बरेली(हिमांशु अग्निहोत्री)। शहर में बंदरों के आतंक को रोकने में नगर निगम भले ही बेबस नजर आ रहा हो। लेकिन, बरेलियंस अपनी फैमिली की सेफ्टी को लेकर काफी अवेयर हैैं। शहर में बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोग तरह-तरह की ट्रिक अपना रहे हैैं। कोई घर के खुले हिस्सों को जाल से ढक रहा है तो कोई फेंसिंग करवा रहा है। लेकिन, अब बरेलियंस इन सबसे एक कदम आगे बढक़र लंगूर का फोटो कटआउट लगवा रहे हैैं। किसी ने यह कटआउट छत पर लगवाया है तो किसी ने इसे घर के आगे। यह आनोखा तरीका घीरे-धीरे शहर में ट्रेंड बन रहा है।
परिवार की चिंता, बचाव है जरूरी
सुभाष नगर में तपेश्वरनाथ मंदिर के पास रहने वाले राजाराम बताते हैैं कि बंदरों के आतंक से पूरा मोहल्ला परेशान है। लोगों को छत पर जाने से डर लगता है, कई बार अचानक बंदर के सामने आने से लोग गिरकर चोटिल होते हुए बचे हैैं। निगम की ओर से भी इसको लेकर ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। जानकारी मिली कि लंगूर से बंदर डरते हैैं, इसीलिए लंगूर का पोस्टर लगाया है। इसे लगाने के बाद काफी हद तक बंदरों से निजात मिली है। और लोग भी इसे देखकर अपनी छतों व गैलरी की दीवारों पर लगा रहे हैैं। इसके साथ ही राजेंद्र नगर की पीडब्ल्यूडी कॉलोनी में रहने वाले व्यापारी ने भी बंदरों के आतंक से बचने के लिए घर के आगे बड़े-बड़े कटआउट लगवाए हैैं।
लंगूर से डरते हैैं बंदर
नगर निगम के पशु चिकित्साधिकारी डॉ। आदित्य तिवारी का कहना है कि लंगूर से बंदर डरकर दूर भागते हैैं। बंदरों के बीच लंगूर का भय इतना होता है कि अगर वह दूर से उसकी आवाज भी सुन लेते हैैं तो भाग जाते हैैं। जहां तक लंगूर का कटआउट फोटो लगाने की बात है तो यह कुछ हद तक प्रभावशाली हो सकता है।
हो चुकी है मौत
इस वर्ष जुलाई माह में दुनका गांव निवासी एक पिता से उसके चार महीने के बच्चे को बंदरों का झुंड छीनकर ले गया था। आरोप था कि बंदर ने फिर उसे छत से नीचे फेंक दिया। बंदरों के इस हमले में बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई थी। शहर से लेकर देहात तक बंदरों के कारण कई घटनाएं हो चुकी है। साथ ही बंदरों के हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हो चुके हैैं। बंदरों का आतंक सिर्फ शहर तक सीमित नहीं है, गांव में ग्रामीण भी बंदरों से परेशान हैैं।
घर बना कैदखाना
बंदरों से परेशान बरेलियंस घरों में कैद रहने को मजबूर हो गए हैैं। अपनों को बंदरों से सुरक्षित रखने के लिए लोग घर में लोहे व स्टील के जाल लगवा रहे हैैं। इसके साथ ही लोग फेंसिंग का सहारा ले रहे हैैं। अब इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए लोग लंगूर के पोस्टर व कटआउट का सहारा ले रहे हैैं।
निगम बेबस
बंदरों से बरेलियंस को निजात दिलाने के लिए नगर निगम की ओर से एजेंसी को टेंडर दिया गया है। एजेंसी ने अब तक शहर से सौ बंदरों को पकडक़र जंगल में छोड़ा है। डॉ। आदित्य ने बताया कि कुछ माह पहले निगम की ओर से वन विभाग को दो हजार बंदर पकडऩे का लेटर भेजा गया है। परमिशन मिलने का इंतजार है उसके बाद बंदरों को पकड़ा जाएगा। परमिशन मिलने के बाद एक निश्चिित क्षेत्र से वन विभाग के अधिकारी की मौजूदगी में बंदरों को पकडक़र जंगल में छोड़ जाएगा।
1353 लोगों को लगाई गई एआरवी
इस वर्ष अब तक कुल 1353 लोगों को बंदर काटने के बाद एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई गई है। वहीं बंदर के हमले के मामले रोजाना सामने आ रहे हैैं। जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ। मीसम अब्बास बताते हैैं कि किसी भी जानवर के काटने पर मिर्च का लेप या झाड़-फूंक के चक्कर में नहीं पडऩा चाहिए। डॉक्टर से परामर्श के बाद वैक्सीनेशन करवाना चाहिए, जिससे समय पर इलाज मिल सके।
वर्जन
बंदरों का आतंक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इससे बचाव के लिए निगम की ओर से ठोस कार्रïवाई नहीं की जा रही है। इसीलिए, हमने लंगूर के कटआउट का सहारा लिया है।
-राजाराम यादव
बंदरों के कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है। इसको लेकर जिम्मेदारों को कार्रïवाई करने की जरूरत है। पब्लिक सेफ्टी प्राथिमिकता होनी चाहिए।
-राजपाल
निगम को परमिशन का इंतजार है। लेकिन, हम लोगों को फैंिमली की चिंता है, रोज बंदरों का आतंक झेलना पड़ रहा है। इससे निजात जाने कब मिलेगी।
-अनिल कुमार
बंदरों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। वे हमें आर्थिक व शारीरिक नुकसान भी पहुंचा रहे हैैं। जिस तरह के मामले आए दिन सामने आ रहे हैैं, काफी चिंताजनक हैैं।
-धीरेंद्र
छत पर जाते हुए डर लगता है। कई बार लोग चोटिल होते बचे हैैं। समय पर निगम को एक्शन लेना चाहिए, जिससे हम लोगों को राहत मिल सके।
-रवि