फैक्ट एंड फिगर
222 मिलीमीटर हुई थी अप्रैल 2021 में
700 एमएम बारिश हुई मई 2021 में
925 एमएम बारिश जून 2021 में
2000 एमएम बारिश जुलाई में हुई
436 एमएम बारिश इस वर्ष 15 जुलाई तक हुई
बरेली(ब्यूरो)। बरसात के सीजन में मौसम का मिजाज कुछ ऐसा है कि कहीं भरी बरसात में सूरज की तपिश बेहाल किए है तो कहीं राहत भी आफत बनकर टूट रही है। गर्मी से राहत दिलाने वाली बारिश भले ही देश के कई शहरों कहर बरपा रही हो, पर बरेली में अब भी गर्मी पूरे सबाब पर है। सूरज की तपिश लोगों को झुलसा रही है। इससे राहत पाने के लिए बरेलियंस मानसून की मेहरबानी का इंतजार कर रहे हैं और बारिश के लिए तरस रहे हैं। जुलाई में भी मानसून की सक्रियता का आलम ऐसा है कि अब तक सिर्फ एक ही दिन झमाझम बारिश हुई है। बरेली में इस साल अप्रैल से लेकर जुलाई तक बारिश का आंकड़ा बीते वर्ष की तुलना में रसातल पर है।
प्री मानसून भी दे गया गच्चा
बारिश का सीजन यूं तो 15 जून से माना जाता है, पर इससे पहले प्री मानसून की राहतभरी बौछार होते रहती है। बरेली में बीते साल अप्रैल में गर्मी की शुरुआत से ही यह राहत भरी बौछार पडऩे लगी थी। जिला प्रशासन के पास उपलब्ध जिलेभर की बारिश के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2021 में कुल बारिश 222 मिलीमीटर हुई थी, जबकि इस साल अप्रैल में यह आंकड़ा शून्य है।
इस साल नाम मात्र की बारिश
इस साल अप्रैल से लेकर जुलाई में अब तक हुई बारिश का आंकड़ा बीते वर्ष का एक तिहाई भी नहीं है। जिला प्रशासन के पास उपलब्ध बारिश के आंकड़ों पर गौर करें तो बीते साल मई में कुल बारिश 700 एमएम के करीब हुई, जबकि इस साल मई में कुल 263 एमएम बारिश हुई है। इसी तरह बीते साल जून में जिलेभर की बारिश आंकड़ा 925 एमएम है तो इस साल जून में कुल बारिश 253 एमएम ही रिकार्ड की गई है। बीते साल जुलाई में कुल बारिश 2000 एमएम के पार हुई तो इस साल 15 जुलाई तक कुल 436 एमएम बारिश ही जिला प्रशासन के आंकड़ों में दर्ज है।
किसान से आम जन तक परेशान
मानसून का असर आम जन के जीवन से किसान तक होते हुए सरकार की अर्थव्यवस्था तक पहुंचता है। सीजन में अधिक या कम बारिश होने से किसानों की फसल प्रभावित होती है और इससे देश की अर्थव्यवस्था तक में उतार-चढ़ाव आता है। इस साल जुलाई में अब तक नाम मात्र की बारिश होने से किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं। जो किसान किसी तरह रोपाई कर भी रहे हैं तो उनके सामने फिर फसल को तेज धूप से बचाने का संकट खड़ा हो रहा है। बारिश की कमी के चलते जिले में धान की रोपाई लेट हो रही है और इसका सीधा असर फसल की उपज पर पड़ेगा। इस तरह सीजन में अब तक बारिश नहीं होने से आम लोग तो परेशान हैं ही, किसान उनसे ज्यादा परेशान हैं।
पौधरोपण पर सूखे का संकट
प्रदेश में हरियाली बढ़ाने को शासन के 35 करोड़ पौधरोपण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में 42 लाख पौधे रोपित होने हैं। अभियान शुरू होने के बाद से जिले में लाखों पौधे रोपित भी हो गए हैं। ट्रांसप्लांट किए गए इन पौधों को बचाने के लिए बारिश की जरूरत होती है, पर तब से यह पौधे सूरज की तपिश में झुलस रहे हैं। इससे कई जगह पौधे सूख भी गए हैं। बारिश नहीं होने से रोपित पौधों को बचाना संबंधित विभागों के लिए भी बड़ी चुनौती बन रहा है।
बारिश का आंकड़ा (एमएम) में
वर्ष अप्रैल मई जून जुलाई
2021 222-698.9-924.8-2050.1
2022 00 -263-253.20-436.5