- यूजीसी ने मार्कशीट पर सिक्योरिटी फीचर्स लागू करने के दिए थे निर्देश

- आरयू में फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं

<- यूजीसी ने मार्कशीट पर सिक्योरिटी फीचर्स लागू करने के दिए थे निर्देश

- आरयू में फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं

BAREILLY:

BAREILLY: मार्कशीट के फर्जीवाड़े को लेकर आरयू बिल्कुल भी सीरियस नहीं दिखाई दे रहा है। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन <मार्कशीट के फर्जीवाड़े को लेकर आरयू बिल्कुल भी सीरियस नहीं दिखाई दे रहा है। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ((यूजीसी) ने मार्कशीट में सिक्योरिटी फीचर्स लागू करने के निर्देश दिए थे। यूजीसी के चेयरमैन के आदेश पर सेक्रेट्री ने इसको लेकर सभी यूनिवर्सिटीज को सर्कुलर भी जारी किया था। बावजूद इसके आरयू ने इस संबंध में विचार करने की जहमत नहीं उठाई। वह भी तब जब आरयू के पास स्टूडेंट्स की संख्या काफी ज्यादा है। पहले से ही आरयू के स्टूडेंट्स मार्कशीट में आ रही तमाम गड़बडि़यों को लेकर परेशान रहता है। बावजूद इसके आरयू मार्कशीट में सुधार को लेकर कोई कदम उठाने को तैयार नहीं है। वहीं यूपी के कुछ यूनिवर्सिटीज इस योजना को लागू भी करने लगे हैं।

ताकि न हो फर्जीवाड़ा

वर्ष ख्00म् से ख्009 के बीच मुंबई यूनिवर्सिटी में करीब म्00 डिग्रियां फर्जी मिलीं थीं। जिसके बाद मामला लोक सभा और राज्य सभा में भी उठा था। मुंबई यूनिवर्सिटी ने इन फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाने के लिए खुद ही सिक्योरिटी फीचर्स लागू कर दिए थे। सदन में मामला गूंजने के बाद यूजीसी के चेयरमैन प्रो। वेद प्रकाश के आदेश पर सेक्रेट्री प्रो। जसपाल एस संधु ने सभी यूनिवर्सिटीज को लेटर जारी कर अपनी मार्कशीट में सिक्योरिटी फीचर्स लागू करने के निर्देश दिए थे। ताकि फर्जी मार्कशीट के गोरखधंधे पर लगाम लग सके। यूजीसी ने इसके लिए ऐसे एजेंसीज की मदद लेने के निर्देश दिए थे जो सिक्योरिटी फीचर्स लगाने में एक्सपर्ट होती हैं।

बनी रहे यूनिफॉर्मिटी

सिक्योरिटी फीचर्स लागू करने के पीछे यूजीसी की एक और मंशा थी। इससे यूनिवर्सिटीज की मार्कशीट में यूनिफॉर्मिटी आएगी। अधिकांश मार्कशीट एक जैसी दिखेंगी। काफी हद पारदर्शिता नजर आएगी। असली नकली की पहचान करना काफी आसान हो जाएगा। इसके लिए यूजीसी ने भी अपनी तरफ से फीचर्स लागू करने के कुछ टिप्स दिए थे।

ेसे होने चाहिए फीचर्स

यूजीसी ने अपने लेटर में कई तरह के फीचर्स अपनाने के निर्देश दिए थे। जो मुंबई यूनिवर्सिटी ने पहले ही लागू कर दिए थे। सबसे पहले मार्कशीट के कलर को चेंज करने का निर्देश दिया। मिक्स कलर यूज करने को कहा था। जिसकी कॉपी करना इतना आसान न हो। इसके साथ ही मार्कशीट में वाटर मार्क और होलोग्राम जैसे फीचर्स लागू करने को कहा। ताकि नकली मार्कशीट की पहचान तुरंत हो सके। वहीं सबसे इंपोर्टेट फीचर था स्टूडेंट्स की फोटो। यूजीसी ने फोटोयुक्त मार्कशीट जारी करने का निर्देश दिया था।

दो यूनिवर्सिटी में लागू

यूजीसी के इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी स्टेट की पहली यूनिवर्सिटी बनी जिसने इन फीचर्स को अपनाया और इसी वर्ष से सिक्योरिटी फीचर्स वाली मार्कशीट जारी करना शुरू कर दिया। इसके बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी ने भी इसे अपने यहां पर लागू कर दिया है। अब स्टूडेंट्स को जो मार्कशीट जारी की जाएंगी उनमें सिक्याेरिटी फीचर्स होंगे।

आरयू की नींद नहीं टूटी

आरयू में भी पूर्व में फर्जी मार्कशीट के कई केसेज हो चुके हैं। रोजगार के लिए विभागों व कंपनियों की तरफ से भेजे गए मार्कशीट में कुछ फर्जी निकल चुकी हैं। वहीं मार्कशीट बनाने के रैकेट के भंडाफोड़ में भी आरयू की कई जाली मार्कशीट मिल चुकी है। बावजूद इसके आरयू की नींद नहीं टूटी है। आरयू ने यूजीसी के इस निर्देश पर सोच-विचार करने की भी जहमत नहीं उठाई। आरयू में करीब म् लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को मार्कशीट दी जाती है। ऐसे में आरयू इनती बड़ी संख्या में मार्कशीट पर सिक्योरिटी फीचर्स लागू करने में अपने आपको असमर्थ बता रहा है। गोपनीय विभाग की मानें तो यूनिवर्सिटी तीन महीने तक मेन एग्जाम कंडक्ट कराती है। उसके बाद रिजल्ट जारी करने का प्रेशर। ऐसे में सिक्योरिटी फीचर्स को लागू करेंगे तो स्टूडेंट्स के रिजल्ट जुलाई के बाद ही जारी कर सकेंगे। वहीं आरयू के रजिस्ट्रार एके सिंह ने इस योजना से ही अनभिज्ञता जाहिर की।