपारी किलर पंजाब से बुलाए गए। सतनाम और राजवीर सिंह ने अन्य साथियों संग मिलकर नेता की हत्या कर दी। बाद में बरेली पुलिस ने मुठभेड़ में शूटरों को अरेस्ट किया।
राजघाट के पांडेयहाता में पंजाब के लुटेरों ने लूटे थे 45 लाख
02 मार्च 2021 राजघाट एरिया के अमृतसर के ज्वेलरी कारोबारी शैलेंद्र सिंह से 45 लाख रुपए की लूट हुई थी। इस घटना में पुलिस ने लोकल बदमाशों पर शक किया। जांच के दौरान सामने आया कि अमृतसर के रहने वाले संतोख सिंह उर्फ हीरा, पंजाब पुलिस के भगोड़े प्रदीप कुमार ने अपने साथियों संग लूटपाट की। पुलिस की मामूली लापरवाही से बदमाशों का सुराग नहीं लग पाता। तत्कालीन एसएसपी जोगेंद्र कुमार की मानीटरिंग में बदमाश पकड़े गए।
सभी बदमाशों का रिकार्ड दुरुस्त किया जा रहा है। सभी का वेरीफिकेशन कराया गया है। इस दौरान अन्य प्रांतों के कुल 376 अपराधियों का रिकार्ड सामने आया है। सभी की निगरानी बढ़ाने के लिए संबंधित थानों की पुलिस से संपर्क किया जाएगा।
दिनेश कुमार पी, एसएसपी
बदमाश जहां भी मौका पा रहे हैं। वहीं पर क्राइम कर रहे हैं। दूसरे प्रांत में अपराध करने से बचने की गुंजाइश ज्यादा रहती है। यदि रंगे हाथ नहीं पकड़े गए तो पुलिस भी आसानी से उनको गिरफ्तार नहीं कर पाती। लोकल बदमाशों को लोग आसानी से पहचान लेते हैं। लेकिन बाहरी कोई जानता नहीं है। उनके रहने, छिपने और घटना के लिए रेकी करने में आसानी होती है।
शिवपूजन यादव, रिटायर, डीएसपी