मैं कुर्माचल नगर का कम्यूनिटी पार्क हूं

पत्थर, मलबा और जंग खाई व्यवस्था ही बनी पहचान

निगम ने फेरा मुंह, समिति कर रही संवारने की कोशिश

BAREILLY: चारों ओर से साफ सुथरी सफेद दीवार की घेराबंदी। बीचों बीच बना खूबसूरत मंदिर। मंदिर तक जाने की सीढि़यां शानदार मार्बल से बनी हुई। कुछ अच्छा होने के नाम पर बस यही है मेरी खासियत। इसके साथ ही कुछ और भी है मेरी झोली में। मंदिर के पीछे पड़ा मलबा। ईट- पत्थर से पाट दिया गया मेरा सीना। जो जगह बच गई वह सूखी और बेजान रही। कुल मिलाकर बस पत्थर ही मेरी जमापूंजी बन गई है। और लोगों ने मेरी पहचान एक पार्क के तौर पर दी है। ऐसा पार्क जहां हरियाली के नाम पर न घास है और न ही पौधे। हां मंदिर की वजह से भक्तों ने कुछ पेड़ लगाए थे जो पत्थरों के बीच मुझे हरा रखने की कोशिश जरूर करते हैं। मैं हूं कुर्माचल नगर कॉलोनी का सामुदायिक पार्क। जिसकी पहचान हरियाली से ज्यादा पत्थरों से है।

निगम भी बना पत्थर

क्8 फरवरी क्99म् में बतौर पार्क मैंने पहली बार अपनी आंखे खोली। उस समय के नगर प्रमुख कुंवर सुभाष पटेल ने ही मेरी उद्घाटन कर मुझे आमजन को सौंपा। मैं भी खुश था कि कॉलोनी के सहज सरल लोगों को साफ पर्यावरण और सेहत की सौगात देने में मेरी भी भूमिका भी रहेगी। पर सपने मिट्टी हुए और उम्मीदें खाक। निगम के जिम्मेदार तब से एक बार भी मेरी सेहत देखने नहीं आए और न ही मुझे संवारने को उनकी झोली से कुछ निकला। मेरे अपने भगवान ही मेरे लिए पत्थर दिल हो गए।

समिति की कोशिश पर जिंदा

नगर निगम सीमा में आने वाली इस कॉलोनी से टैक्स वसूलने अधिकारी समय पर आते रहते हैं। मजाक तो तब लगता है जब वह मेरे सीने पर ही बैठकर कॉलोनी से टैक्स वसूलते हैं लेकिन बावजूद इसके मेरी हालत पर उनकी नजरें नीची और जुबान खामोश रहती है। कॉलोनी की सहकारी आवास समिति ने ही अपनी कोशिशों मेरे अंदर एक मंदिर बनाया। समिति ही है जिसकी कोशिशें जिंदा रखे हुए हैं। लेकिन यह कोशिशें नाकाफी हो जाती हैं। पार्क में पानी की व्यवस्था के लिए निगम का इकलौता हैंडपंप भ् साल से सूखा पड़ा है। कूड़ा उठाने वाली हाथगाड़ी जंग खाई पड़ी है।

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क्99म् में पार्क बनने से लेकर अब तक नगर निगम ने एक बार भी इसके लिए मदद नहीं की है। न ही कोई फंड या एड दी गई। जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हुआ समिति ने किया। पार्क में मलबा पड़ा है पर इसे सही कराने को निगम कभी नहीं आता। - डीएन रठूरी, लोकल

निगम की ओर से इस पार्क में एक भी पौधा नहीं लगवाया गया। टैक्स वसूली के लिए आते हैं पर पार्क की हालत नहीं सुधारते। यहां लाइटिंग की और पानी की कोई व्यवस्था नहीं। जो पेड़ लगे हैं वह समिति ने ही लगवाए हैं। - वीरेन्द्र सिंह राणा, लोकल