दौड़ में कई पार्टियां
करीब 6 साल बाद स्टूडेंट्स यूनियन के इलेक्शन होने वाले हैं। पॉलीटिक्स में इंट्रेस्टेड और इसमें अपनी पैठ जमाने वाले युवाओं में गजब का जोश देखा जा सकता है। कॉलेजेज और यूनिवर्सिटी कैंपस में कई पार्टियों के छात्र नेता सक्रिय हो गए हैं। यही नहीं किसी पार्टी से ताल्लुक न रखने वाले भी तमाम स्टूडेंट्स कथित तौर पर नेता जी कहलाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
कुछ भी करेगा
इलेक्शन में कूदने को आतुर छात्र नेताओं को सेशन स्टार्ट न होने से कैंपेनिंग करने का मौका नहीं मिल रहा है। ऐसे में उनके फंसे काम कराने के लिए उनके पीछे भागते हैं। माक्र्सशीट निकलवानी हो, फीस और फॉर्म के लिए काउंटर पर लंबी लाइन लगी हो, डॉक्यूमेंट्स में गलती हो गई हो। किसी भी प्रॉब्लम को वे चुटकियों में हल करने का दावा करते हैं। स्टूडेंट्स भी छात्र नेताओं का सहारा ले रहे हैं।
कर रहे हैं easy feel
स्टूडेंट्स अपना काम कराने के लिए बार-बार कॉलेजों के चक्कर नहीं काटने चाहते। ऐसे में वे खुद ही कैंपस में मौजूद इन नेताओं से गुजारिश करते हैं। विभागों के चक्कर काटने पड़े इसके लिए उन्हें कर्मचारियों को सुविधा शुल्क भी देना पड़ता है। इस झंझट से भी उनको निजात मिल जाती है।
किस तरह के काम करा रहे हैं छात्रनेता
-कॉलेज और यूनिवर्सिटी से माक्र्सशीट समेत अन्य डॉक्यूमेंट्स निकलवाना।
-काउंटर्स से एडमिशन फॉर्म दिलवाना और फीस व फॉर्म जमा करवाना।
-स्टूडेंट्स को मेरिट लिस्ट व कट-ऑफ लिस्ट की इंर्फोमेशन देना।
-एडमिशन फॉर्म जमा करने और काउंसलिंग की लास्ट डेट को बढ़ाना।
-जरूरत पड़े तो हंगामा कर कॉलेज पर दबाव डालना।
-स्टूडेंट्स की किसी भी प्रॉब्लम को लेकर प्रिंसिपल का घेराव कर देना।
LLB के admission बंद
Bareilly: एलएलबी की रजिस्ट्रेशन फीस को लेकर थर्सडे को स्टूडेंट्स ने बरेली कॉलेज में विरोध किया। इस पर छात्र नेताओं ने हंगामा खड़ा कर दिया और एडमिशन बंद करा दिया। स्टूडेंट्स का आरोप है कि कॉलेज रजिस्ट्रेशन के रूप में 500 रुपए वसूल रहा है, जो जरूरत से ज्यादा है। छात्र नेताओं ने प्रिंसिपल ऑफिस के बाहर अर्धनग्न होकर घेराव किया। उन्होंने मांग की है कि जब तक रजिस्ट्रेशन फीस कम नहीं की जाएगी, एडमिशन प्रक्रिया को शुरू नहीं करने दिया जाएगा।
Circular पास हो चुका है
एलएलबी के हेड डॉ। एमसी रस्तोगी ने बताया कि 500 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस को फाइनेंस कमेटी ने पहले ही मंजूरी दे दी थी। इसका सर्कुलर जारी कर प्रॉसपेक्ट में भी मेंशन कर दिया गया है। जो निर्णय लिया गया वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और यूनिवर्सिटी एक्ट के नॉम्र्स को ध्यान में रखकर लिया गया। इसके बावजूद बाकी गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज से यहां की फीस बहुत कम है। बीसीआई के नॉम्र्स के अनुसार इंस्पेक्शन की फीस, लीगल एड, 4 एडवोकेट, मूट कोर्ट कॉम्पिटिशन, डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा का वहन कॉलेज को ही करना है।
इसकी भरपाई फीस से नहीं हो पाती।
माक्र्सशीट लेना हो या फिर एडमिशन फॉर्म। हर काम के लिए स्टूडेंट्स को बार-बार कॉलेज के चक्कर काटना पड़ता है। ऐसे में वे खुद ही हमारे पास अपना काम कराने आते हैं। उनपर किसी तरह का दबाव नहीं है। हम भी उनका काम कर नए स्टूडेंट्स के बीच अपनी पहचान बनाते हैं।
- सुमित गुर्जर, छात्र नेता
कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन और कर्मचारियों के बीच हमारी काफी पुरानी पहचाना है। ऐसे में स्टूडेंट्स को यह पता रहता है कि उनके रूके हुए काम हम आसानी से करा देंगे। इसलिए वे हमारे पास आते हैं। हमारे दूसरे साथियों को भी प्रॉब्लम में फंसा कोई स्टूडेंट मिलता है तो वह तुरंत उसके लिए कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन से बात करता है।
- कमल हसन, छात्र नेता
हम स्टूडेंट लीडर हैं और स्टूडेंट्स का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम्स को सबके समक्ष नहीं रखेंगे तो हमारी साख क्या रहेगी। इसलिए उनकी हर समस्या को हल करने के लिए हम कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन से भिड़ जाते हैं। स्टूडेंट्स को भी यह भरोसा रहता है कि कॉलेज नहीं सुनेगा तो हम तो हैं ही।
- विशाल यादव, छात्र नेता
इस तरह से हेल्प करने से नए और पुराने स्टूडेंट्स के बीच हमारी बेहतर इमेज बनती है। वे भी खुलकर हमसे अपनी प्रॉब्लम को शेयर करते हैं। इससे पहचान बनती है जो आने वाले इलेक्शन में सहायक सिद्ध होगी। वैसे भी इलेक्शन जीतने के बाद हमें स्टूडेंट्स की ही मदद करनी होती है। अगर हेल्प से इलेक्शन में फायदा मिलता है तो क्या बुरा है।
- रजत मिश्रा, छात्र नेता