ओपन फोरम के दौरान जो भी घटना घटी, वह बहुत ही निंदनीय है। क ांग्रेस प्रत्याशी अमजद सलीम के साथ आए एंटी सोशल एलीमेंट्स ने जो कुछ भी तोड़-फोड़ की उसमें महिलाओं और बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा। कुछ मेयर प्रत्याशी उनके निशाने पर थे, जिन्हें कांग्रेस समर्थक नुकसान पहुंचाना चाहते थे। उन्होंने शहर में पहली बार आई नेक्स्ट की पहल पर कराए ओपन फोरम के कार्यक्रम को पूरा नहीं होने दिया।
-दर्शन लाल भाटिया, वाइस प्रेसीडेंट, उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल
अमजद सलीम पहले से ही टारगेट बना कर आए थे। वह हर जगह उपद्रव ही करते हैं। जब वह घटना को अंजाम दे चुके और उन्हें लगा कि पुलिस आने वाली है तो अमजद सलीम ने खुद ही अपने कपड़े भी फाड़ लिए। मैंने उन्हें ऐसा करते हुए देखा है। उन्होंने मेयर प्रत्याशी डॉ। तोमर को टारगेट किया था। अमजद सलीम की इस विनाशात्मक प्रवृत्ति ने आई नेक्स्ट की एक सार्थक पहल को पूरा होने से पहले ही तोड़ दिया। जो जनहित में एक ओपन फोरम के रूप में शुरू की गई थी।
-राजकुमार अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष, सर्राफा एसोसिएशन
प्रोग्राम में जो भी हुआ वह बहुत ही घटिया सोच का प्रदर्शन था। कांग्रेस प्रत्याशी ने जो भी किया वह पहले से सोची-समझी साजिश थी। मेरे जीवन की यह पहली घटना है, जिसने मुझे दहला दिया। आई नेक्स्ट के कार्यक्रम का उद्देश्य बहुत ही उम्दा था। पर कुछ नापाक इरादों ने इसे पूरा नहीं होने दिया। अगर अमजद सलीम इसमें शामिल नहीं थे, तो उन्हें अपने समर्थकों को रोकना चाहिए था। यह घटना देखकर ऐसा लगा कि मानवता कहीं खो गई है।
-देवेंद्र जोशी,प्रेसीडेंट, अखिल भारतीय युवा उद्योग व्यापार मंडल
यह घटना 100 परसेंट प्री प्लांड थी। पहली बार बरेली में आई नेक्स्ट के माध्यम से एक अच्छा प्रयास किया गया। कार्यक्रम अपनी गति से चल रहा था, इसी दौरान अमजद सलीम के समर्थकों ने जो घृणित घटना को अंजाम दिया वह शहर की अस्मिता पर भी सवाल है। वह अगर मेयर प्रत्याशी होकर ऐसा करवा रहे हैं तो उनका मेयर प्रत्याशी होना ही रिडीकुलस है। वह 20 साल से ऐसी ही राजनीति कर रहे हैं जो शहर को भी शर्मसार कर रही है।
-डॉ। अजय भारती, पूर्व अध्यक्ष, आईएमए
आई नेक्स्ट की पहल पर एक अच्छा कार्यक्रम चल रहा था। माहौल भी शांत था पर अचानक अमजद सलीम के समर्थकों ने वहां उपद्रव करना शुरू कर दिया। उन्होंने जब हॉल में एंट्री की थी, तभी उनकी तादाद और हरकतों से मंशाओं का आभास होने लगा था। पर यह इस रूप में सामने आएगी, शायद हॉल में मौजूद किसी भी व्यक्ति ने इसकी कल्पना तक न की थी। अचानक अन्य प्रत्याशियों से अभद्रता करना, हॉल में पड़ी कुर्सियां, गमले तोडऩा किसी भद्र समाज की निशानी नहीं है।
-राजन विद्यार्थी, सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट
आई नेक्स्ट ने बहुत ही सुंदर प्रयास किया था। खुली चर्चा के लिए जनता के पास एक मंच था। प्रोग्राम के बीच में जो घटना हुई वह अप्रिय है। ऐसा लगा जैसे कि प्रजातंत्र का खून हुआ हो। कांग्रेस प्रत्याशी अमजद सलीम ने जो अभद्र व्यवहार किया, वह बहुत ही निंदनीय है। शहर के बुद्धजीवी वर्ग के कार्यक्रम के बीच में भगदड़ मचाना, एक प्रत्याशी द्वारा ही उपद्रव कराया जाना बहुत ही शर्मनाक घटना है। भगदड़ में तो जान बचाना ही मुश्किल हो गया था।
