बरेली: शहर की मार्केट हो या फिर रोड्स पिंक टायलेट की जरूरत तो है लेकिन बने हुए कहीं नजर नहीं आते हैं। नगर निगम स्मार्ट सिटी के तहत शहर में टॉयलेट और पिंक टॉयलेट बनवाने के लिए दावा तो करता है लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी दूर है। शहर के मार्केट पदाधिकारियों के मुताबिक, उन्होंने पब्लिक टॉयलेट के साथ पिंक टॉयलेट बनवाने के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन उसका नतीजा कुछ भी नहीं निकला। कहीं बताया जाता है कि बजट नहीं तो कहीं बताया जाता है कि उस एरिया में टॉयलेट बनवाने के लिए कहीं पर स्पेस नहीं है। यानि यह सच है कि जरूरत तो हैं लेकिन कहीं जगह नहीं तो कहीं के लिए फंड नहीं। लेकिन इससे शहर की मार्केट आने वाली महिलाओं को आए दिन प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। फिर भी हमारे जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं देते हैं।
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
शहर की मेन रोड्स या फिर मार्केट अधिकांश जगह महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट नहीं हैं। ऐसे में महिलाएं कभी भी घर से निकलने से पहले सोचती हैं। कई महिलाएं तो घर से पानी कम ही पीकर निकलती हैं क्योंकि रास्ते में या फिर मार्केट में टॉयलेट जाना पड़ गया तो कहीं व्यवस्था नहीं मिलेगी। वहीं इस बारे में कुतुबखाना, जिला अस्पताल रोड, सिविल लाइंस एरिया, श्यामगंज और डेलापीर की मार्केट एसोसिएशन के जिम्मेदारों से बात की गई तो उनका भी दर्द सामने आया। मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने नगर निगम से कई बार पब्लिक टायलेट और पिंक टायलेट अलग-अलग बनवाने को कहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हालांकि इन सभी मार्केट की बात करें तो करीब 45 हजार से अधिक महिला वर्कर्स मार्केट में काम करती हैं। साथ ही करीब 60 हजार से अधिक महिलाएं ही मार्केट में शॉपिंग के लिए आती हैं लेकिन इसके बाद भी महिलाओं की समस्या को लेकर कोई जिम्मेदार गंभीर नहीं हैं।
दूसरे के घरों के यूज करतीं टॉयलेट
कुतुबखाना मार्केट हो या फिर जिला अस्पताल रोड मार्केट इस रोड पर तो सिर्फ पब्लिक टायलेट ही हैं। बड़ा बाजार में तो पब्लिक टायलेट भी एक-दो किलोमीटर तक नहीं दिखाई देंगे। ऐसे में कोई महिला मार्केट में टायलेट जाना हो तो उसके लिए दुकान ही आसपास के घरों में रिक्वेस्ट कर भेजते हैं। क्योंकि इसके लिए अलावा और कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं है। या फिर जिला अस्पताल रोड पर शॉपिंग करने के लिए आने वाली महिलाएं जिला अस्पताल का टायलेट यूज कर लेती हैं।
मार्केट के जिम्मेदारों की बात
हमने कई दफा मांग की है, सब्जी मंडी, कोतवाली और कुतुबखाना से सिविल लाइंस तक कोई पिंक टायलेट नहीं है। जिला पंचायत और जीआईसी के पास पिंक टॉयलेट बनवाए हैं लेकिन वह एक किलोमीटर दूर हैं। कबूतर चौक के पास हमने तो स्पेस भी बताया कि यहां पर पिंक टायलेट बनाएं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
दर्शन लाल भटिया, यूपी उद्योग व्यापार मंडल चेयरमैन
सिविल लाइंस एरिया में डाकघर से कचहरी तक कोई टॉयलेट की व्यवस्था नहीं हैं। यहां पर कचहरी होने के चलते शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी संख्या में महिलाएं आती हैं। लेकिन प्रसाधन की कोई सुविधा नहीं है। नेहरू युवा केन्द्र के पास टायलेट होना चाहिए। पिंक टायलेट की इस एरिया में आवश्यकता है।
