BAREILLY: ख्क्वीं सदी में जब भी आधी आबादी को सिक्योरिटी की बात आती है तो चर्चाएं शुरू हो जाती हैं। पॉलिसी मेकर्स से लेकर हर खासोआम सार्वजनिक मंच और सोशल मीडिया में पुख्ता कानूनी इंतजामात के दावे बुलंद करता है। लेकिन जमीनी हकीकत एकदम उलट होती है। महिलाओं संग होने वाले किसी भी प्रकार के सेक्सुअल हैरेसमेंट को लेकर सुप्रीम कोट ने विशाखा गाइडलाइंस को स्ट्रिक्टली फॉलो करने के उन जगहों पर निर्देश दिए थे। जहां पर महिलाओं और ग‌र्ल्स की रेगुलर प्रेजेंस होती है। लेकिन सिटी के प्रमुख ऑफिसेज और कैंपस का आई नेक्स्ट ने जब जायजा लिया तो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ढेंगा दिखाते नजर आए।

क्या है विशाखा

क्990 में राजस्थान स्टेट गवर्नमेंट की कर्मचारी भंवरी देवी के साथ चाइल्ड मैरीज के खिलाफ आवाज उठाने पर एक समुदाय लोगों ने रेप कर दिया था। इसपर देशभर के लोगों में उबाल आ गया। राजस्थान हाईकोर्ट में चले केस के बाद आरोपियों को जमानत मिल गई। इसके बाद वीमेन राइट्स ग्रुप विशाखा ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर किया। क्997 में सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए वर्किंग प्लेस पर सेक्सुअली हैरेसमेंट जैसे मामले से निपटने के लिए विशाखा गाइडलाइंस की नींव रखी। देश के हर प्राइवेट व गवर्नमेंट ऑफिसेज में इसे फॉलो करने के निर्देश भी दिए। ख् सितम्बर, ख्क्ख् को लोकसभा में सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस बिल पास किया गया। अब यह सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ वीमेन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रॉहिब्शन एंड रिड्रसल) एक्ट ख्0क्फ् के नाम से जाना जाता है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की विशाखा गाइडलाइंस के सभी निर्देश मौजूद हैं।

गाइडलाइंस की बेसिक रिकमेंडेशंस

- टू प्रोवाइड ए सेफ वर्किंग एनवायरमेंट।

- वर्कप्लेस पर इंटर्नल कंप्लेंट्स कमेटी (आईसीसी) के मेंबर्स और हेल्पलाइन के नम्बर्स चस्पा करना। साथ ही सेक्सुअल हैरेसमेंट को रोकने संबंधी मैसेज को भी प्रिंट कराना।

- इंटर्नल कंप्लेंट्स कमेटी के लिए रेगुलर इंटरवल पर वर्कशॉप समेत अवेयरनेस प्रोग्राम चलाना।

- सेक्सुअल हैरेसमेंट को सर्विस रूल के तहत एक सीरियस बिहैवियर माना जाए।

- इंप्लॉयर को समय-समय पर इंटरनल कंप्लेंट्स कमेटी की रिपोर्ट को मॉनीटरिंग करना।

- यदि एम्प्लॉयर आईसीसी गठित नहीं करता है तो उसके खिलाफ एक्ट के तहत भ्0,000 रुपए का आर्थिक दंड लगाया जाएगा। इसके बाद भी गठित नहीं करता है तो पेनॉल्टी और पनिशमेंट डबल हो जाएगी।

- पुलिस में केस रेफर होने के बाद एक्ट के तहत आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराएं लगाने का प्रावधान है।

