BAREILLY:

शहर के प्राइमरी एजुकेशन का एक सच यह भी है कि स्कूलों में कहीं स्टूडेंट्स हैं तो मास्साब ही तैनात नहीं हैं। किसी स्कूल में मास्साब हैं तो स्टूडेंट्स ही नहीं हैं। बिना टीचर्स के स्कूलों में क्वॉलिटी बेस्ड एजुकेशन तो दूर की बात रही, स्टूडेंट्स को क, ख, ग तक पढ़ाने वाला कोई नहीं है। अफसोसजनक बात यह है कि खामियों को दूर करने की बजाय बेसिक शिक्षा अधिकारी 'टोपी ट्रांसफर' करने में व्यस्त हैं।

बिना टीचर्स के पढ़ रहे छह सौ बच्चे

अर्बन एरिया के प्राइमरी स्कूलों में रजिस्टर्ड भ्99 बच्चों का शिक्षण कार्य केवल कागजों में चल रहा है। क्योकि अर्बन एरिया के टोटल क्फ्ब् स्कूलों में क्0 स्कूल ऐसे है जिसमें एक भी टीचर एप्वाइंट नही है। ऐसे दस स्कूलों में दाखिल इन छात्रों को कैसे पढ़ाया जा रहा है ये अपने आप में एक सवाल है। बिना टीचरों के इन दस स्कूलों में से चार स्कूल ऐसे है जहां रजिस्टर्ड छात्रों की संख्या सौ के पार तक है। प्राइमरी स्कूल परसाखेड़ा गौटिया में क्क्0, प्राइमरी स्कूल परसा खेड़ा में क्क्ख्, प्राइमरी स्कूल रोहिली टोला में क्ख्8 जबकि प्राइमरी स्कूल शाहदाना में 90 बच्चे रजिस्टर्ड है।

कई बंद तो कुछ में अटैचमेंट से भरे टीचर

शिक्षक विहीन दस स्कूलों में से कई स्कूल बंद पड़े है। इस स्कूलों के बारे में नगर खंड विकास अधिकारी नरेश सिंह पवार का कहना है कि स्कूलों में जो शिक्षक पढ़ा रहे थे, वो धीरे-धीरे रिटायर्ड होते चले गए। क्योंकि नगर क्षेत्र में शिक्षक की नियुक्तियां बंद हैं, इसलिए इन स्कूलों में शिक्षक नही भरे जा सके। लेकिन हमने इनमें से कुछ स्कूलों में अटैचमेंट के जरिये टीचर नियुक्त किया है। जिनमें प्राथमिक स्कूल अनाथालय व प्राथमिक स्कूल मेमाेरन है।

दो स्कूलों में स्टूडेंट ही नहीं और तैनात हैं छह टीचर

एक तरफ बच्चे टीचर्स की बाट जोह रहे हैं, तो दूसरी तरफ आलम ये है कि बिना छात्रों वाले स्कूलों में तीन-तीन टीचर तैनात है। नगरीय क्षेत्र के दो स्कूल प्राइमरी स्कूल कुहाड़ापीर और प्राइमरी स्कूल वमनपुरी में छात्र संख्या जीरो है और यह क्रमश: फ् व ख् टीचर तैनात हैं। हालांकि, नगर शिक्षा अधिकारी का कहना है कि छात्र विहीन कुहाड़ापीर प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। जिससे कोई भी दाखिला कराना पॉसिबल नही हो सका। जबकि वामन पुर प्राइमरी स्कूल किराये की बिल्डिंग में चल रहा था, जिसपर भवन स्वामी ने कब्जा कर लिया है। इन दोनो ही स्कूलों की जानकारी बीएसए को दी जा चुकी है। ये स्कूलों के पांच टीचर्स में से एक टीचर रिटायर्ड है जबकि अन्य टीचर्स को अटैच कर दिया गया है। उनकी तैनाती इन्हीं स्कूलों पर है।

स्टूडेट्स न टीचर ऐसा भी स्कूल

नगर क्षेत्र में दो स्कूल ऐसे भी है जिनमें न स्टूडेंट और टीचर्स दोनो की ही संख्या जीरो हो चुकी है, लेकिन कागजों में ये स्कूल चालू है। प्राइमरी स्कूल कूचा सीता और प्राइमरी स्कूल आजम नगर-दो ऐसे ही स्कूल है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से आदेश है कि किसी भी स्कूल को खत्म नही किया जा सकता। मतलब हर हाल में स्कूल में छात्र और टीचर होना सुनिश्चित हो। लेकिन अधिकारी नियमों का तोड़-मरोड़ कर इस्तेमाल कर रहे है। यही वजह है कि इन स्कूलों में स्टूडेंट और टीचर की संख्या जीरो हो गई, लेकिन दिखाने भर को स्कूल कागजों पर जिंदा है। हालांकि नगर खंड विकास अधिकारी का कहना है कि इन स्कूलों की बिल्डिंग पूरी तरह से खत्म हो गई, शिक्षक रिटायर्ड हो गए, इसलिए इन्हे संचालित कर पाना असंभव हो गया।

एडी बेसिक के पास निर्देशों का पालन कराने का वक्त नही

एडी बेसिक से जब छात्र व शिक्षक विहीन स्कूलों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि इस स्थिति के लिए जवाबदेह और जिम्मेदार बीएसए हैं। मेरा काम निर्देश देना है, निरीक्षण के दौरान जो भी कमियां देखने को मिलती है। उन पर बीएसए को निर्देश दिये जाते है। जब एडी बेसिक से पूछा गया कि आपके निर्देशों पर बीएसए स्तर से क्या कार्यवाही की गई तो उन्होंने साफ कहा कि इन निर्देशों पर क्या कार्रवाई हुई ये देखने का हमारे पास वक्त नही होता।