- महिला सुरक्षा को लेकर आईएमए हॉल में सेमिनार
- सिटी के बुद्धिजीवियों ने महिला सुरक्षा पर विचार व्यक्त किए
- सेमिनार में ऑडियंस ने विशेषज्ञों से जाना समस्या का समाधान
BAREILLY: 'महिला की सुरक्षा और सामाजिक सहभागिता' सब्जेक्ट पर डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से थर्सडे को एक दिवसीय सेमिनार आयोजित हुआ। सेमिनार में शासन-प्रशासन, एजूकेशन, डॉक्टर्स,मीडियाकर्मी और सिटी के बुद्धिजीवि मौजूद रहे। आईएमए हॉल में आयोजित सेमिनार में लोगों ने महिलाओं के साथ हो रही ईव टीजिंग, रेप, मर्डर जैसी घटनाओं पर विचार व्यक्त किए। विगत दिनों बरेली में हुई घटनाओं पर भी लोगों ने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वसीम बरेलवी ने किया। कार्यक्रम में कमिश्नर के रविन्द्र नायक, डीआईजी आरकेएस राठौर, डीएम अभिषेक प्रकाश, एसएसपी जे। रविंद्र गौड, सीएमओ विजय यादव, एडीएम सिटी आरपी सिंह, आरयू के कुलपति मुसाहिद, बीसीबी के प्रो। डॉ.राहुल अवस्थी, दैनिक जागरण के सीजीएम एएन सिंह सहित अन्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन बीसीबी कॉलेज की प्रो। डॉ। वंदना शर्मा ने किया।
महिलाओं को मजूबत होने की जरूरत
हॉल में मौजूद सभी लोगों के मन में बस एक ही सवाल था कि आखिर महिलाओं की सुरक्षा कैसे हो। डीएम अभिषेक प्रकाश ने कहा कि गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहुओं और महिला कॉन्स्टेबल को और अच्छे से काम करने की जरूरत है। डॉ। फरीदा सुल्ताना ने कहा कि एक महिला के अंदर सूर्य की तरह तेज होनी चाहिए, ताकि वह अपनी सुरक्षा खुद कर सके।
मीडिया बनाए लोगों को आत्म निर्भर
आरयू के कुलपति ने कहा कि मीडिया लोगों को आत्म निर्भर और महिलाओं में आत्म चेतना लाने का काम कर सकती है। हर मोड़ पर महिलाओं को दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। वहीं एसआरएमएस के ट्रस्टी आदित्य मूर्ति का कहना था कि प्राइमरी, सेकेंड्री और कॉलेज संस्थान के प्रॉक्टोरियल बोर्ड को सही से काम करने की जरूरत है।
पुलिस करेगी मोहल्ला वाइज मीटिंग
डीआईजी ने कहा कि पुलिस की ओर से शक्ति मोबाइल चलाया गया है। स्कूल, कॉलेज की गर्ल्स इन्हें सपोर्ट करें, ताकि समस्या से छुटकारा पाया जा सके। पुलिस द्वारा टीम बनायी जाएगी, जो गांव, मोहल्ला, कस्बों में जाकर पेरेंट्स के साथ मीटिंग करेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वसीम बरेलवी ने सामाजिक ढांचे पर प्रहार करते हुए कहा कि, समाज के प्रत्येक वर्ग को अपनी जिम्मेदारियां समझनी होगी, बात चाहे पुरुष वर्ग की हो या महिला की .अपनी कमजोरी को पहचानने की जरूरत है, ताकि हम समाज में हो रहे हैवानियत को खत्म कर सके। कार्यक्रम में मौजूद मीडिया समूह के वरिष्ठ पत्रकारों ने भी महिला सुरक्षा को लेकर कई पहलुओं पर अपने विचार रखे।