बरेली (ब्यूरो)। केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में स्थापित एग्रीबिजनेस इंक्यूबेशन केन्द्र के तत्वावधान में 'सफल व्यावसायिक कुक्कुट पालन की आवश्यकताएंÓ विषय पर हाइब्रिड माध्यम से 9 से पांच दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम का समापन 13 सितंबर को किया गया। कार्यक्रम के समापन के दौरान डॉ। संदीप सरन के द्वारा निदेशक व मुख्य अतिथि डॉ। अशोक कुमार तिवारी, वैज्ञानिकों, अतिथि वक्ताओं व सभी प्रशिक्षुओं का स्वागत किया गया।


अनुभव किए साझा
संस्थान के निदेशक ने प्रशिक्षुओं को बधाई दी और सभी को कुक्कुट फार्म खोलने के लिए संस्थान व एग्रीबिजनेस इंक्यूबेशन केन्द्र द्वारा हर संभव मदद प्रदान करने का आश्वासन दिया। इसी दौरान प्रशिक्षुओं से भी प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में फीडबैक भी लिया गया। जिसमें उन्होंने इस कार्यक्रम को बहुत ही उपयोगी बताया। उन्होंने प्रतिभागियों द्वारा दिए गए फीड बेक पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी को सफल उद्यमी बनने के लिए शुभकामनायें व आशीर्वचन दिए। कार्यक्रम में जापानी बटेर, टर्की, गिनी फाउल, देसी फाउल के साथ-साथ ब्रायलर व लेयर उत्पादन प्रौद्योगिकियों आदि विषयों पर वैज्ञानिकों द्वारा विस्तार से प्रशिक्षण दिया गया। इसके अतिरिक्त कुक्कुट व्यवसाय एवं सहबद्ध इकाइयों को स्थापित करने हेतु विधिक आवश्यकताओं, दायित्वों, प्रबंधन तकनीकी, आहार व आवास प्रबंधन, कुक्कुट बीमारियों की रोकथाम व उपचार, विपणन, बीमा व प्रदूषण नियंत्रण अनुपालन संबंधी विषयों आदि सहित कुक्कुट उत्पादों की प्रसंस्करण तकनीकी के विषय में विस्तार से प्रशिक्षित किया गया। कुक्कुट उद्यम स्थापित करने हेतु विभिन्न बैंको से ऋण प्राप्ति हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने व सरकारी वित्त योजनाओं के विषय में जानकारी दी गई.मार्गदर्शन हेतु कुक्कुट पालक स्वाति यादव, मै। सोम एग्रो, बरेली एवं डॉ। चिकन के मोहम्मद काशिफ ने अपने अनुभवों को साझा किया।

11 राज्यों के प्रशिक्षु रहे मौजूद
प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के 11 राज्यों से 2 महिला प्रशिक्षु सहित कुल 34 प्रशिक्षुओं ने प्रतिभाग लिया। जिसमें से 14 प्रशिक्षुओं ने संस्थान में आकर भौतिक रूप से प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र भी दिए गये। जिनका उपयोग प्रशिक्षुओं द्वारा अपना कुक्कुट उद्यम स्थापित करने तथा वित्तीय प्रबंधन हेतु बैंक ऋण आदि प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। डॉ। संदीप सरन ने संस्थान के निदेशक, सभी वैज्ञानिकों, अतिथि वक्ताओं और प्रशिक्षुओं का आभार व्यक्त किया।