'दामिनी' को श्रद्धांजलि
चित्रकार संघ के सेक्रेट्री डॉ। अजय रघुवंशी ने बताया कि पूरा देश 'दामिनीÓ के लिए इंसाफ मांगने लगा तो उन्होंने भी टॉपिक 'पेंट फॉर जस्टिस' क ो लेकर अपने विचारों को कैनवास पर उतारना शुरू कर दिया। इस दौरान मंडल भर के कलाकारों ने जिस तरह से अपने गुस्से को, अपने विमर्श को रंगों के माध्यम से प्रस्तुत किया। उस अभिव्यक्ति को ही इस एग्जिबिशन में प्रस्तुत किया गया है। वास्तव में पेंटिंग में जो प्रदर्शित किया गया है, वह समाज और व्यवस्था की स्याह हकीकत को प्रदर्शित करती है। इसके जरिए चित्रकार संघ ने 'दामिनी' को श्रद्धांजलि दी है।
पेंटिंग में दिखा दर्द
पेंटिंग्स में ऑयल कलर्स, एक्रेलिक कलर्स और कोलाज वर्क का यूज किया गया है। एग्जिबिशन में लगी डॉ। अनुराधा आर्या की पेंटिंग में ग्रे शेड में बनी एक युवती और साथ में फटती हुई कलरफुल पतंग के जरिए समाज में नारी की दशा को परिलक्षित किया है। वहीं डॉ। तरुण वर्मा ने अपनी पेंटिंग में पेपर क टिंग के कोलाज वर्क के जरिए दहेज प्रथा को सटीक तरीके से प्रदर्शित किया है। एग्जिबिशन में डॉ। मुक्तामणि मिश्रा, डॉ। आंचल, पुष्पा गौतम, प्रदीप शर्मा, प्रेम सिंह गौतम, परमानंद, डॉ। टीके वर्मा आदि की पेंटिंग्स भी लगाई गई हैं।
कानून और समाज पर प्रहार
पेंटिंग्स में कानून को बेबस और लाचार दिखाया गया है। कानून के आंख के सामने लोग अवैध कार्यों में लगे हुए हैं, पर कानून की आंखों में तो पट्टी बंधी हुई है। और वह कुछ भी नहीं देख सकता है। वहीं पेंटिंग में प्रदर्शित किया गया है कि अकेली लड़की जब घर से बाहर निकलती है तो तमाम निगाहें उसे घूरती हैं, वहीं एक अन्य पेंटिंग में कटे-फटे कपड़ों में बैठी हुई लड़की पर कुछ भेडिय़े और उल्लू वार कर रहे हैं। और इसके बीच वह बमुश्किल उन चीथड़ों में भी अपनी अस्मत बचाने की कोशिश कर रही है। इस पेंटिंग ने एग्जिबिशन देखने आए विजिटर्स को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया।