- नहीं होगी कॉलेजेज के फीस का निर्धारण

- इस ओर नहीं उठाए गए कोई कदम

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BAREILLY: नए सेशन में भी प्राइवेट कॉलेजेज जमकर मनमानी फीस वसूलेंगे। आरयू की तरफ से प्राइवेट कॉलेजेज का फीस निर्धारण की कोई योजना नहीं है। ऐसे में कॉलेज अपने तरीके से स्टूडेंट्स से चार्ज करेंगे। लास्ट ईयर इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ था। तब आरयू ने सेशन स्टार्ट करने से पहले फीस निर्धारण की बात कही थी। नेक्स्ट मंथ से एडमिशन प्रोसीजर स्टार्ट हो जाएगा। लेकिन आरयू ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया और न ही वह कुछ करने के हैसियत में हैं। कॉलेजेज के दबाव में इस ओर पॉजीटिव कदम उठाया ही नहीं गया।

कई मदों में वसूलते हैं फीस

कॉलेजेज अपनी फीस के सही स्ट्रक्चर का खुलासा नहीं करते। एडमिशन प्रोसीजर के समय दिए जाने वाले प्रॉस्पेक्टस में केवल मेन फीस ही शो करते हैं, लेकिन जब एडमिशन होता है और उसके बाद एग्जाम फॉर्म भराया जाता है, तब कई तरह के मदों में स्टूडेंट्स से वसूला जाता है। वह भी इन मदों में वसूली जानी वाली फीस किसी भी कॉलेज की बराबर नहीं होती। कोई ज्यादा वसूलता है तो कोई कम।

लास्ट ईयर हुआ हंगामा

लास्ट ईयर एग्जाम फॉर्म भराए जाने के दौरान इसी फीस वसूली को लेकर आरयू में खूब हंगामा हुआ था। काफी दिनों तक चले हंगामे के दौरान आरयू के अधिकारियों ने कॉलेजेज में चेकिंग भी की थी। कॉलेजेज को अपने नोटिस बोर्ड पर फीस का पूरा ब्योरा चस्पा किए जाने के निर्देश दिए गए थे। वहीं रजिस्ट्रार एके सिंह ने कॉलेजेज के फीस निर्धारण का भी आश्वासन दिया था। इसके तहत उन्होंने कॉलेजेज की मीटिंग बुलाने को कहा था। उनकी आय-व्यय का ब्योरा लेने के साथ ही एस्टिमेट मांगने की बात कही थी।

8 महीने में नहीं उठाया कदम

8 महीने से ज्यादा का समय हो गया लेकिन आरयू ने इस ओर कोई कदम नहीं उठाया है। इस संबंध में कॉलेजेज की मीटिंग नहीं बुलाई गई। सोर्सेज की मानें तो कॉलेज के दबाव के चलते ही आरयू को यह कदम पीछे उठाने पड़े। प्राइवेट कॉलेज नहीं चाहते कि उनके फीस स्ट्रक्चर में यूनिवर्सिटी किसी प्रकार की छेड़छाड़ करे। इसके लिए कई कॉलेजेज ने शासन तक पहुंच लगा दी। जिस वजह से यूनिवर्सिटी ने इस ओर देखने की हिमाकत भी नहीं की।

शासन पर टाला

फीस निर्धारण के लिए शासन की तरफ से समिति बनती है। जिसमें यूनिवर्सिटी, कॉलजेज और शासन के अधिकारी होते हैं। जो कॉलेजेज के आय-व्यय के ब्योरे के आधार पर फीस तय करते हैं। इसके तहत हर कॉलेज की अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के हिसाब से अलग फीस तय की जाती है। बीएड और इंजीनियरिंग कॉलेजेज की फीस ऐसे ही तय की जाती है। इन कोर्सेज की फीस के संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया। रजिस्ट्रार एके सिंह ने बताया कि फीस निर्धारण का मुद्दा शासन के हाथ में होता है। उनके निर्देश पर ही किसी प्रकार के कदम उठाए जा सकते हैं।