बरेली : इंटरनेशनल वीमेन डे पर सभी महिलाओं के सम्मान और उन्हें सशक्त बनाने की बात कर रहे हैं। लेकिन ऐसी कुछ समाजिक टीस है जो हम जानते हुए भी उनको अनदेखा कर रहे हैं। जी हां, अब मार्केट भी होली का त्योहार निकट होने के चलते गुलजार दिख रहा है। मार्केट में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या अधिक नजर आ रही है, लेकिन मार्केट में लेडी टायलेट नहीं हैं। इससे शॉपिंग के आने वाली महिलाओं को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। मंडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर की पांच मेन मार्केट का हाल जाना तो हकीकत चौकाने वाली सामने आई। शहर की मार्केट श्यामगंज से बांसमंडी रोड, शिवाजी मार्ग, कुतुबखाना से किला रोड, नॉवल्टी से घंटाघर रोड और नॉवल्टी से ओल्ड रोडवेज मार्केट को देखा तो वहां पर मार्केट में पिंक टायलेट ही नजर नहीं आए। अगर कहीं मार्केट में पिंक टायलेट बने हुए दिखे तो वहां पर ताला लगा हुआ मिला। अब ऐसे में मार्केट में शॉपिंग के दौरान अगर महिलाओं को टायलेट जाना पड़े तो वह कहां जाएं?

करोड़ों का होता है कारोबार

शहर की श्यामगंज मार्केट में डेली नीड्स के साथ अन्य शॉप और शोरूम भी हैं। यहां पर डेली करीब 20 हजार लोगों का आना जाना होता है और करीब 3-4 करोड़ का डेली का कारोबार भी होता है। मेन मार्केट से करीब पांच मीटर दूरी पर पब्लिक टायलेट है लेकिन वहां पर गंदगी की भरमार है। शिवाजी मार्केट रोड करीब दो किलोमीटर लंबी है इस रोड पर सर्राफ की सबसे अधिक शोरूम हैं। मार्केट में 10-15 लोगों कस्टमर्स बरेली ही नहीं अदर डिस्ट्रिक्ट से भी आते हैं, मार्केट में करीब 4 करोड़ से अधिक का डेली कारोबार होता है। लेकिन इस रोड पर एक भी पिंक टायलेट नजर नहीं आता है। इतना ही नहीं पब्लिक टायलेट भी पांच मीटर तक दिखाई नहीं देगा। महिलाओं के लिए मेन मार्केट कुतुबखाना पर सबसे अधिक शॉपिंग करने के लिए आती है। बात कुतुबखाना की करें तो यहां पर 10-15 हजार लोगों का आना जाना होता है लेकिन डेली करीब 3 करोड़ से अधिक का करोबार भी होता है। लेकिन कुतुबखाना मेन चौराहा से करीब पांच सौ मीटर दूर जिला पंचायत रोड पर बना है जो मार्केट आने वाली अधिकांश महिलाओं को पता ही नहीं है।

जिला अस्पताल रोड पर भी परेशानी

-जिला अस्पताल रोड पर देखें तो महिलाओं के लिए पिंक टायलेट नॉवल्टी से घंटाघर तक नजर नहीं आएंगा। मार्केट में डेली करीब 15 हजार से अधिक लोगों को आवाजाही रहती है। मार्केट में सबसे अधिक संख्या महिलाओं की होती है। डेली इस रोड पर करीब 2 करोड़ का कारोबार भी होता है। वहीं नॉवल्टी से ओल्ड रोडवेज की मार्केट को देखें तो वहां पर पिंक टायलेट तो नहीं लेकिन रोडवेज बस स्टैड पर जरूर पब्लिक टायलेट बना है। उसी में महिलाओं के लिए अलग से बना है। इस रोड पर सबसे अधिक मार्केट इलेक्ट्रानिक्स की है डेली करीब 1-2 करोड़ का कारोबार होने के साथ दस हजार से अधिक लोगों का डेली आना जाना होता है। अब ऐसे में किसी महिला को टायलेट जाना हो तो वह रोडवेज का ही टॉयलेट यूज करने जाती है।

