- स्टूडेंट्स के प्रोजेक्ट वर्क में हावी रही बिजली समस्या
- स्टूडेंट्स ने मिनि हाइड्रो प्लांट के जरिए बिजली समस्या से निजात दिलाने का दिया सुझाव
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BAREILLY: बिजली की कमी स्टेट के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक बड़ी समस्या है। इस प्रॉब्लम से निजात पाने के लिए गवर्नमेंट एजेंसीज की तरफ से हर संभव योजनाएं बनाई जा रही हैं और उनपर काम भी चल रहा है। लेकिन इस समस्या से छुटकारा नहीं मिलता दिख रहा है। अब ऐसे में मंडे को आरयू के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में इस समस्या फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स ने अपने एकेडमिक करिकुलम के अकॉर्डिग विभिन्न मॉडल्स को प्रदर्शित किए। इस असाइनमेंट की खास बात यह रही कि अधिकांश स्टूडेंट्स के मॉडल्स इसी देश को इस विकट समस्या से जल्द-जल्द छुटकारा दिलाने पर आधारित थे।
मिनि हाइड्रो प्लांट हो कारगर
बिजली की कमी को पूरा करने के लिए देश में बिजली उत्पादन के लिए कई बड़े प्लांट को स्थापित करने का काम चल रहा है। हालांकि प्लांट को स्थापित करने में काफी समय और अरबों रुपयों खर्च हो रहे हैं। इसके चलते ऐसी योजनाओं के विस्तार और लागत को देखते हुए इन्हें सभी प्रमुख क्षेत्र में स्थापित करना संभव नहीं हो पाता है। साथ ही इनसे उत्पादन होने वाली बिजली राज्यों को ज्यादा दामों पर मिलती है। इसकी मार जनता पर ही पड़नी है। ऐसी स्थिति में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स ने देश में कई जगहों पर मिनि हाइड्रो प्लांट स्थापित करने पर बल दिया। इससे काफी हद तक बिजली प्रॉब्लम से छुटकारा पाया जाता सकता है।
इस तरह से करता है काम
मिनि हाइड्रो प्लांट के प्रोजेक्ट को फाइनल ईयर के चार स्टूडेंट्स ने अपने मॉडल के जरिए बखूबी प्रदर्शित किया। स्टूडेंट्स विवेक, नितिन, धीरेंद्र और रंजीत ने अपने गाइड और टीचर अतुल सरोजवाल के निर्देशन में यह मॉडल तैयार किया था। इस मॉडल के जरिए उन्होंने यह बताने की कोशिश किया कि कैसे छोटे-छोटे शहर व ग्रामीण इलाकों की बिजली आपूर्ति की समस्या को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस तरह का प्लांट ऐसी जगह पर असानी से स्थापित किया जा सकता है जहां पर पानी की उपलब्धता पर्याप्त हो। पानी के फोर्स से प्लांट के टरबाइन से जो उर्जा पैदा होगी उससे बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने अपने मॉडल्स के जरिए यह समझाने की कोशिश की कि यदि इस तरह की योजनाओं पर काम किया जाए तो देश के कई क्षेत्रों में बिजली की समस्या बिलकुल खत्म हो जाएगी और दूसरे बड़े प्लांट पर उनकी निर्भरता भी नहीं रहेगी। यही नहीं इन मिनि हाइड्रो प्लांट से उत्पादित बिजली की लागत भी काफी कम होगी।