- बरेलियंस पर चढ़ा चुनावी मुद्दे का रंग

- यूथ में चुनाव को लेकर काफी उत्साह

BAREILLY: लोकसभा इलेक्शन को लेकर बरेलियंस में गजब का उत्साह है। बरेलियंस इलेक्शन में ट्विस्ट होने की संभावना जता रहे हैं। चाहे बात पार्टी लेवल की हो या फिर पब्लिक लेवल की। कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स भी बदलाव की सोच रहे हैं। सैटरडे को बरेली कॉलेज के ग्राउंड में चेयर पर बैठे स्टूडेंट्स कुछ ऐसे ही मुद्दों पर चर्चा करते देखे गए। इसी बीच 'हैं तैयार हम' कैंपेन के तहत बीसीबी पहुंची 'आई नेक्स्ट' की टीम ने स्टूडेंट्स के बीच सेलेक्ट किए गए चुनावी मुद्दे को छेड़ दिया। फिर क्या था स्टूडेंट्स का डिस्कशन चुनाव को लेकर घंटों तक चलता रहा।

नेता जी की इमेज भी व्हाइट

कॉलेज में स्टूडेंट्स यूनियन से जुड़े अभय चौहान डिस्क्शन के दौरान काफी एक्साइटेड रहे। उन्होंने कड़े लहजे में कहा कि व्हाइट कपड़े की तरह नेताजी की इमेज भी व्हाइट होनी चाहिए, लेकिन अमूमन ऐसा नहीं है। वर्तमान में नेताजी करप्शन में ज्यादा इंवॉल्व रहते हैं। चाहे बात 2जी या सीडब्ल्यूजी घोटाले की हो। साफ सुथरी छवि वाले व्यक्ति को गवर्नमेंट बनाने का हक होना चाहिए न की करप्शन में इंवॉल्व व्यक्ति को।

स्थानीय मुद्दों पर हो काम

अभय को बीच में रोकते हुए नरेंद्र कन्नौजिया ने कहा कि आप बिल्कुल ठीक कह रहे हो ' मैं भारत का नागरिक हूं' मानकर काम करने वाले नेता ही देश के लिए कुछ कर सकता है। इंसान की बेसिक जरूरत क्या है। सड़क, बिजली, पानी, महंगाई और एजुकेशन। अगर गवर्नमेंट ये सुविधाएं मुहैया कराती हैं तो निश्चित तौर पर देश विकास की रफ्तार पकड़ लेगा। देश के डेवलपमेंट के लिए इन मुद्दों पर काम करना बेहद जरूरी है।

युवा ब्रिगेड हो एकजुट

इस बीच नरेंद्र अति उत्साहित हो उन्हें बीच में ही रोक दिया। उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में यूथ ब्रिगेड को आगे आना होगा। क्योंकि उनके सामने बेरोजगारी की समस्या है और अगर वे चाहें तो देश के भविष्य को बदल सकते हैं। इस बार सबसे ज्यादा यूथ वोटर्स ही रजि‌र्स्टड हैं। इसलिए यूथ ब्रिगेड को एक जुट होने की जरूरत है। युवाओं पर ही देश का भविष्य डिपेंड करता है। युवा सोच और युवा शक्ति ही देश की पहचान व‌र्ल्ड में दिला सकते हैं।

नेता जी करें मंथन

कविश राठौर ने भी उनके इस लॉजिक पर अपनी सहमति दी। गवर्नमेंट जो भी योजनाएं बनाती है उस पर मंथन किया जाना चाहिए। एक व्यक्ति सब कुछ कर सकता है। बशर्ते उसके अंदर मंथन करने के गुण होने चाहिए। मंथन से ही किसी प्रॉब्लम्स का सॉल्यूशन निकाला जा सकता है। विकसित देश योजना पर हार्ड वर्क किया जाता है। स्थानीय लेवल पर सर्वे होता है। योजना स्टार्ट करने से पहले किस तरह की समस्या आएगी इसका अनुभव सर्वे के दौरान ही पता चल जाता है। कंट्री में ऐसा कुछ नहीं है यहां पर किसी काम के लिए योजना भी बनती है और उस पर काम करने के लिए बजट भी पास होता है। मगर नतीजा कुछ भी नहीं निकलता है, जिसका खामियाजा यहां के निवासियों को भुगतना पड़ता है।

महिलाओं को मजबूत होने की जरूरत

अपनी बात कहने के लिए चेयर से खड़े होते हुए ऋषभ यादव काफी जोश में दिखे। महिलाओं की सुरक्षा पर गवर्नमेंट को सबसे अधिक वर्क करने की जरूरत है। उनके सुरक्षा इंतजाम में कई खामियां है उसे और अधिक मजबूत करने की जरूरत है। हालांकि पुलिस, एडमिनिस्ट्रेशन और गवर्नमेंट की यह जिम्मेदारी बनती है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सिर्फ प्लान बनाने से काम नहीं चलेगा। बल्कि उस पर अमल करना होगा। बेटी बचाओं अभियान तो चलाया जा रहा है लेकिन बेटी की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। कई नेता के दामन में भी दाग है। ऐसे उम्मीदवारों को बहिष्कार करने की जरूरत है।

आपके जोश को दोगुना करेंगे हम

ये वक्त खामोश बैठने का नहीं है। आप भी अपने मुद्दे को आई नेक्स्ट से शेयर कर सकते हैं। फिनिक्स मॉल में आयोजित किए जा रहे ' हैं तैयार हम' कैंपेन में शामिल होकर। ये वादा है हमारा आपके जोश व उत्साह को दोगुना करने का। तो देर किस बात की आप भी अपने मुद्दों पर अपनी राय रख सकते हैं।

Ballot byte

नेताजी काम और विचार में भी करप्शन

सिस्टमेटिक ढंग से काम करने वाला व्यक्ति ही देश के लिए कुछ कर सकता है। माना की करप्शन को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन करप्शन को कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं। नेताजी के काम और विचार दोनों में ही करप्शन दिखाई देता है। इन सबके पीछे पब्लिक भी कम दोषी नहीं है। अगर किसी नेता के खिलाफ कार्रवाई भी होती है तो उनके फेवर में हजारों लोग सड़क पर उतर आते हैं। हंगामा, आगजनी जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं। नाहक में बेकसूर मारे जाते हैं। इसका खामियाजा पब्लिक को ही भुगतना पड़ता है। आखिरकार ऐसा कब तक चलता रहेगा। नेता जी के साथ पब्लिक को भी समझना होगा। अपने अधिकारों को पाने का सबका हक है। फिर गवर्नमेंट उस हक को देने से क्यों गुरेज करती है। इलेक्शन के समय नहीं इलेक्शन के पहले पब्लिक को अपनी रणनीति तैयार करनी होगी। एक ऐसे उम्मीदवार को जीताकर सामने लाना होगा, जो सिस्टमेटिक और प्रत्येक वर्ग के लिए काम करें।

अभय चौहान, स्टूडेंट, बीसीबी