आरयू में 'किताबी' सेल

आरयू वीमेन ग्रीवेंस सेल होने का दावा करता है। यहां ग‌र्ल्स पढ़ती और हॉस्टल में रहती भी हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में टीचर्स और कर्मचारी भी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए डीएसडब्लू प्रो। नीलिमा गुप्ता और अलग से महिला चीफ प्रॉक्टर प्रो। आशा चौबे को नियुक्त किया गया है। प्रो। नीलिमा गुप्ता ने यह स्वीकार किया कि सेल है, जिसकी मेंबर वह खुद हैं, लेकिन उन्हें और मेंबर्स के बारे में पता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कंप्लेंट के लिए कॉलेज कैंपस और हॉस्टल में कोई भी हेल्पलाइन नम्बर फ्लैश नहीं किए गए हैं। हालांकि आरयू में कंप्लेंट्स दर्ज कराने की एक पैरेलल व्यवस्था चलती है। हर डिपार्टमेंट के हेड को शिकायती अधिकारी नियुक्त कर मोबाइल नम्बर डिपार्टमेंट के बाहर मेंशन किया गया है। वहीं बीसीबी की बात करें तो यहां पर कंप्लेंट बॉक्स है और वेबसाइट पर वीमेन ग्रीवांस सेल का जिक्र है। वेबसाइट पर मेंबर्स के नाम और हेल्पलाइन के लिए एसोसिएट प्रो। वंदना शर्मा का मोबाइल नम्बर भी फ्लैश किया गया है। लेकिन कैंपस और ग‌र्ल्स हॉस्टल में नम्बर और कमेटी का जिक्र नहीं है।

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को खबर ही नहीं

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में वीमेन ग्रीवांस सेल के सवाल पर कोई सही जवाब ही नहीं दे सका, जबकि हॉस्पिटल में काम करने वाले स्टाफ में करीब म्म् महिलाएं हैं। इनमें से क्ब् सिस्टर, 9 मेटरन और ब्फ् स्टाफ नर्स हैं। वहीं फीमेल हॉस्पिटल में भी क्ब् फीमेल डॉक्टर्स हैं। दो महीने पहले एक आरटीआई के तहत इस बारे में सवाल भी पूछा गया था। फिलहाल जिम्मेदारों ने सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से एक्ट बनाए जाने के बाद नोटिफिकेशन जारी न होने की बात कही। सीएमएस डॉ। आरसी डिमरी ने बताया कि हॉस्पिटल में वीमेन सेल होने की कोई ऑथेंटिक जानकारी नहीं है। इस बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। ऐसे में हॉस्पिटल में किसी महिला स्टाफ के साथ सेक्सुअली मिसबिहेव होने पर सीएमएस से कंप्लेन की फॉर्मेलिटी ही रह जाती है।

निगम में लेकिन जानकारी में नहीं

नगर निगम में दो माह पहले ही वीमेन ग्रीवांस सेल का गठन किया गया है। सेल की अध्यक्षता बतौर नोडल अधिकारी अपर नगर आयुक्त सच्चिदानंद सिंह को सौंपी गई है। निगम में महिला स्टाफ के तौर पर एक महिला अधिकारी, क्क् क्लर्क और ब्0 कर्मचारी हैं। वहीं ग्रीवांस सेल में इकलौती महिला मेंबर के तौर पर टैक्स सुपरिटेंडेंट संगीता गुप्ता ही शामिल हैं। सेल के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले दो महीनों में दो बार बैठक कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। हालांकि निगम में इस सेल के बारे में कइयों को जानकारी नहीं है और ना ही कहीं पर इसकी इंफॉर्मेशन दी गई है।

रेलवे को नहीं महिला स्टाफ की सुध

ट्रैक पर तेजी से अपनी ट्रेनों को दौड़ाने वाला रेलवे महिला स्टाफ की सेफ्टी व उन्हें एक सिक्योर वर्किंग माहौल देने में बिल्कुल सुस्त है। जंक्शन में रिजर्वेशन डिपार्टमेंट में भ्, टिकट इंस्पेक्शन में क्क् और इंक्वायरी में 8 महिलाओं समेत करीब ब्भ् महिला स्टाफ काम कर रही हैं, लेकिन यहां कोई प्रॉपर अरेंजमेंट्स नहीं है। जंक्शन पर स्टेशन सुपरिटेंडेंट आदिल जिया सिद्दिकी ने बताया कि फिलहाल ऐसी कोई सेल नहीं गठित की गई है। इस बारे में कोई निर्देश नहीं मिले हैं।

जरूरत पर बनाएंगे डीआईओएस

डीआईओएस में महिला कर्मचारियों की संख्या सात है। यहां पर महिलाओं की कंप्लेंट सुनने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। डीआईओएस केपी सिंह ने बताया कि ऑफिस में महिलाओं की ओर से किसी भी प्रकार की कंप्लेन नहीं आई है। जरूरत पड़ी तो ऐसी व्यवस्था कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी नींद में

