बरेली(ब्यूरो)। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, पानी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। जलस्रोत सूखने लगे हैं। यह समस्या हर साल पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ जाती है। उधर हम यह ही सोचते रहते हैं कि बारिश आते ही यह समस्या दूर हो जाएगी। यह ही सोच जल सरंक्षण के प्रति हमारी बेरुखी को जन्म देती है। सबसे बड़ी समस्या शहर में अंधाधुंध संचालित किए जा रहे वाहन धुलाई केंद्रों द्वारा किए जा रहे जल दोहन से है। नगर में कितने ही ऐसे धुलाई सेंटर हैं, जो बिना अनुमति के चल रहे हैं। इसके साथ ही तमाम लोगों ने बिना अनुमति के सबमर्सिबल पंप्स भी लगा रखे हैं। आश्चर्य की बात समस्या को जानने के बावजूद हम इसको लेकर सचेत नहीं है। कोई नासमझ ऐसा करे तो अलग बात है, लेकिन आश्चर्य तब होता है जब पढ़े लिखे समाज के तथा ओहदेदार लोग पानी की बेपनाह बर्बादी करते हैं। अपने शहर में ही तमाम ऐसे बेपरवाह लोग हैं, जिन्हें पानी की बर्बादी से कोई मतलब नहीं है। ऐसे लोग गाड़ी धोने, फर्श चमकाने और भी तमाम गैर-जरुरी कार्यों में पानी को बहाते हैं।
मंथन की आवश्यकता
यह स्थिति सरकार और आम जनता दोनों के लिए चिता का विषय है। इस दिशा में चितन और मंथन दोनों की आवश्यकता है। यदि हम अब भी नहीे चेते तो आने वाले सालों में पेयजल उपलब्ध कराना असंभव होगा। सरकार को पानी की बर्बादी रोकने के लिए कड़े कानून बनाने होंगे। यदि त्वरित कदम उठाते हुए सार्थक पहल की जाए तो स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में की जा सकती है, अन्यथा अगले कुछ वर्ष हम सबके लिए चुनौतीपूर्ण साबित होंगे। इसके अलावा पानी पीकर नल को खुला छोड़ देना भी यहां आम बात हो गई है। पानी पीने वाला तो नल खुला छोड़ ही गया, उसके बाद हैरत तब होती है, जब उधर से गुजरने वाले पढ़े लिखे सभ्य समाज से जुड़े लोग उस नल से पानी बहता देख कर भी उसे नजरंदाज कर आगे बढ़ जाते हैं। यह नजारे यहां रोज ही देखने को मिलते हैं। ऐसी स्थिति सरकार और आम जनता दोनों के लिए चिता का विषय है। इस दिशा में अगर त्वरित कदम उठाते हुए सार्थक पहल की जाए तो स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में रखी जा सकती है, अन्यथा अगले कुछ वर्ष हम सबके लिए चुनौतीपूर्ण साबित होंगे। जलकल अभियंता विकास चौहान का कहना है कि पानी बर्बादी रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जो लोग पेयजल की बर्बादी करते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जिम्मेदारों की अनदेखी
अधिकारियों की लापरवाही के चलते बिना किसी रोक-टोक धड़ल्ले से वाहन धुलाई केंद्रों की गिनती बढ़ती जा रही है। यहां पर पचास से तीन सौ रुपये में गाड़ी धोने के नाम पर लेकर हजारों लीटर पीने का पानी बर्बाद कर दिया जाता है। इनका पंजीकरण पालिका में होना चाहिए जोकि नहीं है।
उसके बावजूद आज तक कोई असर दिखाई नहीं दिया है। अधिकारी पानी की बर्बादी करने वालों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। पानी की बर्बादी रोकने को बनाया गया कानून हर रोज हजारों लीटर पानी के साथ नालियों में बह जाता है। वाहन धुलाई सेंटरों पर तो रोज पानी की बर्बादी हो रही है। वहीं नगर के अधिकांश घरों में भी सबमर्सिबल पंपों से पानी का दोहन खूब किया जा रहा है। उस पर जिम्मेदारों की अनदेखी इस बर्बादी को खूब बढ़ावा दे रही है। विभागीय अधिकारियों का तो कहना है कि उन्हें पता ही नहीं कि सिटी में धड़ल्ले से चल रहे वाहन धोने वाला सेंटर्स के लिए लाइसेंस लिए भी गए हैं नहीं। सरकार ने पानी की बर्बादी करने वालों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान कर रखा है। लेकिन विभाग की ओर से पानी खराब करने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति पर जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है। वाहनों के सर्विस और धुलाई सेंटर पर प्रतिदिन पीने योग्य पानी का जमकर दुरूपयोग वाहनों की धुलाई में हो रहा है।
वर्जन
हमारे पास वाहन धुलाई सेंटर्स को लेकर कोई डेटा नहीं है। इसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय से अनुमति ली जाती है। हमारे सामने बिना अनुमति जल दोहन करने को कोई मामला आया भी नहीं है। यदि ऐसी कोई शिकायत आती है तो कार्रवाई की जाएगी।
आरके यादव, जीएम जलकल विभाग