- यूजीसी के लिस्ट में जो शामिल हैं वे ही डिग्रियां दी जाएं

- नामित से परे डिग्रियां बांटने पर यूनिवर्सिटीज के खिलाफ होगी कार्रवाई

BAREILLY: यूनिवर्सिटीज द्वारा दी जा रही डिग्रीज पर एक बार फिर यूजीसी ने अपनी सख्त आपत्ति दर्ज कराई है। यूजीसी का कहना है कि यूनिवर्सिटीज ऐसी डिग्रियां बांट रहे हैं, जिनका नाम वैधानिक कोर्सेज सूची में नहीं है। यूजीसी ने अगस्त माह में सेशन के शुरुआत में ही सभी यूनिवर्सिटीज को भेजकर आगाह कर दिया था। बावजूद इसके यूनिवर्सिटीज ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। अब यूजीसी ने एक बार फिर सभी यूनिवर्सिटीज को नोटिस भेजकर आगाह किया है कि यूजीसी द्वारा नामित से परे डिग्रियां बांटी गई तो ऐसे यूनिवर्सिटीज के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

अट्रैक्टिव नामों लुभाते हैं स्टूडेंट्स को

तमाम राजकीय और प्राइवेट यूनिवर्सिटीज स्टूडेंट्स को लुभाने के लिए अट्रैक्टिव नामों से कोर्सेज ओपन करते हैं। ये कोर्सेज परंपरागत से हटके होते हैं। यही वजह है कि ये सेल्फ फाइनेंस के अंतर्गत आते हैं। इनकी फीस ज्यादा होने के चलते स्टूडेंट्स एडमिशन लेने से हिचकते हैं। इसलिए यूनिवर्सिटीज इन्हें इनोवेटिव नाम देकर स्टूडेंट्स को कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं।

लिस्ट वाली डिग्रियां ही मान्य

यूजीसी ने साफ किया है कि वे ही डिग्रियां मान्य होंगी जिनका नाम यूजीसी के कोर्सेज की लिस्ट में होगा। इससे परे सभी नामों वाली डिग्रियां अवैध मानी जाएंगी। यूजीसी ने ऐसी डिग्रियों को निर्गत करने पर तत्काल रोक लगाने का नोटिस जारी किया है। यूजीसी ने साफ किया है ऐसे करने वाले यूनिवर्सिटीज यूजीसी एक्ट क्9भ्म् के सेक्शन ख्ख् के नियमों का उल्लघंन करते हैं। ऐसे में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जा सकती है। यूजीसी ने भ् जुलाई को अपने गैजेट में सभी कोर्सेज की लिस्टिंग पब्लिश की थी।

स्टूडेंट्स को फेस करनी पड़ती है प्रॉब्लम

यूजीसी ने कहा है कि ऐसी डिग्रियां स्टूडेंट्स को बड़े प्रॉब्लम में डाल देती हैं। वे जब अपने यूनिवर्सिटी से डिग्री दूसरी जगह पढ़ने या फिर रोजगार के लिए जाते हैं तो उनकी डिग्रियों पर सवाल उठाए जाते हैं। उन्हें अयोग्य करार दिया जाता है। यूजीसी ने यहां तक कहा कि है नेट क्वालीफाई करने वाले स्टूडेंट्स तक की पीजी डिग्रियां को अमान्य करार दिया जा चुका है।