बिन बारिश चढ़ेगा महंगाई का पारा

बढ़ती गर्मी, बेहाल जिंदगी, रूठे बदरा इससे तंग हैं बरेलियंस। यूं तो मई में हल्की-फुल्की बारिश राहत देती है। पिछले 10 साल से मई में तकरीबन 90 एमएम तक की बारिश होती रही है पर इस साल तो बदरा रूठ ही गए हैं। आसमान है कि बस हर रोज तपिश ही बरसा रहा है। विडम्बना तो यह है यह तपिश अभी कितने दिनों तक जारी रहेगी यह कहना मुश्किल है। क्यों रूठे हैं बदरा, कैसे होगी प्री-मानसून बारिश, क्या होंगे तपिश के नुकसान सारे सवालों के जवाब देगी यह स्पेशल रिपोर्ट।

रूठे हैं बदरा

बरेली में अब तक मई में क्षेत्रीय स्तर पर सिस्टम बनने से बारिश होती रही है। इसे प्री-मानसून बारिश कहते हैं। पर इस बार सिस्टम के न बनने से बारिश नहीं हुई है। हल्की-फुल्की बारिश में छई-छपाक से गर्मी की तपिश से कुछ निजात तो मिल ही जाती है। मई के  20 दिन से ज्यादा बीत जाने के बावजूद भी बारिश होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। फिलहाल तो बरेलियंस को गर्मी की मार झेलनी ही पड़ेगी।

नहीं बन रहा कम दबाव का क्षेत्र

टेंप्रेचर स्थिर रहने की वजह से कम दबाव का क्षेत्र नहीं बन रहा है। दरअसल, पिछले आठ दिनों से चल रही राजस्थानी आंधी की वजह से पूरे वातावरण में धुंध छाई हुई है। इस धुंध की वजह से ही तापमान में वृद्धि नहीं हो पा रही है। वहीं अब तक जो हवाएं चल रही हैं वह 3-4 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं। अगर यही हवाएं 8-10 किमी प्रति घंटा रफ्तार से चलें तो ये लू का रूप लेंगी, इससे कम दबाव का क्षेत्र बनेगा और प्री-मानसून बारिश हो पाएगी। पर ऐसा नहीं हो रहा है।

बारिश के आसार नहीं

इस साल मई में अब तक का टेंप्रेचर 38-40 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच ही रहा है। वेदर एक्सपट्र्स के मुताबिक, टेंप्रेचर बढऩे पर हवा घुमावदार रूप में चलती है। कम दबाव का क्षेत्र बनने पर यह हवा हल्की होकर ऊपर की ओर उठती है। इससे हवा में ठंडक बढ़ती है, जिससे घुमावदार गति होने के कारण बादलों का निर्माण क्षेत्रीय स्तर पर होता है। जब यह बादल बरसते हैं तो इसे ही प्री मानसून बारिश कहते हैं, पर अभी ऐसे कोई भी आसार नहीं बन रहे हैं।

और बढ़ जाएगी महंगाई

अब तक बारिश न होने से खेतों में खड़ी फसलें सिंचाई की कमी के चलते बर्बाद हो रही हैं। बड़े किसान पंप से सिंचाई कर रहे हैं। ऐसे में लागत बढऩे से मार्के ट में आने पर इनकी कीमतें आसमान छुएंगी। इस समय खेतों में गन्ना, मूंग, उड़द, मौसमी सब्जियां और मक्के की फसल लगी है। पानी की कमी से इस बार क्षेत्र में मक्के की फसल ना के बराबर लगाई गई है। वैसे तो मई में जगह-जगह भुट्टे की दुकानें लग जाती थीं पर इस बार ऐसा नहीं है। वहीं मौसमी सब्जियों के दाम भी दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं।

गोरा रंग काला न पड़ जाए

बढ़ती गर्मी में स्किन डिजीज भी बढऩे लगी हैं। डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ। वीके चावला ने बताया कि गर्मी बढऩे पर पसीने की वजह से तमाम डिसीज हो सकती हैं। इसमें सबसे पहले तो पसीने की वजह से स्किन पोर्स बंद हो जाने पर घमौरियां बढ़ जाती हैं। वहीं बॉडी में पस वाले दाने, स्मेल वाले दाने निकल आते हैं। वहीं जोड़ों पर पसीना मरने की वजह से दाद होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि पेशेंट को कूल प्लेस पर रखें और टैल्क का यूज करें। इसके अलावा स्वेट से एलर्जी भी हो जाती है। जब स्वेटिंग हो रही हो तो उसे स्किन पर पोंछने से एलर्जी हो जाती है और पूरी स्किन ही काली पड़ जाती है। इससे बचने के लिए वेट टॉवल रखें और स्वेटिंग होने पर उसी से साफ करें, ताकि एलर्जी से बचा जा सके।

क्या कहते हैं आंकड़े

पिछले दस साल के  रिकॉर्ड पर नजर डालें तो बरेली में मई का औसत तापमान 40 डिग्री से ज्यादा ही रहा है और यहां बारिश भी तकरीबन 90 एमएम तक हुई है। यह हैं रिकार्ड

वर्ष    मैक्सिमम टेंप्रेचर    बारिश

      (डिग्री सेंटीग्रेड में)    (एमएम में) 

2002    44.2             18.1

2003    43.4             0.6

2004    43.5             29.0

2005    43.4             16.8

2006    42.2             93.1

2007    41.8             73.3

2008    42.6             30.8

2009    43.0             12.1

2010    43.4             8.4

2011    41.4             80.8

2012    39.0             निल

प्री-मानसून बारिश कम दबाव का क्षेत्र बनने पर होती है। इसके लिए जरूरी है कि हवाएं घुमावदार और तेज रफ्तार से चलें, जिससे बादल बन सकें और बारिश हो सके। पर मई में बारिश के आसार बनते नजर नहीं आ रहे हैं।

-डॉ। एचएस कुशवाहा,मौसम वैज्ञानिक

मौसमी सब्जियों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह बारिश न होने की वजह से सब्जियों क   लागत का बढऩा है। अगर फसल कम हुई तो सब्जियां बाहर से मंगवानी पड़ेंगी, जिससे दाम और भी ज्यादा बढ़ जाएंगे।

-शाहिद, आढ़ती