बरेली (ब्यूरो)। महिलाओं में आज के टाइम पर पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जैसी परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैैं। पीसीओएस या फिर पीसीओडी डिजीज हार्मोनल डिसबैलेंस या फिर जेनेटिक डिसऑर्डर बढऩे की वजह से होती है। इसकी वजह से महिलाओं में इररेगुलर पीरियड, इनफर्टिलिटी और इन्सुलिन रेजिस्टेंस जैसी बीमारियां बढऩे लगती हैं। आयुर्वेद फॉर्मटेक ब्रेंड की स्टडी के अनुसार देश भर में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं पीसीओडी या मेंसुरल हेल्थ रिलेटिड बीमारियों से प्रभावित होती हैं। इसमें 18 से लेकर 45 साल तक की लेडीज शामिल होती हैैं।

क्या होता है पीसीओएस
पीसीओएस एक डिसऑर्डर है, जो महिलाओं में हार्मोनल डिसऑर्डर की वजह से होता है। हर मंथ ओवरी में अंडे बनना स्टार्ट होते हैं, जो मिड ऑफ मंथ में रिलीज या फिर ओविलिएट होना स्टार्ट हो जाते हैैं। अगर लेडी प्रेगनेंट नहीं होती हैै तो पीरियड्स आ जाते हैैं। इस साइकल को ओविलिएटिड साइकल कहते हैैं, जो हर मंथ रिपीट होता है। वहीं पीरिएड इररेगुलर हो जाए तो इसकी एक बड़ी वजह अंडे का ओवरी में ग्रो नहीं करना होता है, जिसकी वजह से ओवरी में छोटे-छोटे फॉलिकल्स बनने लगते हैैं। आगे चलकर यह ही पीसीओएस की वजह बन जाती है।

क्या हैं लक्षण
पीसीओएस की वजह से गल्र्स की बॉडी में कई तरह के चेंजेज होने लगते हैं। इसकी वजह से उनका पूरा बॉडी स्ट्रक्चर डिसबैलेंस हो जाता है। आज के लाइफस्टाइल को देखते हुए महिलाओं में यह समस्या बढ़ गई है। इनमें से कुछ समस्याएं इस प्रकार हैैं।
-वेट गेन होना
-स्किन प्रॉब्लम होना
-प्रेगनेंसी में दिक्कत
-मेटाबोलिक डिजीज
-इररेगुलर पीरियड्स
-मेल जैसे फीचर्स का बॉडी में बढऩा जैसे कि पीठ, पेट, चेस्ट, फेस पर हेयर आना।
-हेयरफॉल होना
-बॉडी के कुछ पाट्र्स का काला पड़ जाना

पीसीओएस के कारण
आज के टाइम में लोग अनहेल्दी लाइफस्टाइल की ओर बढ़ रहे हैं, जिसका नुकसान उनकी बॉडी को झेलना पड़ता है। लोग कहीं भी, कभी भी कुछ भी खा लेते हैं। इस दौरान यह भी नहीं देखते हैैं कि वह चीज किस तरह से बनाई जा रही है। उसमें कितना कैलस्ट्रॉल है, कितना फैट आदि है। यह लापरवाही उन्हें आगे चलकर कई बीमारियां देती हैैं। इसकी वजह से बॉडी में कई तरह की बीमारियां जन्म लेने लगती हैं।
-एंग्जाइटी
-हाइपरटेंशन
-लाइफस्टाइल का इंबैलेंस होना
-सही खानपान का न होना
-फिजिकल एक्टिविटी न करना
-स्मोंकिग और अल्कोहल का इनटेक करना
-वेट गेन होना
-इररेगुलर स्लीप

पीरियड साइकल का गड़बड़ाना
पीसीओडी की वजह से पीरियड साइकल में इररेगुलेरिटी होने लगती है। इसकी वजह से ऑलिगोमेनोरिया जैसी समस्या बढऩे लगती है। इसमें महिलाओं को कभी 10 दिन, 15 दिन, एक महीने तो कभी दो महीने के गैप पर पीरियड आता है। वहीं कुछ महिलाओं में कभी-कभी कई महीनों तक लगातार पीरियड नहीं आते हैं।

इनफर्टिलिटी
सही से पीरियड नहीं होने की वजह से लेडीज में इनफर्टिलिटी की समस्या भी बढऩे लगती है। इररेगुलर पीरियड की वजह से ओव्युलेशन नहीं हो पाता है। इससे प्रेगनेंसी होने की संभावना धीरे-धीरे कम होने लगती है।

अनचाही हेयर ग्रोथ
शरीर में पीसीओएस की वजह से चहरे पर मुहांसे और अनचाहे हेयर ग्रो होने लगता है। पीसीओएस की वजह से गालों, चिन, ब्रेस्ट और शरीर के कई हिस्सों में बाल बढऩे लगते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों का हेयर फॉल भी होने लगता है।

वेट बढऩा
पीसीओडी की वजह से महिलाओं में होमोसिस्टीन का स्तर बढऩे लगता है। इसकी वजह से महिलाएं मोटापे का शिकार होने लगती हैं। इसमें महिलाओं का वेट तेजी से ग्रो करने लगता हैै।

पेट फूलने की समस्या
पीसीओएस से पीडि़त ज्यादातर महिलाओं में एक प्रॉब्लम देखी जाती है कि उनका पेट फूलने लगता है। फॉलिकल्स मैच्योर होकर एवोल्यूशन के समय एक अंडा पैदा करते हैं, लेकिन पीसीओएस में कई फॉलिकल्स मैच्योर नहीं हो पाते हैं। इसकी वजह से दोनों या फिर किसी एक ओवरी में इकट्ठा होने लगते हैं। इसके चलते महिलाओं में मेल हार्मोन एस्ट्रोजन तेजी से बढऩे लगते हैैं। वहीं प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की डेफिशिएंसी होने लगती है। इससे पेट में फ्ल्यूड रिटेंशन होने लगता है। इस वजह से पेट फूलने की समस्या हो सकती है।

क्या करें प्रीकॉशन
-मेंटेन हेल्दी लाइफ स्टाइल
-टेक हेल्दी फूड
-इररेगुलर पीरियड में डॉक्टर को प्रिफर करें

पीसीओएस आज कल हर एज ग्रुप के लोगों को हो रहा है। हर किसी के लिए ट्रीटमेंट डिफरेंट होता है। पीसीओएस की सबसे बड़ी प्रॉब्लम लोगों की हेल्दी लाइफ स्टाइल मेंटेन न करना हैै। इसका रेगुलर ट्रीटमेंट करवाना चाहिए।
-डॉ। ऋचा यादव, मेडिकल ऑफिसर, जिला हॉस्पिटल