- बेमौत मारे गए लोग, जिले में साल भर में हुई 145 हत्याएं

- आज भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे शहरवासी

GORAKHPUR: साल 2015 शहरवासियों को खट्टी-मीठी यादें दे गया। कई नई सौगातें मिली, तो वहीं अपराध के मामले में नंबर वन का तमगा भी मिला। चोरी, लूट, डकैती और हत्या के मामले में गोरखपुर कहीं से भी पीछे नहीं रहा। चुनावी रंजिश हो या फिर जमीनी विवाद, पैसों का लेन-देन हो या फिर आपसी झगड़े। इसकी आंच ऐसी निकली कि इससे हर माल 12 जिंदगियां झुलस गई। आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में करीब 145 हत्याएं हुई हैं, जोकि पिछले साल के आंकड़ें से ज्यादा है। साल 2014 में करीब 140 हत्याएं हुई थी। मंडल में 243 हत्याएं पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज की गई।

नहीं बदला क्राइम का ग्राफ

साल खत्म होने के साथ गोरखपुर शहर में काफी बदलाव देखने को मिले। बस नहीं बदल सका तो है क्राइम का ग्राफ। पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी आंकड़ों में किसी तरह की कमी नहीं आ सकी। कई घटनाओं पर पुलिस ने वर्कआउट भी किया, लेकिन चर्चित मामलों में पुलिस खुलासा करने में नाकाम रही। पुलिस के रिकॉर्ड में 145 हत्याएं हुई हैं, मगर इनमें तमाम ऐसी घटनाएं भी हैं जिसमें पुलिस ने लोगों की जिंदगी खत्म होने के बाद भी मुकदमा नहीं दर्ज किया। वहीं कुछ लोग को कोर्ट का सहारा लेकर मुकदमा दर्ज करवाना पड़ा।

आज का सूचना तंत्र कमजोर

पुलिस की नाकामी के पीछे कई बातें सामने आई। इसमें सबसे ऊपर पुलिसिया सूचना तंत्र है। ब्रिटिश काल में स्थापित पुलिस का मुखबिर तंत्र मजबूत हुआ करता था। पुलिस के नाम पर अपराधियों के पसीने छूट जाते थे। वहीं कप्तान का मुखबिर तंत्र अलग हुआ करता था। इसे मजबूत करने के लिए शासन स्तर पर मद की व्यवस्था थी, लेकिन आज यहां दोनों नहीं है। पुलिस आज मुखबिर के नाम पर फेल साबित हो रही है। अब चिटपुट अपराधियों को पकड़कर मुखबिरी का दबाव बनाती है। अपराधियों की धरपकड़ के लिए पुलिस सिर्फ इलेक्ट्रानिक सर्विलांस के भरोसे ही रह गई है।

क्राइम ग्राफ -

वर्ष घटनाएं

2014 140 हत्या

2015 145 हत्या

2015 की चर्चित हत्याएं

- शाहपुर के झरना टोला ठाणो लाइन सीआरपीएफ जवान की पत्‍‌नी समेत चार की हत्या

- गोरखनाथ एरिया में अधिवक्ता विजय श्रीवास्तव की निर्मम हत्या

- बेलीपार के मेहरौली में भीषण डकैती के बाद युवक की हत्या

- पिपराइच के जंगल छत्रधारी में चार मर्डर

- खोराबार में पति ने पत्‍‌नी और बच्चे की हत्या कर खुद जान दी

- चिलुआताल में पति ने पत्‍‌नी की हत्या कर आत्महत्या की

क्राइम ग्राफ

क्राइम 2015 2014

डकैती 4 3

लूट 151 137

कुल चोरी 1037 946

फिरौती में अपहरण- 1 1

अपहरण 261 284

दहेज हत्या 36 62

रेप 87 98

नोट

यह आंकड़े पुलिस रिकार्ड मे 1 जनवरी 2015 से 15 दिसंबर तक के हैं।

हत्याओं की कई वजह हो सकती है। लोग बदले की भावना, आक्रोश में आकर, प्री प्लानिंग के तहत, लाभ और किसी सबूत को मिटाने के लिए सुनियोजित हत्याएं कर बैठते हैं। इसके साथ ही कुछ मामलों में क्रोध की क्षमता काफी होती है और वह दूसरे के खून के प्यासे बन जाते हैं और वारदात को अंजाम देते हैं। बाद में उन्हें पछतावा होता है।

डॉ। सीपी मल्ल मानसिक विशेषज्ञ

पहले की तुलना में क्राइम कंट्रोल हुआ है। पुलिस ने बड़े खुलासे भी किए हैं। फिर भी पुराने अभी कई मामले पेंडिंग हैं, जिसे जल्द ही निपटाना है। इसके लिए निर्देशित कर दिया गया है कि नये साल में पुलिस कुछ नये खुलासे करके लोगों के बीच अपनी बेहतर छवि बनाई जाए।

लव कुमार , एसएसपी

ज्यादातर हत्याओं में दौलत, आशनाई, जमीन के कारण होती है। अपराध हर युगों में होते हैं। आगे भी होते रहेंगे। इसे पूरी तरह रोका नहीं जा सकता। हां, नियंत्रण लगाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों को महत्वाकांक्षी नहीं होना चाहिए, बल्कि पेशेंस रखना चाहिए। सिर्फ पुलिस से ही नहीं बल्कि नैतिक शिक्षा से काफी हद तक क्राइम कंट्रोल किया जा सकता है।

रविशंकर पांडेय, एडवोकेट