- जायरीनों ने की चादरपोशी, दरगाह पर वली या वली की गूंजती रही सदाएं

BAREILLY:

दरगाह आलिया मोहम्मदीया दरगाह वली मियां में कुतुब अकताब हजरत अल्हाज अश्शाह मौलाना वली मोहम्मद के चल रहे उर्स का वेडनसडे को समापन हो गया। जिसमें मदरसा गुलशन-ए-वली मोहम्मद के तुलबा (स्टूडेंट्स) ने कुरआन मुकम्मल किया। समापन पर इलाके में वली या वली की सदाएं गूंज रहीं थी। शहर और बाहर से आए चादरों के जुलूस ने चादरपोशी की। सबसे बड़ा जुलूस ठिरिया निजावत खां से रिफाकत अली खां की कयादत में निकला। वहीं, पुराना शहर, स्वालेनगर, कटघर, हुसैनबाग, किला, जखीरा, घेर शेख मिट्ठू, मलुकपुर, बिहारीपुर, कंघीटोला, फूटा दरवाजा, बाजार संदल खां व अन्य इलाकों से चादरों का जुलूस निकाला गया।

जायरीन ने की चादरपोशी

उर्स में शहर के अलावा हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई, रांची, उत्तराखंड, राजस्थान और यूपी व अन्य जिलों से आए जायरीन ने चादरपोशी कर मुल्क की सलामती की दुआ की। जोहर की नमाज के बाद नातिया प्रोग्राम का आगाज हाफिज मोहम्मद ने तिलावते कुरआन से किया। इसमें फुरकान अली ने 'आमाल की वजह से था दोजख में ठिकाना, आका तेरा वसीला हमें काम आ गया', अब्दुल रऊफ नश्तर बरेलवी ने 'इश्के नबी में चाक गिरेबां किया हुआ, महशर में तार-तार मेरे काम आ गया', फारूख मदनापुरी ने 'यही कहता हुआ आशिक मस्ताना आया है, चलो रिंदों करीरी जोश पर महरवाना है', सज्जादानशीन अल्हाज अनवर मियां ने 'दस्त बस्ता सफ-ब-सफ खड़े हैं अम्बिया, पहुंची सवारी जब मस्जिद-ए-अक्सा, देखो नमाज-ए-असरा का इमाम आ गया' पढ़कर नजराने अकीदत पेश की।