उत्तराखंड बरेली में
9 नवम्बर, 2000 को उत्तराखंड का अलग अस्तित्व बना। इसके बाद से बरेली की मंडी में आने वाले उत्तराखंड के प्रॉडक्ट हल्द्वानी की मंडी से ही बिकने शुरू हो गए। ऐसे में कई ऐसे प्रॉडक्ट आज भी बरेली में अवेलेबल नहीं है उनकी प्राप्ति के लिए लोगों के उत्तराखंड का रूख करना पड़ता है। उत्तरायणी जनकल्याण समिति के पूर्व महासचिव मोहन जोशी ने बताया कि इन कारणों से भी उत्तारायणी मेला बरेलियंस के लिए काफी खास है। यह मौका हाथ से न निकले।
टेस्टी बांस का आचार
मोहन जोशी ने बताया कि मेले में 146 स्टॉल्स में से 40 उत्तराखंड के स्टॉल्स शामिल है। इसमें सबसे ज्यादा स्टॉल फूड प्रोडक्ट के होंगे। इसमें काला राजमा, सफेद राजमा, गोहत की दाल, बांस का आचार, जैम-जैली, बुरांस क जुश, स्टीविया, जम्मू घास और शिलाजीत सहित कई ऐसी जड़ीबुटी और दाल अवेलेबल होगी, जो बरेली में लोगों को नहीं मिल पाती है। पहाड़ के शहद का भी लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र बने रहने की उम्मीद है। उन्होंने बताया की गोहत की दाल इस सर्दी के मौसम में लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है।
बाल मिठाई और सिघौड़ी
उत्तराखंड का नाम जेहन में आते ही वहां की प्रसिद्ध बाल मिठाई का जिक्र हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। उत्तारायणी मेले लोगों को इस बार बाल मिठाई के साथ ही सिघौड़ी और कई चॉकलेट की भी स्टॉल लगाई जा रही है। लोगों को इसके अलावा उत्तराखंड की लगभग सभी चर्चित मिठाइयों का स्वाद चखने का मौका मिल सकेगा।
पश्मीना शॉल की गर्मी
मेले में ट्वीट के कपड़े के साथ पश्मीना शॉल सहित कई सारे गर्म कपड़ों के भी स्टॉल लगाए जाएंगे। यहां से बरेलियंस को उत्तराखंड के पोशाक के साथ वहीं तैयार कई सारे गारमेंट की वैराइटी मिल सकेगी। यहां एक स्टॉल कशमीर का भी होगा।
बर्फबारी ने दिलाई additional facility
मेले में पिथौरागढ़, लोहागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तरकाशी, देहरादून, खहिमा और नैनीताल डिस्ट्रिक्ट से स्टॉल बुलाए गए हैं। नैनीताल सहित कई जगहों पर अच्छी बर्फबारी हुई है, जिसके कारण इन दिनों उत्तराखंड में पर्यटकों की भारी भीड़ इकट्ठा हुई है। ऐसे में वहां के व्यापारियों को स्टॉल में बुलाने पर फ्री रहने और खाने की सुविधा दी जा रही है। स्टॉल की फीस भी उत्तराखंड उद्योग विभाग की ओर से मेले में जमा कराई जाएगी।
Cultural event में रोज 10 प्रोग्राम
मोहन जोशी ने बताया कि इस मेले को ऑर्गनाइज करने के पीछे उद्देश्य ये है कि उत्तराखंड से दूर हो चुके लोगों को अपनी संस्कृति से रूबरू कराना इसलिए कल्चरल इवेंट को काफी प्रमुखता दी जा रही है। इस ऑकेजन पर सांस्कृतिक निदेशालय की ओर से 5 टीम भेजे गए हैं। वहीं आयोजकों की ओर से करीब 8 टीम हायर किया गया है। इस बार टीम अपने प्रदर्शन से मदमस्त कर देंगे।