मुर्गीखाने की तरह एग्जाम सेंटर्स पर स्टूडेंट्स को ठूस दिया गया है। स्कूलों के पास स्टूडेंट्स को एग्जाम दिलाने के लिए फर्नीचर नहीं हैं। एक तरफ एग्जाम रूम में स्टूडेंट्स बैठे हैं तो दूसरी तरफ सेंटर इंचार्ज क्वेश्चन पेपर के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं। कहीं पर क्वेश्चन पेपर्स के इतने बंडल हैं कि वह अगल-बगल स्कूल के भी एग्जाम करा सकते हैं। बहुतेरे स्टूडेंट्स के पास एडमिट कार्ड नहीं हैं और वे सेंटर्स इंचार्ज से एग्जाम में बैठने की गुहार लगा रहे हैं। लाख बुलाने पर भी इनविजिलेटर्स ड्यूटी बजाने नहीं पहुंचे। प्रिंसिपल्स को तो जैसे-तैसे एग्जाम निपटाना ही है। यूपी बोर्ड की यह 21वीं सदी की परीक्षा है। जहां विभाग के उपर जैसे-तैसे एग्जाम कंडक्ट कराकर कोरम पूरा करना पड़ता है और स्टूडेंट्स को सवा तीन घंटे सफर कर अपने फ्यूचर का सफर तय करना पड़ता है।
जमीन पर कॉपी रखकर दी परीक्षा
एजुकेशन डिपार्टमेंट ने सेंटर्स पर अलॉटेड सीट से ज्यादा स्टूडेंट्स को एग्जाम देने के लिए भेज दिया। लिहाजा सेंटर्स इंचार्ज को और कुछ न सूझता देख मजबूरन जमीन पर बिठा कर स्टूडेंट्स को एग्जाम दिलाना पड़ा। बिशप मंडल, जीआईसी, जीजीआईसी, बरेली कॉलेज, सरस्वती विद्या मंदिर, सीएएस समेत तमाम एग्जाम सेंटर्स ऐसे थे जहां पर अलॉटेड सीट से करीब 200 से भी ज्यादा स्टूडेंट्स को एग्जाम दिलाना पड़ा। एक्सट्रा स्टूडेंट्स कभी जमीन पर आंसर शीट रख कर एग्जाम देते तो कभी पैर पर।
इंग्लिश मीडियम के स्टूडेंट्स कम हैं
ऑफिसर्स की यह खुशकिस्मति ही है कि सिटी में इंग्लिश मिडियम के महज दो ही स्कूल हैं। नहीं तो एग्जाम कंडक्ट कराने में छींके आ जाती। क्योंकि एग्जाम शुरू होने के महज कुछ ही मिनट्स के बाद ही जुगाड़ से इंग्लिश मीडियम के स्टूडेंट्स को क्वेश्चन पेपर्स मुहैया कराया जा सका। कॉलेजों को अपने यहां अलॉटेड इंग्लिश मीडियम के स्टूडेंट्स की संख्या का पता नहीं था। सिटी में केवल दो इंग्लिश मीडियम स्कूलों के महज 50-60 के करीब स्टूडेंट्स एग्जाम दे रहे थे। पूरे स्टूेट में इंग्लिश मीडियम पेपर की भारी कमी है। मॉर्निंग में सेंटर्स इंचार्ज को जैसे ही मालूम पड़ा कि उनके यहां कुछ स्टूडेंट्स इंग्लिश मीडियम के हैं उनके हाथ-पांव फूल गए। डीआईओएस राकेश कुमार को फोन घुमाया गया। किसी तरह से भाग-दौड़ कर पेपर मैनेज कराए गए। बिशप में ऐसे केवल 5 स्टूडेंट्स हैं, लेकिन उनको भी एग्जाम स्टार्ट होने के कुछ देर बाद ही पेपर मिल सका। वहीं जिन 6 स्कूलों के 5 हजार से भी ज्यादा स्टूडेंट्स के फॉर्म बाद में असेप्ट किए गए उनके क्वेश्चन पेपर्स थर्सडे आधी रात के बाज पहुंचे। फ्राइडे मॉर्निंग तक विभागीय ऑफिसर्स और सेंटर इंचार्ज पेपर्स सेंटर तक पहुंचाने में जुटे रहे। डीआईओएस राकेश कुमार ने स्वीकार किया कि कई सेंटर्स पर कम्यूनिकेशन के आभाव में परेशानी हुई। परेशानियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
कहीं ये फर्जी स्टूडेंट्स तो नहीं
