बरेली (ब्यूरो)। नगर निगम का टैक्स विभाग कितनी संजीदगी से काम कर रहा है, यह उसकी कारगुजारियों साफ पता चल रहा है। स्थिति यह है कि जहां पर दुकान व मकान नहीं है, वहां भी बिल भेजे जा रहे हंै। लगातार आ रहे बिल से आहत होकर पीडि़त ने नगर आयुक्त व नगर विकास मंत्री से शिकायत की है। वहीं जिम्मेदार मामले की जांचकर कार्रवाई की बात कर रहे हैं।

यह है आरोप
शहर के कुदेशिया फाटक निवासी विजय कुदेशिया का बांके की छावनी के पास 45 वर्षों से फर्नीचर की दुकान चला रहे हैं। आरोप है कि नगर निगम ने कुदेशिया फाटक के साथ शास्त्रीनगर में भी फर्नीचर की दुकान का बिल भेज दिया। जबकि पीडि़त की शास्त्रीनगर में कोई प्रतिष्ठान है ही नहीं। 2009 से लगातार बिल आने से परेशान विजय कुदेशिया ने मामले को नगर आयुक्त व महापौर व नगर विकास मंत्री से की है। पीडि़त विजय कुदेशिया ने बताया कि तीन लाख रुपये का गृह कर, जल कर का बिल भेजा है। शास्त्रीनगर जोन जार में आता है।

जांच में नहीं मिली दुकान
पीडि़त विजय ने बताया कि 2018 में उन्होंने महापौर उमेश गौतम से जांच की मांग तो उन्होंने निरीक्षक शिखा त्रिवेदी को एक हफ्ते में जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। निरीक्षक ने जांच में पाया कि शास्त्रीनगर में कोई फर्नीचर की दुकान है नहीं। उन्होंने पीडि़त को भविष्य में बिल नहीं आने का भरोसा भी दिया लेकिन उसके बाद भी बिल लगातार आता रहा। इसके बाद 2021 में कर निरीक्षक जे खान ने फिर से जांच की तो दुकान नहीं मिली, जिसके बाद भी बिल आना बंद नहीं हुआ। पीडि़त विजय कुदेशिया ने बताया कि शास्त्रीनगर में मिठाई, कपड़ा व टेलर समेत 15 दुकानें हैं, जिनमें एक भी फर्नीचर की दुकान नहीं है। इसके बाद भी शास्त्रीनगर में फर्नीचर दुकान चलाने को लेकर मेरे घर पर नोटिस भेजा जा रहा है। बताया कि कुदेशिया फाटक से शास्त्रीनगर की दूरी महज 500 मीटर दूर है।

वर्जन
विजय कुदेशिया को बिल भेजने की जानकारी है, इसकी जांच मैं खुद कर रहा हूं। पुरानी फाइलों को निकलवाया जा रहा है। मामले में दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। जल्दी ही मामले का निस्तारण करा दिया जाएगा।
ललतेश सक्सेना, कर निर्धारण अधिकारी