गोरखपुर (ब्यूरो)। डेस्टिनेशन के लिए बसें न मिलने से पैसेंजर पैदल ही गंतव्य की ओर चल पड़े, तो कुछ बस स्टेशन से अपनों को पल-पल की अपडेट मोबाइल पर देते रहे। बसों के संचालन ठप होने से स्थानीय प्रशासन परेशान दिखा। ट्रक, ऑटो एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ पुलिस लाइन में वार्ता के बाद अधिकारी इन्हें मनाने में विफल रहे।
सहजनवां मेें खड़े रहे ट्रक
हिट एंड रन को लेकर चल रहे विरोध के दूसरे दिन असुरन चौक, मोहद्दीपुर, परतावल, भटहट आदि जगहों समेत कई जगहों पर ड्राइवर द्वारा सवारी ढोने पर उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। मंगलवार सुबह 6 बजे से ही सहजनवां में ट्रकों की लंबी कतार लग गईं। वहीं, बस अड्डों पर बसें पहले की तरह ही ठप रहीं। शहर के अंदर बैट्री रिक्शा चालकों ने भी पूरी तरह से संचालन बंद रखा। अगर किसी बैट्री-रिक्शा या ऑटो चालक ने सड़क पर गाड़ी उतारने का प्रयास किया तो साथी चालकों ने उसे रोक दिया।
खुद के साधन से गए घर
रोडवेज बस चालकों ने जहां-तहां बस खड़ी कर विरोध-प्रदर्शन किया। अभी बस चालकों को पुलिस समझा रही थी कि धर्मशाला और रेलवे स्टेशन के पास ऑटो चालकों ने जाम लगा दिया। वे भी रोडवेज चालकों के जाम के समर्थन में आ गए। इसके बाद आवागमन बाधित हो गया और यात्रियों की मुसीबत बढ़ गई। ट्रेन से उतरने वाले यात्री खुद के साधन से या फिर पैदल घर जाते हुए नजर आए। वहीं, दूसरी ओर शहर से बाहर जाने वालों की भीड़ रेलवे स्टेशन पर पहुंची और जैसे-तैसे अपनी यात्रा पूरी की। सुबह करीब 11 बजे सहजनवां में जाम को खत्म कराया गया, जिसके बाद हाइवे पर संचालन शुरू हो सका।
ट्रांसपोर्ट व्यवस्था ध्वस्त
ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। ऐसे में यात्री ऑटो का सहारा ले रहे हैं उन्हें हड़ताली रोक रहे हैं। सवारी उतारकर मारपीट करने पर उतारू हैं। दरअसल, देशभर में चल रहे इस आंदोलन का असर गोरखपुर में और बड़ा होता दिख रहा है। आलम यह है कि भोर से ही बस और ऑटो ड्राइवर जहां-तहां अपनी गाड़ी खड़ी कर चले गए। इससे यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। नए कानून के तहत हिट एंड रन केस में अब 10 लाख रुपए का जुर्माना और सात साल सजा तय कर दी गई है। इसे लेकर देशभर में ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने विरोध की अगुवाई की है। सभी शहरों में चक्का जाम कर दिया गया है।
अफसरों संग बैठक बेअसर
हड़ताल के समाप्त कराने के उद्देश्य से विभिन्न यूनियनों की एक मीटिंग पुलिस लाइन के सभागार में हुई। बैठक में एडीएम सिटी अंजली कुमार, आरटीओ प्रशासन संजय कुमार झा, एसपी ट्रैफिक श्याम देव के साथ सभी वाहन चालक, वाहन स्वामी, विभिन्न ट्रक एसोसिएशन, बस ऑपरेटर एसोसिएशन, टेंपो संचालक संगठन, टैंकर संगठन, ई-रिक्शा संगठन के साथ प्राइवेट कार टैक्सी संगठन ने भी अपना विरोध दर्ज कराया। साथ ही संबंधित अधिकारियों के जरिए केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा, लेकिन अधिकारियों द्वारा लगातार दवाब बनाने के बाद भी वार्ता विफल रही। बैठक में ट्रांसपोर्ट के ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री आरपी सिंह, प्रदेश मीडिया प्रभारी विनोद दुबे, प्रदेश संगठन मंत्री से अजय शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद सिंह, अशोक यादव, रंजन त्रिपाठी समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
पैसेंजर कोट्स
हरियाणा से आ रहा हूं, पडरौना जाना है। लेकिन बस वाले जाने को तैयार नहीं हैैं। जबकि सारी बसें वर्कशाप और स्टेशन परिसर में खड़ी हैैं। अधिकारी बस संचालन के मूड में नजर आ रहे हैैं, लेकिन ड्राइवर तैयार नहीं हैैं।
वीरेंद्र, पैसेंजर
मुझे महराजगंज जाना है। एक भी बस संचालित नहीं हो रही है। बहुत दिक्कत हो रही है। कोई प्राइवेट बस या टैक्सी वाला भी जाने को तैयार नहीं है। बहुत दिक्कत हो रही है।
सूरज, पैसेंजर
दिल्ली से आ रहा हूं, महराजगंज जाना है। एक भी बस नहीं चल रही है। कोई टैक्सी भी नहीं जाने को तैयार है। पांच महीने बाद घर आया हूं, लेकिन घर जाने के लिए साधन नहीं मिल रहा।
रोहित, पैसेंजर
मैैं उत्तर प्रदेश दौरे पर हूं। लेकिन ड्राइवर मानने को तैयार नहीं हैैं। स्थानीय प्रशासन के साथ मीटिंग भी हुई, लेकिन कोई बात नहीं बनी। केंद्र सरकार जब तक यह कानून वापस नहीं लेगी। तब तक यह स्ट्राइक जारी रहेगी।
अजय सिंगला, वाइस प्रेसीडेंट, ऑल इंडिया, संयुक्त मोर्चा
स्थानीय प्रशासन के साथ पुलिस लाइन में बैठक हुई थी, लेकिन वार्ता सफल नहीं रही। ड्राइवर्स गाड़ी चलाने को तैयार नहीं हैं, वह इस कानून का विरोध कर रहे हैैं। वैसे भी यह विरोध जायज है। इस काले कानून का हम भी विरोध करते हैैं। यह वापस होना चाहिए।
अजय कुमार शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री, यूपी ट्रक संचालक संगठन गोरखपुर
यात्रियों को दिक्कत न हो। इसके लिए रेलवे बस स्टेशन पर यात्रियों को यूपी रोडवेज की बसों से उनके गंतव्य तक ले जाने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए प्रत्येक बस में कुछ दूरी तक पुलिस फोर्स भी तैनात की जाएगी, ताकि तोडफ़ोड़ न हो, कुछ बसें संचालित भी हुई हैैं।
कृष्णा करुणेश, डीएम गोरखपुर
ये ड्राइवर स्ट्राइक पर
प्राइवेट बसों के ड्राइवर - 350
रोडवेज बस के ड्राइवर - 1100
ई-रिक्शा ड्राइवर - 6750
ट्रक ड्राइवर - 10,500