बरेली(ब्यूरो)। रक्त शब्द सुनते ही, हम सब के मन में लाल रंग के तरल पदार्थ की तस्वीर बनती है। मौजूदा समय में शहर में सैैंकड़ों लोगों को रक्त संबंधी बीमारी है। जिस कारण उन्हें समय-समय पर रक्त चढ़ाने की जरूरत होती है। साथ ही हादसे के समय भी रक्त स्त्राव से हुई कमी को पूरा करने के लिए रक्त चढ़ाना पड़ता है। लोगों में ब्लड डोनेशन के प्रति अवेयरनेस फैलाने के लिए हर वर्ष 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। इस साल विश्व रक्तदाता दिवस की थीम है, रक्तदान एकजुटता का काम है। प्रयास में शामिल हों और जीवन बचाएं। डॉक्टर्स के मुताबिक ब्लड डोनेट करने से किसी कि जान बचाने के साथ ही खुद को सेहतमंद भी रखा जा सकता है।
रक्त बचाए जान
ब्लड कई लोगों की जान बचाने का काम करते हैं, जैसे- गर्भावस्था और प्रसव से संबंधित ब्लीडिंग से पीडि़त महिलाएं, एनैमिक पेशेंट्स के लिए, आपदाओं और दुर्घटनाओं के शिकार आदि के लिए ब्लड का इस्तेमाल करते हैैं। इस दिन के लिए हर साल डब्ल्यूएचओ एक विषय तय करता है। जिससे स्वैच्छिक ब्लड डोनेशन को बढ़ावा मिल सके।
तीन माह बाद करें डोनेट
डॉक्टर्स के अनुसार पुरूष तीन माह बाद रक्तदान कर सकते हैं। वहीं महिलाएं चार माह बाद कर सकती हैं। रक्तदान के 24 से 48 घंटे के अंदर रक्त बनने लगता हैै। 18 से 65 वर्ष उम्र का कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। इसके लिए पुरुषों का वजन 45 किलोग्राम से अधिक होना चाहिए व महिलाओं का वजन 50 किलोग्राम से ज्यादा होना जरूरी है।
क्यों मनाते हैैं
विश्व रक्त दाता दिवस कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती के रूप में मनाया जाता है। जिनका जन्म 14 जून 1868 को हुआ था। उन्हें एबीओ ब्लड ग्रुप सिस्टम की खोज करके स्वास्थ्य विज्ञान में उनके अपार योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस दिन लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए अवेयर किया जाता है।