- शहर के कई थानों में नहीं लेडीज टॉयलेट

- शहर और देहात के भी थानों में तैनात महिला पुलिसकर्मियों को झेलनी पड़ती है शर्मिदगी

- थाना परिसर में अव्यवस्थाओं के चलते कभी बैरक तो कभी आसपास बने टॉयलेट करने पड़ते हैं यूज

बरेली: वैसे तो गवर्नमेंट वुमेन सेफ्टी और उनके सशक्तिकरण को लेकर तमाम दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। पब्लिक की सुरक्षा के लिए तैनात की गईं महिला पुलिसकर्मियों तक को कुछ ऐसी ही गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनकी न तो शिकायत की जाती है और ना ही उन्हें सहा जा सकता है। ऐसा ही कुछ हाल जिले के पुलिस थानों का भी है। केंद्र से लेकर राज्य सरकारों ने तमाम स्वच्छता अभियान चलाए लेकिन कई थाना परिसरों में अब भी लेडीज टॉयलेट की फैसिलिटी नहीं है। ऐसे में महिला पुलिसकर्मियों को उनके बैरक व अन्य आसपास के टॉयलेट यूज करती हैं। वहीं दूसरी तरफ शिकायत लेकर थाने आने वाली महिला फरियादियों को अक्सर शर्मिदा होना पड़ता है। ऐसे में अब महिलाओं की गरिमा व निजता के अधिकार को देखते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट की एक बेंच ने प्रदेश सरकार से थानों में लेडीज टॉयलेट की हालत की रिपोर्ट मांगी है। फ्राइडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में थानों में कुछ ऐसा दिखा टॉयलेट्स का हाल

बारादरी थाना

यह थाना कहने को कार्य क्षेत्र के मुताबिक शहर का सबसे बड़ा थाना है, लेकिन यह अव्यवस्थाएं भी बड़ी हैं। थाने में महिला शौचालय का अभाव है। कुछ महीने पहले बने महिला शौचालय का हाल बेहाल है। इसके चलते थाने में तैनात महिला कर्मियों को थाने के पीछे बने शौचालय या फिर उनके बैरक के शौचालयों का इस्तेमाल करना पड़ता है। लेकिन इसकी शिकायत करने में उन्हें हिचकिचाहट होती है। हाल में बारादरी थाने में निर्माण कार्य शुरू होने के बाद अब महिलाओं के लिए बेहतर व्यवस्था करने का दावा किया जा रहा है।

प्रेमनगर थाना

शहर का सबसे पॉश इलाके इस थाना क्षेत्र में आते हैं। लेकिन वहीं थाना परिसर में व्यवस्थाएं बेहाल हैं। थाना परिसर में सिर्फ दो ही शौचालय व स्नान घर बने हैं। थाने में तैनात पुरुष व महिला पुलिसकर्मी दोनों ही उन्हीं का इस्तेमाल करते हैं। जिसके अक्सर पुलिसकर्मियों को शर्मिदगी झेलनी पड़ती है। लेकिन इसके अलावा उनके पास कोई अन्य विकल्प भी नहीं है।

इज्जतनगर थाना

इज्जतनगर थाने का परिसर शहर के बड़े थानों में एक गिना जाता है। लेकिन यहां भी महिला पुलिसकर्मियों के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं है। यहां थाना परिसर के एक कोने में दो शौचालय बने हुए हैं। लेकिन उनका हाल बेहाल है। यहां गंदगी के अंबार पुलिसकर्मियों को बीमार बनाने के लिए काफी है। कई बार अधिकारियों के दौरे के दौरान साफ सफाई की हिदायत दी जाती है। लेकिन हालात वैसे ही है। यहां तैनात महिला पुलिसकर्मियों को मजबूरन थाने के पीछे बैरक में बने शौचालयों का इस्तेमाल करना पड़ता है।

सुभाषनगर, कैंट। बस यही हाल

शहर के अन्य थानों में भी महिला पुलिसकर्मियों के लिए बेहतर व्यवस्थाओं का अभाव है। सुभाषनगर और कैंट थाने में भी महिलाओं के लिए सैपरेट शौचालय नहीं हैं। और जो शौचालय बने हैं उन्हें महिला व पुरुष दोनों ही इस्तेमाल करते हैं। किला थाने का हाल भी कुछ ऐसा ही है। वहीं देहात क्षेत्र के भी कई थानों का हाल बेहाल है। गंदगी के साथ महिलाओं के लिए व्यवस्थाएं भी यहां नहीं हैं।

छह महीने पहले मांगा गया था ब्योरा

जिले के थानों में शौचालयों का व्यवस्था करने के लिए करीब छह महीने पहले शासन से ब्योरा मांगा गया था। जिसके बाद कुछ बजट भी जारी हुआ था। लेकिन उससे थानों में जो महिलाओं के लिए शौचालय बनवाए गए थे, उनमें अधिकतर अब खंडहर हो चुके हैं। अब दोबारा हाईकोर्ट के आदेश के बाद हालात कुछ बेहतर होने के आसार नजर आ रहे हैं।