-दिनेश गोयल, एमडी,रामा श्यामा पेपर इंडस्ट्री
कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी अमजद सलीम ने ओपन फोरम के दौरान जो अव्यवस्था फैलाई, उपद्रव किया तो मेयर बनकर शहर का विकास कैसे करेंगे। पहले तो उन्होंने उपद्रव फैलाया, तोड़-फोड़ की और फिर पुलिस-प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने के लिए खुद ही अपने कपड़े भी फाड़ लिए। यह घटना अराजक और निरंकुश राजनीति की ओर इशारा करती है। आई नेक्स्ट की एक रचनात्मक पहल को इस निरंकुश प्रत्याशी ने शुरू होने से पहले ही दबाने की कोशिश की है, जो कि लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है।
-राजनारायण गुप्ता, प्रेसीडेंट, विकल्प
घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। स्लोगन शाउटिंग से शुरू हुआ वाक्या देखते ही देखते उपद्रव में बदल गई. हॉल में मौजूद एंटी सोशल एलीमेंट्स ने वहां मौजूद बुजुर्गों और महिलाओं का ख्याल किए बगैर ही कुर्सियां, गमले आदि फेंकने शुरू कर दिए। तमाम लोग घायल भी हो गए। कार्यक्रम में ऐसी कोई भी परिस्थितियां नहीं बनी थीं जो उपद्रव को जन्म दें। यह पूरा वाक्या पूरी तरह से पूर्व नियोजित था। इसका आभास अमजद सलीम के हॉल में प्रवेश करते ही हो गया था।
-डॉ। शशि सक्सेना, प्रेसीडेंट, रोटरी क्लब ऑफ बरेली
आई नेक्स्ट ने मेयर प्रत्याशियों और बरेली बुद्धिजीवी वर्ग के बीच ओपन फोरम आयोजित किया, वह एक सराहनीय प्रयास था। पर इसमें क ांग्रेस प्रत्याशी अमजद सलीम ने जो उपद्रव करवाया वह स्वस्थ लोकतंत्र पर एक कलंक है। मुझे तो वहां जान बचाकर भागना पड़ा। जिन लोगों को हम सभ्य कहते हैं, उन्होंने राजनीति को अराजक और निरंकुश बना दिया है। मुझे बहुत पीड़ा हुई कि मेयर जैसे संभ्रांत पद के दावेदार जहां मौजूद थे, वहां अनपढ़ समाज में होने वाली घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। वहां कुछ लोग अपनी बात तो कहना चाह रहे थे पर किसी की सुनना नहीं। यह लोकतंत्र का नियम नहीं है।
-भारत भूषण शील, केंद्रीय सचिव, आईआईए
आई नेक्स्ट के ओपन फोरम में मेयर प्रत्याशी अमजद सलीम की ओर से एंटी सोशल एलीमेंट्स को लाकर पूरे सिस्टम क ो तहन-नहस करने की तैयारी थी। वह इसमें काफी हद तक सफल भी हुए, पर यह लोकतंत्र के लिए बड़ी हार है। आई नेक्स्ट की एक बेहतरीन पहल को उन्होंने दबा दिया। इस घटना में मानवता भी शर्मसार हुई है। यह अमजद सलीम का फ्रस्टे्रशन है, जो उन्होंने इस रूप में निकाला है। शायद उनके पास जनता के सवालों का जवाब नहीं था। उन्हें अपनी बात रखनी चाहिए थी, यह तरीका सही नहीं है।
-किशोर कटरू, प्रेसीडेंट, चैंबर ऑफ कॉमर्स
शहर में पहली बार आई नेक्स्ट की पहल पर कराए ओपन फोरम के कार्यक्रम को पूरा नहीं होने दिया। जो कि शहर के लिए अच्छी शुरुआत हो सकती थी पर ओपन फोरम के दौरान जो भी घटना घटी, वह बहुत ही निंदनीय है। क ांग्रेस प्रत्याशी अमजद सलीम के साथ आए एंटी सोशल एलीमेंट्स ने जो तोड़-फोड़ की उसमें महिलाओं और बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा। पूरे उपद्रव को अमजद सलीम की ओर से योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है। कुछ मेयर प्रत्याशी उनके निशाने पर थे, जिन्हें कांग्रेस समर्थक नुकसान पहुंचाना चाहते थे।
-जेसी पालीवाल, प्रेसीडेंट, ऑल इंडिया कल्चरल एसोसिएशन