- पिछले साल से लटकी है कई गेम्स के कोच की ज्वाइनिंग, तीन ही कोच चला रहे स्टेडियम

- मॉर्निग में खिलाड़ी आते हैं टहलने, इवनिंग में सिर्फ तीन ही गेम्स के खिलाडि़यों की एंट्री

बरेली। लॉकडाउन में पूरा साल गुजरने के बाद नया साल भी शुरू हो गया लेकिन स्टेडियम के खिलाडि़यों के गेम्स पर अब भी उसका असर बना हुआ है। स्टेडियम में कई गेम्स के कोच न होने के कारण उनकी प्रैक्टिस थमी हुई है। मानो जैसे शहर का लॉकडाउन खत्म होने के बावजूद स्टेडियम में लॉकडाउन लगा हो। यहां मॉर्निग शिफ्ट में तो कुछ खिलाड़ी पहुंचते हैं, लेकिन ईवनिंग शिफ्ट में सिर्फ तीन गेम के अलावा बाकी सब की एंट्री बैन है। खिलाडि़यों को गांव देहात व अन्य निजी एकेडमी में जाना पड़ रहा है। ऐसे में आने वाली प्रतियोगिताओं में खिलाडि़यों का प्रदर्शन भी चिंताजनक बना हुआ है।

पिछले साल स्टेडियम को मिलने थे कोच

स्टेडियम में रखे एडहॉक पर रखे जाने वाले कोच की संख्या शासन से निर्धारित की जाती है। जिसके बाद नौ महीनों के लिए अलग-अलग गेम के कोच नियुक्त किए जाते हैं। पिछले साल अप्रैल में पुराने नियुक्त कोच का समय समाप्त हुआ था। लॉकडाउन लगने के कारण कोच नियुक्त करने प्रक्रिया रुक गई थी। फिर हालात काबू में आने के बाद नवंबर महीने में दोबारा शासन से नए कोच रखने की सहमति दी गई थी। इसके बाद अब नया साल शुरू हो गया, लेकिन अब तक कोच नहीं मिले।

सिर्फ तीन गेम्स की प्रैक्टिस

स्टेडियम में इस समय सिर्फ तीन ही गेम के कोच मौजूद हैं। जिनमें एथलेटिक्स, क्रिकेट और फुटबॉल शामिल हैं। इनमें एथलेटिक्स के खिलाडि़यों को खुद आरएसओ ट्रेनिंग देते हैं। स्टेडियम में लगभग 14 कोच होने चाहिए। बास्केटवॉल, हॉकी, वॉलीवाल, जिमनास्टिक, वेट लिफ्टिंग, टेनिस, स्विमिंग, नेटवॉल, हैंडवॉल, बैडमिंटन, जूडो व बॉक्सिंग के कोच न होने के कारण इन गेम्स के खिलाड़ी हताश हैं।

मॉर्निग में वॉक, ईवनिंग में नो एंट्री

खिलाडि़यों के मुताबिक स्टेडियम में कोरोना संक्रमण के कारण अधिकतर खिलाडि़यों की एंट्री बंद कर दी गई है। मॉर्निग में यहां ज्यादातर लोग मॉर्निग वॉक करने पहुंचते हैं, वहीं ईवनिंग में कुछ ही खिलाडि़यों की एंट्री है। एक खिलाड़ी के मुताबिक पूछने पर उन्हें कैंप लगने पर आने की बात कहकर टहला दिया जाता है। कई बार कोरोना से बचने को लागू किए गए दूरी बनाने व अन्य सख्त मानकों के नाम पर भी खिलाडि़यों को लौटा दिया जाता है।