डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शिक्षामित्रों के हेल्थ सर्टिफिकेट बनाने में खेल
बिना डॉक्टरी जांच के हाथों हाथ बांटे जा रहे सर्टिफिकेट
BAREILLY:
न किसी तरह की डॉक्टरी जांच और न ही लंबी लाइन में खड़े होने की जद्दोजहद। सिर्फ एक रुपए का पर्चा, दो पासपोर्ट साइज फोटो और आधे घंटे के इंतजार के बाद हाथ में सेहत दुरुस्त होने का पक्का सर्टिफिकेट। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में सरकारी नियमों को ताक पर रखकर हेल्थ सर्टिफिकेट की बंदरबांट का खेल कुछ इस तरह चल रहा है। फ्राइडे को हॉस्पिटल आए शिक्षामित्रों से ख्00-ख्00 रुपए लेकर बिना मेडिकल जांच के ही उन्हें हेल्थ सर्टिफिकेट पकड़ा दिए गए।
हाथों-हाथ 'बिके' क्क्ख् सटिर्फिकेट
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में फ्राइडे को सुबह 8 बजे से ही शिक्षामित्रों के हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाए जाने की प्रोसेस शुरू हो गई। कॉर्डियोलोजी विभाग के ऊपरी हॉल में हेल्थ सर्टिफिकेट बनाए जाने की व्यवस्था की गई थी। हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए गए शिक्षामित्रों को हॉल में पहुंचते ही ख्00 रुपए पर हेल्थ सर्टिफिकेट रेट बता दिए गए। मुफ्त जांच व सर्टिफिकेट की जानकारी के बावजूद शिक्षामित्रों ने सुविधा शुल्क के नाम पर की जा रही अवैध वसूली का विरोध न किया। फ्राइडे को क्क्ख् हेल्थ सर्टिफिकेट हाथों-हाथ 'बिक' गए। जिनसे कर्मचारियों ने ख्ख्,ब्00 रुपए की वसूली की।
एक की भी न हुई जांच
हेल्थ सर्टिफिकेट पाए शिक्षामित्रों में से एक की भी मेडिकल जांच नहीं हुई। बिना मेडिकल जांच के ही ख्00 रुपए के खर्च पर सभी को फिट होने का हेल्थ सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। नियमानुसार शिक्षामित्रों को एक रुपए का पर्चा बनवाना था, जिस पर दो पासपोर्ट साइज फोटो लगाकर उन्हें चेक किया जाना था। इसके बाद ओपीडी में आई एक्सपर्ट शिक्षामित्रों की आंखों की जांच और फिजिशियन उनकी सामान्य जांच करते। स्पेशल केसेज में कॉर्डियोलोजिस्ट से उनकी हार्ट की जांच भी कराई जाती। मेडिकली फिट होने पर ही उन्हें हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किए जाते। जिस पर सीएमएस के साइन होते।
आहट मिलते ही गायब हुए
फ्राइडे को आई नेक्स्ट टीम के हॉल में पहुंचने की खबर मिलते ही ख्00 रुपए लेकर सर्टिफिकेट बेच रहे तमाम कर्मचारी इधर उधर हो लिए। शिक्षामित्रों के पर्चे लेकर सर्टिफिकेट बनवाने की मेहनत में जुटे तमाम फोर्थ क्लास कर्मचारी भी अचानक ही मौके से गायब हो गए। शिक्षामित्रों ने भी शर्म के मारे पैसे लिये जाने की बात जुबान से बाहर न निकाली, लेकिन खुफिया कैमरे में अंजान शख्स बनकर की गई बातचीत में सारा सच उगल दिया। बरेली सहित आसपास के ब्लॉक से आए पुरुष-महिला शिक्षमित्रों ने बिना पैसे दिए काम न होने की सीख्ा तक दी।
पहले भी किया था खुलासा
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पैसे लेकर बिना जांच-पड़ताल हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाने के फर्जीवाड़े का खुलासा पहले भी हो चुका है। क् अगस्त ख्0क्ब् को भी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शिक्षामित्रों के हेल्थ सर्टिफिकेट बनाने में ख्00 से फ्00 रुपए वसूले जा रहे थे। जिसका आई नेक्स्ट ने खुलासा किया था। ख् अगस्त ख्0क्ब् को छपी इस खबर पर उस समय डीएम रहे संजय कुमार ने खुद संज्ञान लेते हुए सीएमओ ऑफिस व डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन को लेटर लिखकर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ जांच व कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
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शिक्षामित्रों से पैसे लेकर हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किए जाने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। किसी शिक्षामित्र ने भी पैसे वसूले जाने की कंप्लेन नहीं की। इसकी जांच कराई जाएगी। - डॉ। डीपी शर्मा, सीएमएस