मार्केट आई महिलाएं बोली

कुतुबखाना एरिया में शॉपिंग के लिए आई तो मार्केट में टायलेट जाना था। लेकिन यहां पर कोई पिंक टायलेट ही नहीं दिखाई दिया। पब्लिक टॉयलेट में ही महिलाओं के टॉयलेट बना दिए गए हैं, ऐसे में वहां पर महिला टॉयलेट में भी पुरुष पहुंच जाते हैं। महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था होना चाहिए।

रागनी, स्टूडेंट

पब्लिक टायलेट ही मार्केट में दिखते हैं उनके आगे भी मार्केट में ठेला वालों ने कब्जा कर रखा है। अब ऐसे में मुझे टायलेट जाना लेकिन जा नहीं सकती। किसी तरह दूसरे टॉयलेट में गई तो वहां पर महिला टायलेट था उसका गेट टूटा हुआ था। ऐसे में सिर्फ परेशान होती रही।

दुर्गा श्रीवास्तव, स्टूडेंट

-कुतुबखाना, बड़ा बाजार, आलमगिरि गंज में मैं अधिक देर शॉपिंग करना रूकना पंसद नहीं करती हूं.क्योंकि इन मार्केट में पब्लिक टॉयलेट ही नहीं है.यहां तो टायलेट सर्च करने पर पर भी नहीं मिलेगा। टायलेट नहीं होने से घर कहीं जाने से पहले कम खाना और कम पानी पीकर ही निकलती हूं।

इलमा, जॉब

-ऑफिस जाते समय शाहदाना की तरफ एक बार जाना हुआ तो सोचा टायलेट करके चलूं। टायलेट पर गई तो गेट पर ही ताला लगा हुआ था। ऐसे में घर या फिर ऑफिस दो ही जगह टायलेट जाने को मिल पता है। क्योंकि मार्केट में जो टायलेट हैं वह महिलाओं के लिए सेफ नहीं है।

अनम, जॉब

-मार्केट में टायलेट एक बार जाना पड़ा तो वह इंतना गंदा था कि मुझे प्रॉब्लम हो गई.जो पब्लिक टायलेट महिलाओं और पुरुषों के लिए एक साथ बने हैं वहां पर गंदगी अधिक है.उनकी प्रॉपर सफाई आदि भी नहीं होती है। इसीलिए कोई महिला मार्केट में आकर टायलेट में जाना पंसद नहीं करती है।

अंशु दीक्षित, हाउस वाइफ

सोशल मीडिया पर कमेंट

मैंने कई बार इस तरह की समस्या का समना भी किया है। इस बारे में, जगह-जगह पर पिंक टॉयलेट बनाये तो गये हैं पर वो सिर्फ दिखावे के लिए हैं। कहीं ताला लगा हुआ तो कहीं गंदे इतने है कि वह जूय के लायक नहीं है।

दीया

सरकार ने महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट की व्यवस्था तो की है पर यह व्यवस्था आधी अधूरी है। हमारे यहां पर टॉयलेट बंद पड़ा है। मार्केट में कोई प्राब्लम हो जाऐ, तो वापस घर ही आना होता है, क्येांकि इसके अलावा और कोई ऑप्शन भी नहीं।

रेनू

महिलाओं को सम्मान दिया जा रहा है, तो वहीं शहर के पिंक टायलेट बंद पड़े हैं। मैं मार्केट आई थी तो सोचा कि टायलेट करके कुतुबखाना जाऊ। लेकिन जब देखा तो पब्लिक टायलेट था उसमें भी पुरुष पहले से ही मौजूद था।

नैना

मैं जॉब करती हूं, ज्दातर मेरे साथ यह प्राब्लम होती है। मेरे घर और ऑफिस की दूरी बहुत है। मुझे समस्या का सामना करना पड़ता है। शहर में पिंक टॉयलेट हैं तो पर केयर नहीं होने से बदहाल बेकार हो रहे हैं, कि अगर कोई महिला यूज भी करें तो इंफेक्शन का खतरा है।

शिखा

मैं मार्केट आई थी तो टायलेट की तरफ गई तो देखा वहां पर एक टायलेट का गेट नीचे से टूटा हुआ था। ऐसे में मुझे एक हॉस्पिटल में टॉयलेट के लिए जाना पड़ा। मार्केट में पिंक ही नहीं कई एरिया में तो पब्लिक टायलेट भी नहीं हैं।

स्नेहा