बोर्ड एग्जाम के पहले ही दिन हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स गैर हाजिर रहे। हाईस्कूल और इंटर दोनों ही पालियों में काफी संख्या में स्टूडेंट्स एग्जाम देने नहीं पहुंचे। विभाग के पास अभी इसकी स्पष्ट संख्या नहीं है। जानकार कयास यही लगा रहे हैं कि ये बिगड़ैल कॉलेजों के फर्जी स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने नकल की मकसद से फॉर्म भरे थे। लेकिन सेटिंग न बनने के कारण एग्जाम से गायब रहना ही मुनासिफ समझा। बिशप मंडल में मॉर्निंग में हाईस्कूल के करीब 73 स्टूडेंट्स एब्सेंट रहे। वहीं जीजीआईसी में हाईस्कूल के 127, बरेली कॉलेज में इंटर के 139 स्टूडेंट्स एब्सेंट रहे। यह महज बानगी है। टोटल 140 सेंटर्स पर दोनों हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा से हजारों स्टूडेंट्स ने पहले ही दिन परीक्षा को बाय-बाय कर दिया। बिशप मंडल के प्रिंसिपल जगमोहन सिंह ने बताया कि अधिकांश जीएसएम इंटर के स्टूडेंट्स एब्सेंट रहे। आगे भी एब्सेंट रहने वालों की संख्या और बढऩे वाली है।
कहीं पेपर का लगा रहा अम्बार
एक तरफ जहां क्वेश्चन पेपर की भारी कमी थी तो दूसरी तरफ कुछ सेंटर्स ऐसे भी थे जहां पेपर्स का अंबार लगा हुआ था। जितने स्टूडेंट्स को एग्जाम देना था उससे करीब डबल से भी ज्यादा पेपर्स के बंडल थे। बिशप मंडल, पीसी आजाद इंटर कॉलेज समेत कई सेंटर्स थे जहां पर पेपर्स काफी मात्रा में एक्स्ट्रा मिले।
ड्यूटी बजाने नहीं आए इनविजिलेटर्स
विभागीय ऑफिसर्स के पुख्ता इंतजामों की पोल तो वहीं पर खुल गई जब उनके द्वारा नियुक्त इनविजिलेटर्स ने ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। ऐसे अधिकांश टीचर्स बेसिक के थे। एग्जाम के लिए करीब 8 हजार इनविजिलेटर्स की जरूरत है। जिसमें से करीब 3 हजार बेसिक के टीचर्स लगने थे। ये ही टीचर्स ऐन मौके पर गच्चा दे गए। एक रूम में दो-दो टीचर्स लगाने के बजाए एक ही टीचर से काम चलाना पड़ा। कहीं पर तो एक ही टीचर दो कक्षाओं को संभाल रहा था। बिशप में 68 इनविजिलेटर्स की जरूरत है। कॉलेज अपने 21 टीचर से 778 स्टूडेंट्स को कंट्रोल कर रहा था। बाकी बाहर के टीचर्स नदारद रहे। यही हाल जीजीआईसी, जीआईसी, बरेली कॉलेज, पीसी आजाद समेत सभी कॉलेजों में रहा। बरेली कॉलेज को वेडनसडे को ही इंटर का सेंटर बनाया गया और यहां पर जीएसएम के 519 स्टूडेंट्स को परीक्षा देने के लिए भेज दिया गया। यहां एक भी इनविजिलेटर तैनात नहीं किया गया।
बिना एडमिट कार्ड के भटकते रहे स्टूडेंट्स
सैकड़ों की संख्या में स्टूडेंट्स ऐसे थे जिनको अभी तक एडमिट कार्ड नहीं मिले और वे आज एग्जाम देने के लिए एक सेंटर से दूसरे सेंटर पर भटकते रहे। जीएसम, पान कुमारी, पंचायती राज, जवाहर मीना देवी समेत कई स्कूलों के स्टूडेंट्स बिना एडमिट कार्ड के भटकते दिखे। कॉलेजों की नामावली से उनके नाम गायब थे और फिर कॉलेजों ने अपने हाथ खड़े कर दिए। जीआईसी बरेली कॉलेज, बिशप मंडल सेंटर पर मॉर्निंग में ऐसे स्टूडेंट्स भटकते हुए आए।Report by: Abhishek Singh