बरेली (ब्यूरो)। बरेली कॉलेज में हजारों स्टूडेंट्स पढऩे आते है। उनका अधिकांश समय कॉलेज में बीतता है। इसके बावजूद कॉलेज में स्टूडेंट्स के लिए हाइजीन रिलेटेड किसी भी तरह की फैसिलिटी उपलब्ध नहीं है। वॉशरूम में भी गंदगी का बुरा हाल है। इसके अलावा लाइट की भी कोई सुविधा नहीं हैैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब स्टूडेंट्स से इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि कॉलेज में वॉशरूम की स्थिति ठीक नहीं है। इसमें सुधार की आवश्यकता है।

अंधेरे में गुम वॉशरूम
कॉलेज में सफाईकर्मियों की कमी नहीं है, कमी हैै तो सिर्फ साफ-सफाई की। कॉलेज स्टूडेंट्स का कहना हैै कि वॉशरूम का हाल हिंदी हॉरर मूवी से भी डरावना है। वहां लाइट की भी व्यवस्था नहीं है। कई बार तो नल में पानी भी नहीं आता है। इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लॉ डिपार्टमेंट में गल्र्स और ब्वॉयज के लिए अलग-अलग वॉशरूम की फैसिलिटी अवेलेबल है। वहीं होम साइंस और केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में भी गल्र्स के लिए ट्वॉयलेट है। बाकी किसी भी डिपार्टमेंट में गल्र्स के लिए अलग से ट्ॉयलेट नहीं है। जिन डिपार्टमेंट्स में हैं, वहां पर कॉमन वॉशरूम है। उनकी हालत बहुत खराब है।

गल्र्स को होती है प्रॉब्लम
अलग से वॉशरूम न होने की वजह से लड़कियों को काफी प्रॉब्लम होती है। गल्र्स ने बताया कि लड़कियों को हाइजीन प्रॉब्लम तो होती ही है। इसके अलावा कॉमन वॉशरूम होने की वजह से उसे यूज करने में भी हिचकिचाहट होती है। लड़कियों ने बताया कि कई बार जीसीआर भी बंद रहता है तो वॉशरूम कहां जाएं, यह भी सोचना पड़ता है। कॉलेज में न केवल सिटी, बल्कि दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स और गावों से भी लड़कियां आती हैैं। ऐसे में उन्ळें इस कंडीशन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

वॉशरूम में नहीं लाइट
मैैं बीएससी की पढ़ाई कर रही हैैं। हमारे डिपार्टमेंट में गल्र्स के लिए अलग से वॉशरूम तो है, लेकिन न ही उसमें लाइट है, न ही वह यूजेबल है।
आकांक्षा तिवारी

अलग से हमारे लिए वॉशरूम न होने की वजह से गल्र्स को काफी प्रॉब्लम होती है। कॉलेज को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए ताकि हम लोगों को परेशानी न हो।
सृष्टि गुप्ता

डिपार्टमेंट में कॉमन वॉशरूम है। कई बार मजबूरी में वॉशरूम को यूज करना पड़ता है, लेकिन उसमें इतनी स्मेल आती है, जिसे सहन करना मुश्किल होता है।
अनुष्का सिंह

कॉलेज में टॉयलेट तो हैं, लेकिन उनकी स्थिति इतनी दयनीय है कि स्टूडेंट्स को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। कॉलेज प्रशासन को इस विषय में सोचना चाहिए।
अनु पांडेय