- प्रेगनेंसी के दौरान पाई गई खून की कमी और कम वजन
- स्वास्थ्य विभाग ने ऐसी प्रसूताओं को हाई रिस्क प्रेगनेंसी श्रेणी में रखा
- सीएचसी व जिला महिला अस्पताल पर हर हफ्ते की जाएगी स्वास्थ्य जांच
GORAKHPUR: जिले में करीब 1700 प्रसूताओं को जान का खतरा है। वजह है उनके शरीर में खून की कमी के साथ ही वजन कम होना। हेल्थ विभाग ने एक हफ्ता अभियान चलाकर ऐसी महिलाओं की पहचान की है। इन प्रसूताओं को स्वास्थ्य विभाग निगरानी में ले चुका है।
40 हजार जांच का था लक्ष्य
जिले मे मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर बीते 14 अक्टूबर से अभियान शुरू किया गया। इसके तहत 19 ब्लॉक व शहरी एरिया में 40 हजार गर्भवती महिलाओं की जांच का लक्ष्य रखा गया। आठ दिन चले अभियान में एएनएम और आशाओं ने 29,015 प्रसूताओं की जांच का लक्ष्य रखा, जिनमें करीब 26 हजार की जांच की गई। इस अभियान में 1,713 महिलाएं ऐसी मिलीं जिनका वजन 40 किग्रा से कम था। इतना ही नहीं उनका हिमोग्लोबीन भी सात ग्राम से कम मिला है। इन प्रसूताओं को हेल्थ विभाग ने हाई रिस्क प्रेगनेंसी की श्रेणी में रखा है।
हर हफ्ते होगी जांच
हाई रिस्क प्रेगनेंसी के दायरे में आई प्रसूताओं का स्वास्थ्य सुधारने के लिए विभाग ने बड़ी कार्ययोजना बनाई है। इसके तहत प्रसूताओं की नजदीक के सीएचसी व जिला महिला अस्पताल पर हर हफ्ते स्वास्थ्य जांच की जाएगी। इन महिलाओं को कैल्शियम व आयरन की दवाएं नि:शुल्क दी जाएंगी। साथ ही वजन व हिमोग्लोबीन बढ़ाने के लिए पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए भी इंतजाम किया जाएगा।
यह है मानक
विशेषज्ञ के अनुसार सुरक्षित प्रसव के लिए महिला के शरीर में 11 ग्राम हिमोग्लोबीन होना चाहिए। इसमें गर्भावस्था की शुरुआत में प्रसूता का वजन 40 किलोग्राम से अधिक होना चाहिए। उसे दोनों वक्त पूर्ण पौष्टिक आहार ही लेना चाहिए।