गोरखपुर (ब्यूरो)।महज एक से दो परसेंट मामलों में कारण समझ तो आ रहे हैं, लेकिन अन्य मामलों में कारणों का पता पहीं चल पा रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग में इस प्रॉब्लम से हर दिन 20 से 25 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। इस पर विभाग ने मरीजों का डाटा एकत्र कर शोध का फैसला लिया है।
प्रसव से पहले एबॉर्शन
जिले की 20 से 25 परसेंट महिलाएं प्रेग्नेंट तो हो रही है, लेकिन प्रसव से पहले उनका एबॉर्शन हो जा रहा है। यह प्रॉब्लम केवल एक बार की नहीं, बल्कि दो से तीन बार की है। इसकी वजह से ऐसी महिलाओं को मां बनने का सुख प्राप्त नहीं हो रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की एचओडी डॉ। वाणी आदित्य ने बताया कि इस तरह के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हर दिन 20 से 25 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आ रहे हैं।
पैदा हो रहे मृत शिशु
ऐसे मरीजों में अब तक केवल एक कारण समझ आए हैं वह एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम। इस सिंड्रोम की वजह से महिलाओं में ब्लड का थक्का बनने लगता है, जो गर्भपात का कारण बन रहा है। इस सिंड्रोम की वजह से शिशु मृत भी पैदा होता है। ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बताया कि एक से दो परसेंट केस में मामले समझ में तो आ जा रहे हैं, लेकिन अन्य केस को जानने के लिए कई तरह की जांचें करानी पड़ेंगी। इसकी तैयारी की जा रही है। मरीजों का पूरा डाटा एकत्र किया जा रहा है। शोध के बाद यह पता चल सकेगा कि आखिर बड़ी वजह क्या रही है?
टांगों में बन रहा ब्लड का थक्का
डॉ। वाणी आदित्य ने बताया कि एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम में गर्भवतियों के टांगों में ब्लड का थक्का बन रहा है। इस साइंस की भाषा में डीप ब्रेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) कहते हैं। इसमें थक्के टांग में विकसित होकर ब्लड के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाता है। ब्लड गाढ़ा हो जाता है। इस स्थिति में मरीज को पल्मोनरी एम्बोलिस्म हो जाता है। इसकी वजह से महिला को बार-बार गर्भपात होता है या मृत बच्चा पैदा होता है। महिलाओं को यह लक्षण समझ में नहीं आते है। जब तक मरीज को परेशानी शुरू होती है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। हालांकि, यह मामले केवल एक से दो परसेंट मरीजों में होते हैं।
इन मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इलाज से वह प्रेग्नेंट भी हो रही है। प्रेंग्नेंसी के बाद उन्हें यह सलाह दी जा रही है कि हर दो माह पर डॉक्टर से सलाह लेती रहे, जिससे की होने वाले गर्भपात को रोका जा सकें।
डॉ। वाणी आदित्य, एचओडी स्त्री व प्रसूति रोग विभाग बीआरडी