बरेली (ब्यूरो)। शहर के बीचोबीच पॉश एरिया में बसी महानगर कॉलोनी को बसने के 20 वर्ष बाद भी सिटी में शामिल नहीं किया गया है। आज भी यह क्षेत्र ग्रामीण ही कहलाता है। नगरीय विकास विभाग की अनदेखी के चलते यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं, जबकि इसके चारों ओर का एरिया भी पॉश है। यहां के मकान भी काफी महंगे हैं। वीवीआईपी लोगों की यह पसंदीदा कॉलोनी है। यहां के कई परिवारों के च्च्चे विदेशों में जॉब या एजुकेशन के लिए रह रहे हैं। उसके बाद भी कॉलोनी आज तक सिटी में शामिल नहीं की गई है। इस उपेक्षा भरे रवैये के कारण यहां के लोगों के सब्र का बांध अब टूट चुका है। उन्होंने इसकेे विरोध में आंदोलन का मन बनाया है। सब ने आज शाम कैंडल मार्च निकालने का निर्णय लिया है।
नगर निगम नहीं ले रहा सुध
यहां के निवासियों ने पॉश कॉलोनियों को नगर निगम में शामिल करने के लिए कुछ वर्ष पहले परिसीमन के दौरान मांग की थी। लेकिन अधिकारियों ने शासनादेश का हवाला देकर मांग को ही अनसुना कर दिया था। यहां रहने वाले लोग कॉलोनी को नगर निगम सीमा में पंजीकृत करवाने के लिए जन प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक से गुहार लगाकर थक चुके हैं।
समस्याओं के अंबार
पीलीभीत बाईपास पर स्थित महानगर कॉलोनी आज भी ग्राम पंचायत धौरेरा माफी के अधीन है। ग्राम पंचायत में होने के कारण यहां शहर की सुविधाओं का लाभ स्थानीय लोगों को नहीं मिल पा रहा है। बिल्डर ने अब तक कॉलोनी को हैंडओवर भी नहीं किया है। इस कारण वहां की सडक़ें टूटी हुई हैं। सडक़ के गड्ढों पर पानी भर रहा है। आलम यह है कि घरों के अंदर तक पानी जाने लगा है। पानी, सीवर जैसी सुविधाएं भी लोगों को नगर निगम से उपलब्ध नहीं है। इसी कारण यहां के लोग लंबे समय से कालोनी को शहर में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। कालोनी में रहने वाले सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन उमाकांत शर्मा का कहना है कि धौरेरा माफी को नगर निगम में शामिल कराने की मांग को लेकर रविवार शाम 6.45 बजे फाउंटेन चौक से पीलीभीत बाईपास तक कैंडल मार्च निकाला जाएगा। इसमें कॉलोनी के सभी लोग मौजूद रहेंगे।
भेजा जा चुका है प्रस्ताव
नगर निगम की ओर से शासन को तीन नगर पंचायत शहर में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसमें धौरेरा माफी के साथ ही डोहरा और करगैना भी शामिल हैं। अब तक शासन की ओर से इस बाबत कोई जवाब नहीं आया है। जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल का कहना है कि मौजूदा समय में ग्राम पंचायत व जिला पंचायत की ओर से ज्यादा योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इस उपेक्षा भरे रवैया के चलते कॉलोनीवासियों में आक्रोश का माहौल है।
फैक्ट एंड फिगर
2002 में बनाई गई थी कॉलोनी
20 वर्ष बाद भी ग्राम पंचायत में आती है कॉलोनी
1600 आावासों का 2004 में किया गया था आवंटन
630 रुपये प्रत्येक घर से ग्राम पंचायत को देना पड़ते हैं
6.30 बजे संडे को फाउंटेन चौक से पीलीभीत बाईपास तक निकालेंगे कैंडल मार्च
हो रहा जलभराव
धौरेरा माफी ग्राम पंचायत में महानगर के साथ ही छोटी बिहार, बिहारमान नगला, सिल्वर स्टेट, आशुतोष सिटी का भाग भी आता है। महानगर कॉलोनी में करीब 1600 घर हैं। हर घर से ग्राम पंचायत को 630 रुपये दिया जाता है। इसके बदले उन्हें किसी भी तरह की सुविधा नहीं मिल पा रही है। कॉलोनी की सडक़ें खराब हो चुकी है। टूटी सडक़ों पर पानी भरने से लोग वाहन समेत गिर जाते हैं। ग्राम पंचायत में होने के बावजूद शहर की दरों से बिजली बिल चुकाना पड़ता है। लेकिन, शहर जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। बताया कि स्थानीय ग्राम प्रधान नहीं चाहते हैं कि कॉलोनियां शहरी क्षेत्र में चली जाएं।