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में करीब क्भ् महिलाएं काम करती हैं, लेकिन यहां वीमेन सेल की कोई व्यवस्था नहीं है। डिपार्टमेंट के किसी भी कर्मचारी को यह पता ही नहीं है कि ऐसी कोई व्यवस्था होती भी है। जहां तक सवाल आला अफसर का है तो वे इसकी जरूरत समझने से भी इंकार करते हैं। डिपार्टमेंट के कमिश्नर रणंजय सिंह ने बताया कि इतने छोटे दफ्तर में कम कर्मचारियों के बीच ग्रीवांस सेल की आवश्यकता महसूस नहीं की गई। मेन ब्रांच लखनऊ में ग्रीवांस सेल की स्थापना की गई है।

यहां तो अधिकारी भी महिला

सेल्स टेक्स ऑफिस में अधिकारियों के पद पर महिलाएं तैनात हैं। सबसे सीनियर आफिसर के पद पर एडिनशनल कमिश्नर गे्रड वन पुष्पा खरे तैनात हैं। इनके अधीन छह महिला आफिसर्स कार्यरत हैं। क्ब् अन्य महिला कर्मचारी हैं, लेकिन यहां किसी महिला सेल या की व्यवस्था नहीं की गई। यहां पर महिलाओं को अपनी आवाज उठाने के लिए यूनियन का सहारा लेना पड़ता है। पुष्पा खरे ने बताया कि विभाग में महिला सेल की स्थापना नहीं की गई।

मैंडम का शासनादेश से इंकार

बीडीएम में सेक्रेटरी के पद पर खुद पीसीएस अधिकारी गरिमा यादव तैनात हैं। यहां सात थर्ड ग्रेड महिला कर्मचारी और पांच फोर्थ ग्रेड महिला कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहां पर ये अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। किसी ग्रीवांस सेल या हेल्पलाइन नंबर की सुविधा नहीं। गरिमा यादव ने बताया कि डिपार्टमेंट में महिला सेल के लिए कोई शासनादेश नहीं है।

बिजली विभाग ने बनाई टीम

बिजली विभाग कमेटी गठित करने का दावा तो करता है, लेकिन विभाग के अंदर और बाहर कैंपस में कहीं पर भी इसका जिक्र नहीं है। एसई मधुकर वर्मा ने बताया कि कंप्लेंट के लिए टीम का गठन किया गया है, जिसमें वे खुद हैं। इनके अलावा एक्सईएन मनोज पाठक और क्लर्क पुष्पा मिश्रा को शामिल किया गया है। डिपार्टमेंट की लेडीज कर्मचारी ईव टीजिंग जैसी समस्या की कंप्लेंट्स इनके पास कर सकती हैं। अपने लेवल पर जांच करने के बाद टीम दोषी व्यक्ति पर उचित कार्रवाई करती है। उन्होंने बताया कि हेल्पलाइन का नम्बर क्9क्भ्90क्700 है। उन्होंने बताया कि दो महीने पहले ही टीम बनाई है।

रोडवेज का सेल लखनऊ में

रोडवेज का रीजनल ऑफिस ग्रीवांस सेल के होने का दावा करता है, लेकिन वह सेल यहां पर नहीं लखनऊ में बनाया गया है। इसमें दो महिला और पुरुष मेंबर शामिल है। जबकि नियम के अनुसार ब्रांच में भी कोई सेल होना जरूरी है। यहां क्क् महिला कर्मचारी हैं। वैसे भी लखनऊ स्थित इस ग्रीवांस सेल की इंफॉर्मेशन रीजनल ऑफिस में नहीं दी गई है। एआरएम एडमिनिस्ट्रेशन नीरज अग्रवाल ने बताया कि ग्रीवांस सेल लखनऊ में है। जिसका नम्बर 9ब्क्भ्0ब्9म्ख्म् है।

सेल है पर एक्सपोजर नहीं

पोस्टल डिपार्टमेंट भी सेल है, लेकिन डिपार्टमेंट में कहीं भी सेल की इंफॉर्मेशन नहीं है और ना ही पर हेल्पलाइन नम्बर दिया गया है। सीनियर पोस्टमास्टर एसके त्रिवेदी ने बताया कि ऑफिस में सेल की व्यवस्था बहुत पहले से है, जिसका हेल्पलाइन नम्बर 9फ्भ्8ब्8फ्फ्फ्भ् है। सेल में दो मेंबर है। जिनमें से परिवाद निरीक्षक एके सिंह और शिखर नयाल है।