- अधिकांश पुलिसकर्मी अपनी फिटनेस को लेकर हैं लापरवाह

- ज्यादातर को कमर दर्द की प्रॉब्लम, कुछ को हाई वीपी तो कुछ को थायराइड

BAREILLY: जी हां, पुलिसकर्मियों की कमर टूट चुकी है। उनकी कमर किसी अपराधियों ने नहीं तोड़ी है बल्कि खुद पुलिसकर्मी इसके लिए जिम्मेदार हैं। यहां हम बात कर रहे हैं पुलिसकर्मियों की फिटनेस की। अब ऐसे में सवाल उठता है कि जो खुद अपनी सिक्योरिटी नहीं कर सकता है वो दूसरों की सुरक्षा कैसे करेगा? बता दें कि शासन के आदेश पर सभी जिलों की पुलिस लाइन में पुलिस को फिट रखने के लिए जिम ओपन की गई थी, लेकिन जिम जाना तो दूर की बात है वे परेड तक में शामिल होने से हिचकिचाते हैं। यही वजह है पुलिस की सुस्ती जगजाहिर।

जिम में दिखते हैं सिर्फ यंग पुलिस मैन

बता दें कि पुलिसकर्मियों की फिटनेस को लेकर शासन के आदेश पर सभी जिलों की पुलिस लाइन में जिम ओपन की गई थी। ओपन होने के बाद बरेली में जिम लंबे समय तक बंद रही। प्रेजेंट टाइम में जिम चली रही है, लेकिन यह जिम संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। चार बड़ी मशीनें खराब पड़ी हैं। मेडिसन बॉक्स खाली पड़े हैं। संसधानों में कमी के बावजूद भी कुछ यंग पुलिसकर्मी या फिर वो पुलिसकर्मी आते हैं जिनकी ड्यूटी लाइन में लगी रहती है। सबसे ज्यादा अनफिट ब्0 प्लस के पुलिसकर्मी हैं, जो जिम की ओर रुख ही नहीं करते हैं।

फिटनेस के लिए नहीं देता थोड़ा भी वक्त

पुलिसकर्मी खुद को फिट रखने के लिए थोड़ा भी समय नहीं निकाल पाते हैं। उनकी यह लापरवाही उन्हें सुस्त की कतार में खड़ी कर देती है। पुलिसकर्मी जब भर्ती होता है तो फिट रहने के लिए डेली प्रैक्टिस करता है। भर्ती होने के बाद ट्रेनिंग में भी कड़ी मेहनत करता है, लेकिन ज्वाइनिंग मिलते ही फिटनेस को ताक पर रखकर दूसरे कामों में लग जाते हैं। आलम यह है कि अधिकांश पुलिसकर्मी फिट रहने के लिए मॉर्निग वाक भी नहीं करते हैं।

परेड में भी आने से हैं कतराते

डिपार्टमेंट की ओर से पुलिसकर्मियों को फिट रखने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं। पुलिस लाइन में प्रत्येक सप्ताह में तीन दिन की परेड होती है। इस परेड में पुलिस लाइन में तैनात पुलिसकर्मियों के अलावा थाना के पुलिसकर्मी भी पहुंचते हैं। फ्राइडे को सीनियर पुलिस अधिकारी भी परेड में मौजूद रहते हैं, लेकिन अधिकांश पुलिसकर्मी परेड में पहुंचते ही नहीं हैं। फिटनेस के लिए साल में एक महीने की सीईआर यानी सिविल इमरजेंसी रिजर्व ड्यूटी लगाई जाती है। इस ड्यूटी में साल में एक बार डिस्ट्रिक्ट में मौजूद कुल स्टाफ के एक तिहाई पुलिसकर्मियों को आना जरूरी होता है। इस हिसाब से तीन साल में एक पुलिसकर्मी का नंबर सीईआर ड्यूटी के लिए लगता है, लेकिन कई पुलिसकर्मी ड्यूटी लगने पर बीमारी या किसी बहाने से ड्यूटी कटवा लेते हैं।

फील्ड ड्यूटी से हैं कतराते

पुलिस सोर्सेस के अनुसार बरेली पुलिस के करीब भ्0 परसेंट पुलिसकर्मी अनफिट हैं। इनमें उन पुलिसकर्मियों की संख्या ज्यादा है, जिनकी ऐज ब्0 प्लस है। अधिकांश पुलिसकर्मियों को कमर दर्द की शिकायत रहती है और वो कहीं न कहीं ड्यूटी के दौरान कमर पर हाथ धरे हुए दिख जाएंगे। इसके अलावा किसी को हाई वीपी की प्रॉब्लम है तो कइयों को थायराइड की दिक्कत है। कई पुलिसकर्मियों के दांत भी पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। इसके अलावा भी छोटी-छोटी बीमारियों से पुलिसकर्मियों ग्रस्त हैं। यही वजह है कि उनकी फील्ड में भी ड्यूटी नहीं लगाई जाती है।

कुछ भी खाते हैं जबरन

खुद को फिट रखने के लिए अच्छा खानपान भी जरूरी है, लेकिन कहावत है कि जब फ्री का सामान खाने को मिले तो फिर चाहे बीमार हो जाएं खा लेना चाहिए। अधिकांश पुलिसकर्मियों का कुछ इसी तरह का हाल है। अक्सर देखने को मिल जाएगा कि पुलिसकर्मी किसी न किसी दुकान से सामान लेकर खाते मिल जाएंगे। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो जो खा रहे हैं वो सेहत के लिए ठीक है या नहीं। इसके लिए अगर दुकानदार पैसे मांगे तो उसे रौब दिखा दिया जाता है।

नेक्स्ट वीक लगेगा चेकअप कैंप

पुलिसकर्मी पूरी तरह से फिट हैं या नहीं इसके लिए सालाना सभी का मेडिकल चेकअप होता है। इसके लिए पुलिस लाइन में चेकअप कैंप लगाया जाता है, लेकिन साल में एक कैंप फिटनेस को भांपने के लिए काफी नहीं है। कई बार पुलिस अधिकारी महीने में कैंप लगाने के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन ऐसा होता नहीं है। सीओ पुलिस लाइन हेमंत कुटियाल ने बताया कि पुलिसकर्मियों की खराब फिटनेस के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस लाइन में नेक्स्ट वीक फिटनेस चेकअप कैंप लगाया जाएगा। इसमें सभी विभाग के डॉक्टर मौजूद रहेंगे। यही नहीं पुलिस की कोशिश है कि पुलिसकर्मियों को फिट रहने के उपाय के साथ-साथ डाइट चार्ट के बारे में भी बताया गया था। पिछले महीने डेंटल चेकअप कैंप का भी आयोजन किया गया था जिसमें अधिकांश पुलिसकर्मियों के दांतों में प्राब्लम सामने आयी थीं।