राजेश जसोरिया, महानगर महांमंत्री यूपी उद्योग व्यापार मंडल
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मार्केट आने वाली और मार्केट के शोरूम पर काम करने वाली महिलाओं को टायलेट के लिए कुतुबखाना पर बहुत बड़ी समस्या है। किसी महिला को अगर टायलेट जाना भी होता है तो उसके लिए आसपास के रहने वालों के घर पर भेजना पड़ता है। नगर निगम को हम मार्केट वालों ने कई बार टॉयलेट बनवाने के लिए लिखकर दिया लेकिन अभी तक बना नहीं।
नदीम शमशी, अध्यक्ष, मार्केट एसोसिएशन
मार्केट में पिंक टायलेट बनवाने के लिए आज से नहीं वर्षो से प्रयास कर रहा हूं। लेकिन लेकिन अभी तक कोई पिंक टायलेट बना तो नहीं। मार्केट में जगह भी बताई कि कहां पर टायलेट बनवाना है फिर भी अभी आश्वासन मिला है कि अभी पिंक टायलेट बनवा देंगे।
ककाररक
सोशल मीडिया कमेंट
मैं एक बार अपने घर से कॉलेज जा रही थी। मुझे टॉयलेट जाना था पर रास्ते में जो टॉयलेट है। वह इतना गन्दा था कि उसे यूज करना ठीक नहीं लगा और मैं घर वापस चली आई। वो भी पिंक टॉयलेट नहीं बल्कि सार्वजनिक था। जो हमारे लिए सुरक्षित नहीं था।
निधि, स्टूडेंट
हमारे यहां जो पिंक टॉयलेट है। यूज के लायक नहीं है क्योंकि वह बहुत गंदा और उसमें मिट्टी जमी हुई है। पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी। जिससे टॉयलेट हमेशा बंद पडा रहता है। और उसकी हालत जर्जर होती जा रही हैं।
प्रेरणा, स्टूडेंट
हमारे यहां मार्केट तो इतनी हैं पर पिंक टॉयलेट वहुत कम है। अगर हैं भी तो टूटे -फूटे और जर्जर हालत वाले जो यूज के लायक नहीं है। क्योंकि अगर ऐसे टॉयलेट यूज करेंगे तो हम असुरक्षा महसूस करतें हैं। इसलिए हम उन्हें यूज नही करते हैं।
सौम्या, स्टूडेंट
पिंक टॉयलेट हम महिलाओं के लिए वहुत आवश्यक है, शहर में बहुत कम टॉयलेट हैं । विजी रास्तों पर तो एक भी टॉयलेट नहीं है, जबकि वहां होना वहुत जरूरी है। कभी-कभी हमें इसकी वजह से ज्यादातर परेशानियों का सामना करना पडता है।
एकता, इंप्लाय
हम महिलाओं के लिए ज्यादातर पिंक टॉयलेट का होना अनिवार्य है, पर ऐसा नहीं है। हमारे शहर में कहीं-कहीं तो एक भी जहां एक भी टॉयलेट नहीं है। जिसकी वजह से महिलाओं के लिए आय दिन परेशानियों का सामना करना पडता है ।
स्वाती, इंप्लाय
पिंक टॉयलेट हम महिलाओ के लिए सम्मान की बात है, वहीं पर पिंक टॉयलेट मार्केट में न होना परेशानी की है। जहां कहीं मार्केट में पिंक टायलेट बने हुए हैं वह सुचारू रूप से संचालित नहीं हैं। इसलिए जो हैं उनका सही होना बहुत आवश्यक है।
अफरोज, ग्रहणी
पिंक टॉयलेट में एक केयर टेकर का होना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि अगर कोई नहीं होता है। वहां पर पुरूषों के आने-जान का डर रहता है। जिससे हम महिलाओं के लिए बहुत सी समस्याएं हो जाती हैं, और हम उन टॉयलेट को यूज करने से डरते हैं।
ईशानी, ग्रहणी
जो पिंक टॉयलेट हमारे शहर में बनाऐ गये हैं, वह व्यवस्थित ढंग से नहीं हैं । जिनमें कोई भी महिला जा सके। उनमें पानी तक की व्यवस्था है और न ही सुरक्षा व्यवस्था जिससे हम आसानी से टॉयलेट यूज कर सके। उनका नवीनीकरण होना बहुत आवश्यक है।
शबनम, सेल्फ इंप्लाय