इलेक्शन डेट पर रजामंदी

वेडनसडे को कमेटी के मेंबर्स की मीटिंग   हुई जिसमें आपसी सहमति से इलेक्शन कराने के लिए डेट को ओके करते हुए         चुनावी अध्यादेश भी जारी कर दिया। अध्यादेश में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को शामिल किया गया है। हालांकि कमेटी ने अभी तक फाइनल शेड्यूल जारी नहीं किया है। चुनाव प्रभारी प्रो। नीलिमा गुप्ता ने कहा कि इलेक्शन हम उसी डेट को कराने को तैयार हैं लेकिन फिलहाल बाकी प्रोसीजर्स के लिए टेंटेटिव शेड्यूल तैयार किया है। जिसे जल्द फाइनल कर जारी कर दिया जाएगा। यह फिक्स है कि इलेक्शन नवम्बर के फस्र्ट में ही कंडक्ट कराकर रिजल्ट डिक्लेयर कर दिया जाएगा।

6 पदों के लिए होगा इलेक्शन

अध्यादेश में इलेक्शन लडऩे के लिए पद भी फिक्स किए गए हैं। जिसके अनुसार, निर्धारित 6 पदों पर ही कैंडीडेट्स खड़े किए जा सकते हैं। प्रेसीडेंट, उपाध्यक्ष, महामंत्री, पुस्तकालय मंत्री, संकाय प्रतिनिधि और छात्रावास प्रतिनिधि पदों पर इलेक्शन कराया जाएगा।

Principal, VC  करा सकेंगे नॉमिनेशन

अध्यादेश में एक और इंपोर्टेंट रूल के अनुसार वीसी और प्रिंसिपल को भी अपने स्तर से कैंडीडेट्स का नॉमिनेशन कराने का अधिकार दिया गया है। इसके अनुसार वे 5 गल्र्स कैंडीडेट्स, 5 एससी व एसटी कैटेगरी के कैंडीडेट्स, और 5 मेधावी व स्पोट्र्स स्टूडेंट्स का इलेक्शन में लडऩे के लिए नॉमिनेशन फाइल करा सकते हैं।

सिफारिशों पर आपत्तियां

इलेक्शन की डेट डिक्लेयर होते ही स्टूडेंट्स लीडर्स भी कैंपस में कंपेनिंग को लेकर एक्टिव हो गए हैं। लिंगदोह कमेटी की कुछ सिफारिशों पर उन्होंने आपत्तियां भी दर्ज कराई हैं। निवर्तमान प्रेसीडेंट सछास के शिव प्रताप सिंह और अरविंद पटेल समेत कई लीडर्स ने इलेक्शन लडऩे के लिए फिक्स की गई एज, चुनावी खर्चे, कैंडीडेट्स पर कोर्ट केस समेत कई प्वाइंट्स पर आपत्ति दर्ज कराते हुए आरयू के चुनाव प्रभारी से स्थित साफ करने की अपील की है। उनके अनुसार, कई यूजी के वे स्टूडेंट्स जो 4 से पांच वर्ष के कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं, वो नियमों के आधार पर इलेक्शन लडऩे से बाहर हो जाएंगे। साथ ही यदि कोई जानबूझकर किसी कैंडीडेट्स पर एफआईआर दर्ज कर देता है तो उसके चुनाव लडऩे पर पाबंदी लग सकती है। ऐसी परिस्थितियों में चुनाव कमेटी से अपनी स्थिति साफ करने की अपील की है। इस संबंध में उन्होंने ज्ञापन भी सौंपा।

50 रुपए पर मिक्स्ड रिएक्शंस

सेशन के बीच में वोटिंग के लिए स्टूडेंट्स से 50 रुपए चार्ज करने पर स्टूडेंट्स लीडर्स की मिक्स्ड प्रतिक्रिया है। कोई इसके फेवर में है तो कोई इसकी पुरजोर विरोध कर रहा है। हालांकि स्टूडेंट्स लीडर्स ने माना कि यदि स्टूडेंट्स इसका विरोध करेंगे तो वे भी इसके अगेंस्ट में होंगे।

यूनियन मेंबर बनने का है चार्ज

यह यूनियन का मेंबर बनने के लिए चार्ज है। जो हर बार इलेक्शन के लिए सेशन के स्टार्ट में ही जमा करा लिया जाता था। स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन बंद होने के बाद चार्ज वसूलना बंद कर दिया गया। अब दोबारा यूनियन बहाल हुई है तो यह प्रथा दोबारा शुरू की गई। यह कोई नई बात नहीं है।

- प्रो। नीलिमा गुप्ता, चुनाव प्रभारी, आरयू

यह गलत है कि वोटिंग के लिए हर स्टूडेंट्स से 50 रुपए चार्ज किया जाएगा। इससे हमारे वोटर्स कटेंगे। स्टूडेंट्स वोटर स्टि में नाम इंक्लूड कराने से कतराएंगे। एनएसयूआई इसका पुरजोर विरोध करती है। हम अध्यादेश से इस रूल को हटाने की मांग करेंगे। सेशन के बीच में चार्ज करना छात्र हित में नहीं है।

- आशुतोष सिंह, प्रेसीडेंट, एनएसयूआई

स्टूडेंट्स यूनियन का फंड पहले ही एडमिशन के समय लेना चाहिए था। अब अगर बीच में चार्ज करेंगे तो स्टूडेंट्स इलेक्शन में इंट्रेस्ट नहीं लेंगे। वो वोटर्स बनने से कतराएंगे। वैसे भी करीब 2009 तक इलेक्शन फंड चार्ज किया गया है। ऐसे में फंड में पहले से ही बैलेंस होगा। बीच में स्टूडेंट्स से चार्ज करने का हम पुरजोर विरोध करते हुए प्रदर्शन करेंगे।

- जवाहर लाल, एबीवीपी

सेशन के बीच में स्टूडेंट्स से यूनियन का मेंबर बनने के लिए चार्ज वसूलने का हम विरोध करते हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेना था तो फीस के साथ ही ले लेते। अब चार्ज करेंगे तो स्टूडेंट्स वोट देने से कतराएंगे। बीच में स्टूडेंट्स इसे एकस्ट्रा बोझ समझेंगे। हो सकता है कि वे वोटर न बने। हम इसे कतई लागू नहीं होने देंगे।

- अनूप यादव,एबीवीपी

50 रुपए स्टूडेंट्स यूनियन फंड के रूप में लिया जा रहा है। यह पहले भी चार्ज किया जा रहा था। बीच में बंद कर दिया गया। अब स्टूडेंट्स यूनियन दोबारा बहाल होने पर फिर से चार्ज किया जा रहा है। इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसी फंड से हम डेवलपमेंट का काम करते हैं।

- शिव प्रताप सिंह, पूर्व प्रेसीडेंट, सछास