शाहजहांपुर रोड पर कटरा के आगे रोड पर बिखरे मिले यूपी बोर्ड की कॉपियों के बंडल

BAREILLY: स्टूडेंट्स की साल भर की मेहनत पर किस तरह से पानी फेरा जाता है, यूपी बोर्ड में इसकी एक और नजीर फिर देखने को मिली। थर्सडे को एक ऐसा प्रकरण सामने आया जिसने यह प्रूव कर दिया किया कि बोर्ड के जिम्मेदारों को स्टूडेंट्स की फ्यूचर की कितनी चिंता है। शाहजहांपुर रोड पर यूपी बोर्ड की कॉपीज बंडल सड़क पर बिखरे मिले। दरअसल, यह कॉपीज चेक होने के बाद रीजनल बोर्ड ऑफिस में जमा करने के लिए लाई जा रही थीं। रास्ते में कई बंडल वाहन से गिर गए। पास से गुजर रहे एक डॉक्टर ने गाड़ी के ड्राइवर को रोकने की नाकाम कोशिश की। यही नहीं इस लापरवाही की शिकायत लेकर डॉक्टर साहब बरेली पुलिस के पास गए तो उसने भी हाथ खड़े कर दिए। काफी देर तक भटकने के बाद डॉक्टर ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कॉपियों को डीआईओएस भिजवाया।

क्क् अप्रैल से कॉपी चेक करने का काम

यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटर का एग्जाम फ् मार्च से शुरू होकर ब् अप्रैल को खत्म हुआ था। जिसके लिए करीब क्,00,म्00 से ज्यादा स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड थे। एग्जाम खत्म होने के बाद क्क् अप्रैल से कॉपीज चेक करने का काम शुरू हुआ। बरेली मंडल की कॉपीज दूसरे मंडल को भेजी गई थीं और आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद समेत दूसरे मंडलों के स्टूडेंट्स की कॉपीज चेक होने के लिए बरेली भेजी गई थीं। बरेली में भ् केंद्र बनाए गए थे। जिनपर करीब क्0 लाख कॉपीज को चेक करने का जिम्मा क्म्00 टीचर्स को दिया गया। ख् मई तक कॉपीज चेक करने का काम खत्म कर दिया गया।

रीजनल बोर्ड ऑफिस लाई जा रहीं थीं कॉपियां

यूपी बोर्ड की कॉपी चेक करने का काम प्रदेश के कई चुनिंदा मंडलों में कराया जाता है। उसके बाद कॉपीज को बोर्ड ऑफिस में कलेक्शन के लिए भेजा जाता है। प्रदेश में इलाहाबाद स्थिति मेन बोर्ड ऑफिस के अलावा बरेली में एक रीजनल बोर्ड ऑफिस है। रीजनल बोर्ड ऑफिस से बरेली और मुरादाबाद के दो मंडल के 9 डिस्ट्रिक्ट्स कवर होते हैं। थर्सडे को दोनों मंडलों की कॉपीज को रीजनल बोर्ड ऑफिस में जमा करने के लिए लाया जा रहा था।

शाहजहांपुर रोड पर गिरे पांच बंडल

कॉपीज डीसीएम नंबर यूपी क्भ् एटी 70ख्ब् से लाई जा रही थीं। शाहजहांपुर रोड पर कटरा के आगे कॉपीज के भ् बंडल सड़क पर गिर गए। पीछे से शाहजहांपुर के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में तैनात डॉ। बीके गंगवार अपनी कार से आ रहे थे। उन्होंने कॉपीज को सड़क पर गिरते देखा तो उठा लिया। उन्होंने रास्ते में डीसीएम को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन ड्राइवर इतनी तेज गाड़ी चला रहा था कि उनकी बात को अनुसना कर दिया।

और पुलिस टालती रही

डीसीएम को फॉलो करते हुए डॉक्टर फतेहगंज पूर्वी तक पहुंचे वहां की पुलिस से मदद मांगने लगे। पुलिस ने क्षेत्र से बाहर का मामला बताकर चलता कर दिया। इसके बाद डॉक्टर साहब सैटेलाइट तक आए वहां पर खड़ी बारादरी पुलिस से संपर्क साधा। लेकिन उन्होंने उनकी मदद नहीं की। कोई भी उन कॉपियों की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था। डॉक्टर ने पुलिसवालों से कंट्रोल रूम में फोन करवाया। उन्होंने बताया कि पूरे मामले को डीएम के संज्ञान में लाया गया तब उनके आदेश पर डीआईओएस से आए कर्मचारियों ने उन कॉपियों को रिसीव किया।

बिजनौर और बरेली की थी कॉपियां

आंसरशीट के जो भ् बंडल गिरे थे वे सभी बरेली और बिजनौर के स्कूलों के स्टूडेंट्स के थे। बिजनौर के सहसपुर, नवादा और फरीदपुर के परीक्षा केंद्रों की कॉपीज हैं। इंटर के चित्रकला सब्जेक्ट के वे सारे बंडल थे। जिन्हें चेक कराने के बाद रीजनल बोर्ड ऑफिस में जमा कराना था।

अगर गुम हो जाती तों

यूपी बोर्ड की कॉपियों के साथ इस तरह की घटनाएं होना कोई नई बात नहीं हैं। हर बार लापरवाही बरती जाती है लेकिन जिम्मेदार सबक नहीं लेते। कॉपियों का गुम हो जाना, जल जाने जैसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। हर बार लीपापोती ही होती है। शुक्र है उन डॉक्टर साहब का जिन्होंने जिम्मेदारी को समझा और कॉपियों को सही सलामत पहुंचाया। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि कॉपियां गुम हो जातीं और रिजल्ट के बाद यदि कोई स्टूडेंट स्क्रूटनी के लिए अप्लाई करता तो विभाग क्या जवाब देता। शायद इसका जवाब विभाग के पास अब नहीं है और ना ही तब होता।

कॉपियों को डीआईओएस ऑफिस के कर्मचारियों ने रिसीव कर लिया है। यह देखा जाएगा कि कॉपियां किन सेंटर्स की हैं। वहां के मूल्यांकन केद्रों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। लापरवाही डीसीएम वाले ने की है।

- संजय उपाध्याय, सेक्रेट्री, रीजनल बोर्ड ऑफिस, बरेली

मैने कॉपियों को सड़क पर गिरते हुए देखा। ड्राइवर को रोकने की कोशिश की लेकिन नहीं रुका। पुलिस ने भी नहीं सुनी। हर कोई अपनी जिम्मेदारी से भागता रहा। अंत में कंट्रोल रूम में फोन करवाकर डीएम से अवगत कराया, तब कॉपियां रिसीव हुई।

- डॉ। बीके गंगवार, शाहजहांपुर