स्टूडेंट्स की डिटेल निकालने में जुटे फर्जीवाड़ा करने वाले

BAREILLY: बीएड कॉउंसलिंग में सेंधमारी के बाद एडमिशन में फर्जीवाड़ा करने वाले तमाम गिरोह यूपीएसईई कॉउंसलिंग में घुसपैठ की तैयारी कर चुके हैं। बीएड में बैकडोर से स्टूडेंट्स की तरफ से कॉलेज लॉक करने वाले ये धांधलीबाज अब यूपीएसईई में भी कारनामा करने की ताक में हैं। आशंका है कि स्टूडेंट्स की डिटेल पता कर रहा ये गिरोह कॉलेज लॉक करने की प्रक्रिया शुरू होते ही फर्जीवाड़े को अंजाम देना शुरू कर देगा। असल में एनआईसी की नई व्यवस्था ही फर्जीवाड़े करने वालों का हथियार बन गई है। यह हथियार ऐसा कि स्टूडेंट्स ने जरा सी भी चूक की तो उनका कॉलेज कोई और लॉक कर देगा।

एनआईसी की नई व्यवस्था बनी फांस

एडमिशन कॉउंसलिंग हो या फिर भर्ती प्रक्रिया की कॉउंसलिंग, अधिकांश में व्यवस्था एनआईसी प्रोवाइड कराती है। इस बार एडमिशन की कॉउंसलिंग में एनआईसी ने एक नई व्यवस्था लागू की। इसके पीछे सोच थी स्टूडेंट्स का काम आसान करने की लेकिन राह आसान हुए गोलमाल करने वालों की। कॉलेज लॉक करने के लिए स्टूडेंट्स को वन टाइम पासवर्ड की जरूरत पड़ती है। यह पासवर्ड केवल मोबाइल नम्बर पर एसएमएस से भेजा जाता है। लेकिन इस बार एनआईसी ने पासवर्ड को स्क्रीन पर भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था दे दी। जिससे फर्जीवाड़ा करने वालों का काम आसान हो गया है। किसी भी स्टूडेंट का रोल नम्बर, रजिस्ट्रेशन नम्बर, डीडी नम्बर और डेट ऑफ बर्थ मालूम कर पासवर्ड चेंज कर ऑनस्क्रीन देख सकता है और कॉलेज लॉक कर सकता है।

कॉलेज लॉक का प्रोसेज भ् जुलाई से

जीबीटीयू की यूपीएसईई की कॉउंसलिंग में अभी डॉक्यूमेंट्स वैरीफिकेशन हो रहा है। सिटी के म् सेंटर्स पर रैंक फ्0,000 तक के स्टूडेंट्स का वैरीफिकेशन फ् जुलाई तक चलेगा। भ् जुलाई से 7 जुलाई तक टूडेंट्स अपना कॉलेज लॉक करेंगे। बता दें कि बीएड की कॉउंसलिंग खत्म हो चुकी है। आरयू और केसीएमटी के सेंटर पर कॉउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान करीब आधे दर्जन से ज्यादा ऐसे स्टूडेंट्स की कंप्लेन आई, जिसमें किसी और के द्वारा कॉलेज लॉक करने की बात कही गई। आरयू में तो दो संदिग्ध लोगों को पकड़ कर भगा दिया गया था जबकि केसीएमटी से एक एजेंट को दबोच कर पुलिस के हवाले कर दिया गया था। वे स्टूडेंट्स की जरूरी डिटेल्स जान रहे थे। केसीएमटी के सेंटर के इंचार्ज डॉ। आरके सिंह ने बताया कि एनआईसी की इस नई व्यवस्था ने स्टूडेंट्स के लिए प्रॉब्लम खड़ी कर दी है। अब स्टूडेंट्स की डिटेल्स मालूम कर पासवर्ड जानना बड़ा आसान हो गया है। ऐसे में फर्जीवाड़े को बड़ी आसानी से अंजाम दिया जा सकता है। यूपीएसईई की कंट्रोल रूम से कोई हेल्प नहीं मिल रही है। कोई प्रॉब्लम आती है तो सॉल्व करने के लिए किससे कॉन्टेक्ट करें ऐसी कोई व्यवस्था तक नहीं है।

कॉउंसलिंग में थे नहीं और हो गया वैरीफिकेशन

यूपीएसईई की कॉउंसलिंग में बिना स्टूडेंट्स के सेंटर पर उपस्थित हुए ही वैरीफिकेशन होने की कंप्लेन मिली है। यूपीएसईई ने हालांकि इसे पहली नजर में ह्यूमन एरर मानते हुए वैरीफिकेशन करने वालों को ताकीद किया है। दरअसल, वैरीफिकेशन के समय उन स्टूडेंट्स का रोल नम्बर भी फीड कर दिया गया जो सेंटर पर गए ही नहीं। कई सेंटर्स से ऐसी कंप्लेन मिली हैं। यूपीएसईई के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रो। जगबीर सिंह ने वैरीफिकेशन सेंटर पर नोटिस भेजा है। उन्होंने कहा है कि यह गंभीर मामला है, इसे सुधार लें। वैरीफिकेशन करने वालों की आईपी एड्रेस मॉनिटर की जा रही है। केवल उन्हीं स्टूडेंट्स की डिटेल फीड की जाए जो सेंटर पर उपस्थित हों। हालांकि, इसे ह्यूमन एरर माना जा रहा है लेकिन सोर्सेज की मानें तो फर्जीवाड़े की शुरुआत भी हो सकती है। फिलहाल, एनआईसी वैरीफिकेशन करने वालों का आईपी एड्र्रेस, डाटा, नाम मॉनिटर कर रहा है।

यूपीटीयू की वेबसाइट 7 महीने तक रही थी हैक

दरअसल, सारी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जा रहा है। जिसमें काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जरा सी चूक इंर्पोटेंट डिटेल्स हैकर्स तक पहुंचा सकती है। लेकिन जीबीटीयू की लापरवाही का आलम यह है कि उसकी वेबसाइट 7 महीने तक हैकर्स मैनेज कर रहे थे और यूपीटीयू वीसी तक को इसकी खबर नहीं थी। हालांकि हैकर्स एथिकल थे, जो सिक्योरिटी परपज से वेबसाइट को हैक किया था। लास्ट ईयर अक्टूबर में यूपीटीयू को बिना बताए हैक किया था। इसके बाद यूपीटीयू के वीसी को उन्होंने मेल भी जारी किया था लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।