बरेली (ब्यूरो)। टमाटर अब तक के अपने सबसे उच्चतम दाम में बिक रहा है। इसने किचन का बजट बिगाड़ दिया है। महंगाई के कारण लोग इसे कम ही खरीद पा रहे हैं। मुश्किल यह है कि टमाटर के बिना न सब्जी में स्वाद आ रहा है और न ही ग्रेवी ही गाढ़ी हो रही है। महिलाओं ने इसका ऑप्शन ढूंढ लिया है। वह जो विकल्प आजमा रही हैैं, उससे न सिर्फ स्वाद अच्छा आ रहा बल्कि ग्रेवी भी गाढ़ी बन रही है।

इनका हो रहा इस्तेमाल
दही: सब्जी में खट्टापन बढ़ाने के लिए दही का इस्तेमाल सिटी की गृहणी कर रही हैैं। उनका कहना है कि इससे सब्जी का स्वाद बढ़ जाता है। इसे इस्तेमाल करने के बाद आपको टमाटर की कमी महसूस नहीं होगी। बस सब्जी में इसे डालते समय इस बात का ध्यान रखना है कि अच्छी तरह से फेंटने और इसे बिल्कुल एंड में डालें।

इमली: ग्रेवी में खट्टापन बढ़ाने के लिए आप इमली का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने के बाद आपको सब्जी में बिना टमाटर के भरपूर स्वाद मिलेगा। इसे इस्तेमाल करने के लिए इमली के दाने को भिगोकर उसका गुदा मैश कर लें। फिर इसे टमामटर की जगह इस्तेमाल करें।

नींबू: टमाटर की जगह नींबू का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल से सब्जी में बिना टमाटर के भी स्वाद आएगा। महिलाओं ने बताया कि सब्जी या दाल पकने के बाद ही उसमें नींबू की बूंदे मिक्स करें। पकाते समय नींबू डालने पर सब्जी या दाल कड़वी लगती है।

कद्दू : ग्रेवी गाड़ी करने के लिए कद्दू का इस्तेमाल कर सकते हैं। वीमेन ने कहा कि इसके लिए कद्दू को ब्लेंड करें और फिर पैन में अच्छे से रोस्ट कर लें। रंग बदलने पर इसमें सिरका डालें। इससे सब्जी का स्वाद भी बढ़ जाएगा।

बोली महिलाएं
अगर टमाटर महंगा हो गया है। तो हमने इसके लिए दूसरे ऑप्शंस तलाश लिए हैं। अब बिना ग्रेवी के कोई सब्जी तो बन नहीं सकती, इसीलिए टमाटर की जगह इमली का यूज कर रहे हैं।
अंजना वर्मा, ओल्ड सिटी

पनीर बिना ग्रेवी के नहीं बना सकते हैैं, इसीलिए अब प्याज या कद्दू आदि की ग्रेवी बनाकर उसमें गाढ़ापन लाते हैैं। इससे गिरेवी खाने में टेस्टी लगती है।
रंजना कुदेशिया, कोतवाली, बरेली

ग्रेवी बनाने के लिए पहले टमाटर का यूज़ करते थे। अब ग्रेवी के लिए प्याज अधिक यूज कर रहे हैं। इसके साथ उसमें अदर आइटम मिलाकर ग्रेवी बना रहे हैं।
प्रीति सिंह, थाना प्रेम नगर

ग्रेवी बनाने के लिए टोमैटो केचप और करौंदे का यूज कर रहे हैं। प्याज भी डालते हैैं। इससे टमाटर से अच्छा स्वाद आता है।
रचना सक्सेना, जनकपुरी