कैसे काम करेगा ये मीटर
दरअसल जो रेगुलेटर हम घरों में नॉर्मली यूज करते हैं, वह वॉल्व सिस्टम पर वर्क करता है। रेगुलेटर की इंटरनल नॉब से गैस की इंटरनल नॉब पर दबाव पड़ता है, जिसके बाद लिक्विड पेट्रोलियम गैस रेगुलेटर से पास होते हुए पाइप के रास्ते बर्नर तक पहुंचती है। पेट्रोलियम कंपनी ने रेगुलेटर पर एक मीटर सेट कर दिया है। गैस सिलेंडर से अटैच करते ही मीटर में रबड़ की छोटी सी बॉल से सिलेंडर में गैस का दबाव पता चलेगा। इससे ये इंडिकेशन हो जाएगा कि सिलेंडर में कितने किलो गैस है।
बंगलुरु में trial successful
इंडियन ऑयल के सोर्सेज के मुताबिक, फिलहाल ऐसे रेगुलेटर का यूज बंगलुरु में किया जा रहा है। माना जा रहा है कि वहां इसके सक्सेजफुल होने के बाद अब इसका यूज यूपी में भी किया जाएगा। इसके जरिए कई लेवल पर गैस की सप्लाई और गैस की चोरी पर कंट्रोल साधा जा सकेगा। दरअसल जब गैस का सिलेंडर घरों में सप्लाई के लिए पहुंचता है, तो डिलीवरीमैन अपने पास वजन के लिए कांटा रखता है। इस कांटे से स्पॉट पर सिलेंडर की तौल की जाती है। अक्सर ये शिकायतें भी एजेंसीज में पहुंचती हैं कि डिलीवरीमैन के पास जो कांटा होता है, वो गलत वजन बताता है।
सिलेंडर का वजन घरेलू कॉमर्शियल
सिलेंडर में गैस का वेट 14.2 किग्रा 19 किग्रा
खाली सिलेंडर का वजन (लगभग) 16 किग्रा 19 किग्रा
Pressure से पकड़ी जाएगी चोरी
अगर डिलीवरी के वक्त कांटा 200 से 300 ग्राम गैस कम भी बताता है तो डिलीवरीमैन कंपनी की सप्लाई बताकर पीछा छुड़ा लेते हैं। इसके अलावा अक्सर देखा गया है कि एजेंसीज से सिलेंडर निकलने के बाद डिलीवरीमैन गैस की हेरा-फेरी कर देते हैं। गैस का वजन बराबर शो करने के लिए सिलेंडर में पानी भर दिया जाता है। इसके बाद कांटा सही वजन बताता है, लेकिन गैस चोरी हो चुकी होती है। इसका पता भी तब चलता है, जब गैस खत्म होने के वक्त बर्नर में पीले रंग की फ्लेम निकलती है। सोर्सेज के मुताबिक ये रेगुलेटर सिर्फ गैस के प्रेशर पर काम करता है। ऐसे में अगर सिलेंडर में पानी भरकर गैस चोरी का प्रयास किया जाता है, तो भी डिलीवरीमैन की चोरी पकड़ी जाएगी।
ऐसा रेगुलेटर आने के बाद गैस चोरी पर रोक लगेगी। हमारा प्रयास कस्टमर्स का सेटिसफैक्शन है।
पी प्रकाश, इंडेन एरिया हेड
इस फैसिलिटी से कंज्यूमर कंफर्म हो सकेंगे कि सिलेंडर में एक्चुअली गैस है कितनी। उसी के बेस पर यूज होगा।
रंजना सोलंकी, प्रेसीडेंट, गैस डीलर्स ऐसोसिएशन