मरीजों के लिए और टेंशन बढ़ा रहे हैं टॉवर्स
बीमारी से निजात की उम्मीद लिए पेशेंट्स हॉस्पिटल की दहलीज तक पहुंचते हैं। वहीं हॉस्पिटल पेशेंट्स में कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, प्रजनन क्षमता में कमी जैसी बीमारियां उपजाने का कारक बन रहा है। ये बात आपको थोड़ी अटपटी लगे पर ये हकीकत उन हॉस्पिटल्स के लिए है, जिनकी छत पर मोबाइल टॉवर लगे हैं। साथ ही वह हॉस्पिटल भी घातक है जिनके ठीक बगल की बिल्डिंग पर मोबाइल टॉवर लगा होता है। एक्सपर्ट के अकॉर्डिंग इन टॉवर से निकलने वाली खतरनाक इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन हॉस्पिटल में आने वाले पेशेंट्स के लिए बेहद खतरनाक होती हैं।
24 घंटे झेलते हैं रेडिएशन
सिटी में ऐसे दर्जनों हॉस्पिटल्स हैं जिनकी छत पर मोबाइल टॉवर लगे हैं। ये हॉस्पिटल्स शहर के मेडिकल फिल्ड में अपनी धमक रखते हैं। सैकड़ों पेशेंट यहां इलाज करवाते हैं। हर रोज यहां आने वाले पेशेंट्स अनजाने ही एक ऐसे रेडिएशन के दायरे में रहते हैं, जिनसे उनका कोई सरोकार नहीं होता। हॉस्पिटल्स के डॉक्टर्स ये तो मानते हैं कि रेडिएशन खतरनाक होता है, मगर अपने ही परिसर में लगे इन टॉवर पर या तो चुप्पी साधते हैं या उन्हें हटाने की अप्लीकेशन पहले ही लगाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
नियम-कानून ताक पर
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, नगर निगम और बीडीए को इन खतरों से पहले ही जानकारी देने के साथ कार्रवाई की अपेक्षा कर चुका है। वहीं अगर बीडीए की मानें तो मोबाइल टावर सिटी में हॉस्पिटल्स के बिल्डिंग या उसके ठीक बगल की बिल्डिंग पर कैसे और कब लगे, इसकी जानकारी उनके पास नहीं। जाहिर सी बात है कि बिना एनओसी के चल रहे ये मोबाइल टावर अवैध की कैटेगरी में आते हैं।
यहां नहीं लगने चाहिए टॉवर
डॉक्टर्स के मुताबिक मोबाइल फोन हमारे ज्यादा करीब होते हैं। उससे नुकसान ज्यादा होता है, लेकिन उससे भी ज्यादा परेशानी टॉवर से होती है। मोबाइल का इस्तेमाल हम लगातार नहीं करते हैं। जबकि टॉवर लगातार चौबीस घंटे रेडिएशन फैलाते हैं। यहीं कारण है कि स्कूल, हॉस्पिटल जैसे इमारतों पर ऐसे टॉवर नहीं लगने चाहिए। इतना ही नहीं ऐसी इमारतों के आस-पास की इमारतों पर भी मोबाइल टॉवर लगाने पर पाबंदी है. एक्सपर्ट की राय है कि मोबाइल पर अगर हम 1 घंटा बात करते हैं, तो उसकी रिकवरी के लिए हमारे पास 23 घंटे होते हैं। जबकि टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन की जद में हम लगातार रहते हैं, जिसका का सबसे ज्यादा बुरा असर बच्चों और पेशेंट पर पड़ता है।
100 गुना ज्यादा रेडिएशन
मोबाइल टॉवर के 300 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। ऐंटिना के सामने वाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती है। मोबाइल टॉवर से होने वाले नुकसान में ये बात भी अहमियत रखती है कि घर पर टॉवर ऐंटिना के सामने है या पीछे। टॉवर के एक मीटर के दायरे में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा एंटिना लगे होंगे, उतना ही ज्यादा रेडिएशन होगा।
क्या होती है प्रक्रिया
टॉवर लगाने के लिए मोबाइल फोन कंपनियों को भवन स्वामी से लिखित करार करते हुए रजिस्ट्री विभाग के माध्यम से तय दर पर स्टाम्प शुल्क अदा करना पड़ता है। विकास प्राधिकरण या नगर निगम को सूचित कर भवन के टॉवर का बोझ उठाने की क्षमता का एनओसी लेना होता है। साथ ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड की एनओसी की जरूरत होती है। इसके बाद नगर निगम ऐसी इमारतों को कॉमर्शियल टैक्स चार्ज करता है।
खतरनाक है मोबाइल रेडिएशन
रिसर्च के मुताबिक मोबाइल टॉवर के रेडिएशन में रहने से प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर और ब्रेन ट्यूमर की आंशका हो सकती है। दरअसल हमारी बॉडी में 70 परसेंट पानी होता है। दिमाग में 90 फीसदी तक पानी होता है। यह पानी धीरे-धीरे बॉडी रेडिएशन को अब्जॉर्ब करता है। लगातार ऐसा होने पर सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है। बीते साल आई डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल टॉवर का रेडिएशन कैंसर तक होने की आंशका होती है. एक स्टडी में कहा गया कि हर दिन आधे घंटे या उससे ज्यादा मोबाइल के रेडिएशन में रहने वाले रेजिडेंट्स में 8 से 10 साल में ब्रेन ट्यूमर होने की आंशका 200-400 फीसदी बढ़ जाती है।
ये सही है कि रेडिएशन ह्यूमन बॉडी के लिए बहुत खतरनाक होता है। एक टॉवर हमारे हॉस्पिटल पर लगा हुआ है, जबकि 4 बगल की मार्केट की बिल्डिंग पर लगे हुए हैं। मैं इस बारे में आपको ज्यादा कुछ नहीं बता पाऊंगा।
डॉ.अजय कुमार अग्रवाल, ओम शांति हॉस्पिटल
इस टॉवर को हटवाइए। ये टॉवर मेरे हसबैंड ने लगवाया था। काफी समय से लगा हुआ है। मैंने डीएम और एसएसपी ऑफिस में इस टॉवर को हटाने के लिए पहले ही अप्लीकेशन लगा रखी है।
डॉ.अरू णा व्यास, तरूण हॉस्पिटल एंड फर्टिलिटी सेंटर
मोबाइल टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन से वाकई बहुत नुकसान होता है। इसको हटाने के लिए हमारी तरफ से कोई प्रयास तो नहीं हुआ है। मगर हम जल्द अप्लीकेशन लगाएंगे, ताकि इसे हटाया जा सके।
डॉ.प्रतिमा गुप्ता, अजय प्रतिमा हॉस्पिटल
मेरे संज्ञान में नहीं है कि हॉस्पिटल्स पर ये मोबाइल टॉवर कैसे लग गए। क्योंकि इन्हें एनओसी जारी ही नहीं हो सकती थी। अगर ऐसा है तो ऐसे टॉवर के खिलाफ हम कार्रवाई करेंगे। इन्हें नोटिस जारी की जाएगी और हटाया जाएगा।
राजमणि यादव, वीसी, बीडीए
ये टॉवर मेरे अप्वाइंटमेंट से पहले से लगे हुए हैं। हमने हाल में एक मोबाइल कम्पनी के टॉवर पर कार्रवाई का प्रयास किया था। मगर टॉवर का ओनर लखनऊ की हाई कोर्ट बेंच से स्टे ले आया था। इसके बाद हम कार्रवाई नहीं कर सके थे।
अजय कुमार, उप सचिव बीडीए
Report by: Abhishek Mishra